हरिद्वार ( कुलभूषण) हरिद्वार संसदीय सीट पर हमेशा से कंाग्रेस व भाजपा के बीच वर्चस्व की लडाई रही है। एक बार 2004 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने इन दोनो राष्टीय दलो को शिकस्त देते हुए इस सीट पर जीत का परचम फहरा कर कांग्रेस व भाजपा दोनो दलो को चुनावी रण में शिकस्त देकर राजनैतिक गलियारो में सोचने व अपनी रणनीति बनाने पर मजगूर कर दिया था। समाजवादी पाबर््ी की इस जीत में हरिद्वार की राजनीति की धूरी रहे अम्बरीश कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही ।
रामजन्म भूमि आन्दोलन की रणनीति बनाने में हरिद्वार विश्व हिन्दू परिषद व भारतीय जनता पार्टी की बनने का प्रमुख केन्द्र रहा जिसके चलते कई बार विहिप व भाजपा के बडे केन्द्रीय नेताओ ने हरिद्वार में बैठक कर रामजन्मभूमि आन्दोलन की रणनीति को अन्तिम रूपदेकर उस पर देश में अमल किया। जिसके चलते भाजपा की राष्टीय राजनीति में हरिद्वार लोकसभा व विद्यान सभा सीट का महत्व बढ गया। जो आज भी कायम है।
देश में होने जा रहे लोकसभा चुनावों से ठीक पूर्व इस बार भी इस सीट पर भाजपा से कर्द दावेदारो के नामों की चर्चा है वर्तमान में इस सीट से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक दूसरी बार लगातार सांसद होने के चलते इस सीट के प्रबल भाजपा से दावेदार है।वह प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ ही केन्द्र भी भाजपा की मोदी सरकार में भरीभरकम शिक्षा मंत्रालय के मंत्री रह चुके है तथा उनके ही कार्यकाल में नई शिक्षा नीति के मसौदे को तैयार किया गया है। जो केन्द्र की मोदी सरकार की एक बडी उपलब्धियो में शामिल है।
वही इस सीट पर इस बार संत समाज से टिकट दिये जाने की मंाग जोर पकडती दिख रही है। जिसके चलते कई प्रमुख संतो के नामों की चर्चा है। वही राजनैतिक गलियारो में देखे तो हरिद्वार की राजनीति में रामलहर के चलते स्वामी जगदीश मुनि के बाद कोई भी संत राजनीति के इस रण में सफल नही हो पाया है। कांग्रेस व भाजपा दोनो ही दल संतो पर दाव लगाकर देख चुके है। जिसमें भाजपा 2009 में स्वामी यतीन्द्रनंद महाराज को लोकसभा सीट पर तथा कांग्रेस हरिद्वार विद्यान सीट पर ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी व मेयर सीट पर स्वामी ऋषिश्वरानंद को चुनावी समर में उतार कर देख चुकी है।
लोकसभा के चुनाव में जहा इस सीट पर प्रमु,ा दावेदारो में हरिद्वार विद्यान सभा सीट से नगर विद्यायक व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक मजबूत दावेदार माने जा रहे है। वही कांग्रेस से इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व केन्द्रीय मंत्री व हरिद्वार से सांसद रहे हरीश रावत प्रबल दावेदार के रूप में दौड में शामिल है। कंाग्रेस से इस सीट पर हरक सिंह रावत भी अपनी दावेदारी कर रहे है। लेकिन हरिद्वार के राजनैतिक गलियारो में उनका सीधे क्षेत्र की जनता से संवाद बहुत कम होने के चलते उन्हे क्षेत्र में काफी मेहनत करनी पड सकती है। हरिद्वार संसदीय सीट में देहरादून व ऋषिकेश का भी कुछ क्षेत्र आने के चलते इस संसदीय सीट पर प्रदेश की राजनैतिक दखल का भी प्रभाव रहता है।
ऐसे में इस बार इस सीट पर एक बार फिर भाजपा व कंाग्रेस में अपना उम्मीदवार तय करने के लिए अभी से राजनैतिक समीकरणो पर चर्चा का बाजार गर्म हो गया है।
ऐसे मे देखना होगा की क्या भाजपा दो बार से इस सीट पर जीत का परचम फहरा रहे निशंक को पुन चुनावी सूर में उतारती है। या फिर किसी नये चेहरो को चुनावी रण में उतारने का मन बनाती है।
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