देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से संस्थान के सभागार में गुरूवार को पाश्चात्य एवं हिन्दुस्तानी संगीत के जानकार श्री निकोलस हाॅफलैण्ड द्वारा अपराह्न 5 बजे ‘‘ रागदेश की आवाज” पर एक विडियो व्याख्यान दिया गया।
अपने व्याख्यान के माध्यम से उन्होंने राग देश के विविध रूपों को वीडियो क्लिप के माध्यम से बेहतरीन तरीक़े से प्रस्तुत कर उन रागों की खासियत व प्रकार के बारे में उपस्थित कोगों सहज रूप से जानकारी देने का प्रयास किया। इस दौरान लोगों ने वीडियो के माध्यम से राग देश पर आधारित विविध गीतों के गायन के श्रवण का आनन्द उठाया। खासकर आम लोगों और युवा वर्ग को इस शास्त्रीय राग के इस अनुपम संगीत रूपों की प्रारंभिक जानकारी प्राप्त हुई।
राग देश के तथ्यों में इसकी उत्पत्ति का पता उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत परंपरा से लिया जा सकता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के कई अन्य रागों की तरह यह राग भी देश सदियों से प्राचीन संगीत प्रथाओं, वैदिक मंत्रों और क्षेत्रीय लोक संगीत से विकसित हुआ है। राग देश एक पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय राग है, जो किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा रचित नहीं है।
लोकप्रिय राग देश पर कुछ लोकप्रिय फिल्मी गीत भी बने हैं इनमें फिल्म शहीद का ऐ वतन ए वतन और फिल्म गुलामी का जागृति के दाता गीत जन-जन में लोकप्रिय रहे हैं। राग देश देश के प्रति देशभक्ति और भक्ति की भावना को प्रेरित करता है।भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम भी राग देश पर आधारित है।
यह बात उल्लेखनीय है कि दून पुस्तकालय एवम शोध केंद्र द्वारा समय-समय पर गीत-संगीत की तमाम विषयों और उनकी विविध श्रेणियों से रू-ब-रू कराने के प्रयास किये जा रहे हैं।
आज के कार्यक्रम के दौरान मदन मोहन चड्ढा, संजीव शर्मा,विजयशंकर शुक्ल, प्रेम पंचोली, बिजू नेगी, दीपा कौशलम, सुंदर सिंह बिष्ट, विजय बहादुर, डॉ.मनोज पँजानी सहित संगीत और कला में रूचि रखने वाले प्रबुद्वजन, पुस्तकालय के युवा पाठक, साहित्यकार व अनेक लोग उपस्थित रहे।
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