(एल मोहन लखेड़ा)
देहरादून, उत्तराखंड़ राज्य बना और यहां के युवाओं ने सोचा चलो कि अब अपने दिन बहुरेंगे, लेकिन ठीक हुआ इसके उल्टा, न युवाओं को नौकरी मिली और न ही पहाड़ी जनमानस की पहाड़ जैसी जिन्दगी में कोई सुधार हुआ | नेता और सरकार सत्ता के नशे में चूर और पहाड़ी तो बस पहाड़ी ठहरा और उसे तो धकियाते रहो और अपनी सरकार चलाते रहो | यह बानगी है दून के सहस्त्रधारा रोड़ स्थित धरना स्थल की, जहां कोरोनाकाल में अपनी सेवाएं देने वाले कर्मचारियों का धरना लगातार जारी है | कोविड कर्मचारी अपने समायोजन की मांग शासन प्रशासन से कर रहे और पिछले 26 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे है।
एक तरफ प्रदेश के मुखिया और उनके अधीनस्थ मंत्रीगण पूरे प्रदेश आज रक्षाबंधन की बधाई और मिठाईयां बांट रहा है वहीं दूसरी तरफ कोरोना वॉरियर्स जिन्होंने कोरोना काल जैसे भयावह वक्त में प्रदेश में रहने वाले लोगों के जीवन रक्षा अपनी जान की प्रवाह किए बिना की, आज सरकार उनसे क्यों मुंह मोड़े है यह प्रश्न आज आमजन के बीच खड़ा है, जबकि कोरोना काल में अपनी सेवायें देने वाले इन कर्मचारियों ने सरकार और हॉस्पिटल दोनों की इज्जत बचाई, लेकिन आज रक्षाबंधन के पावन पर्व को छोड़ भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर है।
इधर बुधवार को भूख हड़ताल पर बैठे कर्मचारी प्रदीप उनियाल और मुकेश शर्मा कीटोन पॉजिटिव आने पर अस्पताल में भर्ती करवाने के दिशा निर्देश दिया गया, जहां प्रशासन की टीम दल बल के साथ मौके पर धरना स्थल आयी। जहां भारी हंगामे के बीच प्रदीप उनियाल को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
लेकिन इसी बीच एक अन्य कर्मचारी मुकेश ने मौका देख कर अपने आप क़ो शौचालय में बंद कर दिया, इस दौरान पुलिस के हाथपांव फूल गये, जिससे हड़कंप मच गया, उक्त कोरोना कर्मचारी जहां करीब 6 घंटे तक अपने आप को बंद रखा और एस डीएम को बुलाने की मांग जिला प्रशासन से करते रहे, लेकिन एसडीएम धरना स्थल आने को राजी नहीं हुए, इस बीच कर्मचारी शौचालय के अंदर बेहोश होने पर अन्य कर्मचारी बड़ी मुश्किल से शौचालय के अंदर घुसने में कामयाब हुआ और किसी तरह आनन फानन में मुकेश को बाहर निकालने में सफल रहा | जिसके बाद जिला प्रशासन की सहायता से आपातकालीन सेवा के माध्यम से जिला अस्पताल ले जाया गया इस बीच पुलिस और धरने पर बैठे कर्मचारियों बीच काफी नोक झोंक भी हुये, हंगामे के दौरान एक अन्य कोविड कर्मचारी राम निवास को भी जिला अस्पताल ले जाया गया। कर्मचारियों ने आरोप लगाया की एसडीएम को बुलाने के बावजूद भी वहा धरना स्थल पर नहीं आये। वहीं धरना स्थल पर जिलाध्यक्ष शर्मीला चौहान मितलेश बलूनी, धनवीर, निशा, अमित सामते और प्रदेश भर से आये कोविड कर्मचारी मौजूद रहे।
कोविड कर्मचारियों का धरना आज भी जारी :
बीते साल 31 मार्च 2022 क़ो निकले गए कोविड कर्मचारियों का धरना आज भी जारी है। इस दौरान प्रदेश से निकले गए कुछ कर्मचारियों क़ो नियुक्ति दे दी गयी थी।बीते माह 6 जुलाई क़ो मुख्य मंत्री आवास कूच करने के बाद से कर्मचारियों लगातार एकता विहार पर धरने पर बैठे है कर्मचारियों ने कहा मुख्यमंत्री के ओ एस डी दलबीर दानु द्वारा 15 दिनों का आश्वासन दिया गया था पर किसी भी प्रकार की कारवाई उनके द्वारा नहीं की गयी, जिसके बाद विवश होकर कर्मचारियों क़ो भूख हड़ताल पर बैठने पड़ा। कर्मचारी राम निवास ने बताया की अभी भी लगभग 940 ( मेडिकल कॉलेज और CHC PHC ) कर्मचारियों को नियुक्ति नहीं दी गयी है |
सरकार ने अपनी नाक बचाने को की भर्ती, अब कर दी सेवा समाप्त :
गौरतलब हो कि जब देश कोरोना के संकट से जूझ रहा था और उत्तराखंड़ में भी स्थिति खतरनाक स्तर पर थी ऐसे समय इन कोरोना कर्मचारियों की जुलाई 2020 में पहली भर्ती हुई थी, जिसके बाद सरकार द्वारा एक बार फिर दूसरी भर्ती अगस्त 2020 में करनी पड़ी, लेकिन मेडिकल स्टॉफ की अतिरिक्त आवश्यकता देखते हुऐ तीसरी भर्ती अक्टूबर 2020 में की गयी थी और 2021 में मार्च और जुलाई माह में कोरोना की लहर के दौरान एक बार फिर भर्ती की गयी। इस दौरान ऑक्सीजन की आवश्यकता क़ो देखते हुए जनवरी 2021को केंद्र सरकार द्वारा पीएम केयर के माध्यम से ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए थे जिसमें आईटीआई पास छात्रों क़ो केंद्र सरकार द्वारा कौशल विकास द्वारा ट्रेनिंग देकर ऑक्सीजन प्लांट संचालन के लिए भर्ती किया गया था | अब सवाल यह उठना लाजिमी है कि जब इन कोरोनो कर्मचारियों की सरकार को आवश्यकता पड़ी तो अपनी नाक बचाने के लिये भर्ती पर भर्ती कर दी और अब सेवा समाप्ति के बाद मुंह फेर लिया, क्या गलती थी इन भोलेभाले पहाड़ियों जो कोरोना संकट के समय उत्तराखण्ड़ के हर जिले में अपनी जान जोखिम में डालकर सेवायें दे रहे थे | आज यह प्रश्न विकास का दम भरने वाली सरकार की नीति नियंताओं को लेकर मुंहबाये खड़ा है | जबकि कर्मचारियों ने 6 माह तक एकता विहार में धरना प्रदर्शन किया जिसके उपरांत 6 माह का सेवा विस्तार दिया गया और स्वास्थ्य मंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया था कि इस बीच कोविड कर्मचारियों का समायोजन कर दिया जायेगा | लेकिन एक बार फिर 31 मार्च 2023 क़ो सभी कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गयी |
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