सितारगंज। टीम मुस्कुराया इंडिया की ओर से 35 छात्राओं को द केरल स्टोरी मुफ्त में दिखाई गई। संस्था अब तक 80 छात्राओं को यह फ़िल्म दिखा चुकी है। सभी छात्राओं को बस से रुद्रपुर ले जाकर यह फ़िल्म दिखाई गई।
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म द केरला स्टोरी में प्रस्तुत कहानी का व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार होना बेहद जरूरी है। केरल की वास्तविकता पर आधारित इस कहानी को देश की हर बहन बेटी को अवश्य देखना चाहिए। जिससे वह अपने साथ होने वाले किसी धोखे से पहले ही सतर्क रह सकें। ये बातें मुस्कुराएगा इंडिया के संयोजक एवम भाजपा नेता दयानंद तिवारी ने कहीं। उन्होंने कहा कि उनकी टीम द्वारा निर्णय लिया गया है कि जो भी बहने इस फिल्म को देखना चाहती हैं उन्हें टीम द्वारा निःशुल्क टिकट उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने बताया की फिल्म में जिस तरह चार छात्राएं केरल के कासरगोड में एक नर्सिंग स्कूल में एडमिशन लेती हैं, जिसमें शालिनी अपनी रूममेट्स गीतांजलि (सिद्धि इदनानी), निमाह (योगिता बिहानी) और आसिफा (सोनिया बलानी) के साथ एक रूम शेयर करते हुए गहरी दोस्त बन जाती हैं। शालिनी, गीतांजलि और निमाह आसिफा के खौफनाक इरादों से पूरी तरह नावाकिफ है।
असल में आसिफा के पास अपने रूममेट्स को अपने परिवार और धर्म से दूर ले जाकर और इस्लाम में परिवर्तित करने का एक गुप्त एजेंडा है। इसके लिए वो अपने दो नकली भाइयों का सहारा लेती है और ऐसा जाल बिछाती है कि लड़कियों को कट्टरपंथी बनाया जाए। उन्होंने सभी बहनों से अपने आस पास के वातावरण के प्रति सजग रहने की अपील की। वहीं टीम के सदस्य मोहित बिष्ट ने कहा कि हाईस्कूल से इंटर तक की सभी छात्राओं के लिए यह फिल्म देखना ज्यादा जरूरी है। उम्र के इस पड़ाव पर ही व्यक्ति को मानसिक परिपक्वता की सबसे अधिक जरूरत होती है। उन्होंने कहा की हमारे धर्म में इस तरह के क्रिया कलाप नहीं होते। जिस वजह से हमारी बहनों को ऐसे मामलों की समझ भी नही होती। जिसका उदाहरण इस फिल्म में स्पष्ट है। जिस तरह फिल्म में शालिनी को अपने प्यार के जाल में फंसाने वाला रमीज उसे गर्भवती कर देता है और समाज का डर दिखाकर शालिनी से इस्लाम क़ुबूल कराया जाता है, किसी अनजान मर्द से निकाह कर भारत छोड़ कर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रास्ते सीरिया भगा दिया जाता है। आगे का सफर शालिनी के लिए और भी भयानक साबित होता है, यहां इंडिया में उसकी दोनों सहेलियों गीतांजलि और निमाह को भी नर्क से गुजरना पड़ता है। जिस तरह के अनेकों मुद्दों को इस फिल्म में दिखाया गया है। उसका उद्देश्य केवल जागरूकता लाना ही है। उन्होंने फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन का भी आभार व्यक्त किया को उन्होंने इस तरह सामाजिक जागरूकता को प्राथमिकता दी। इस दौरान राकेश बिष्ट, शोवित बिष्ट, मोहित बिष्ट, अजय कठायत, दीपांशु रावत, सतीश शर्मा, गोविंद सामंत, हरजीत कम्बोज, दीपू बिष्ठ,अंकित दास, विक्रम भण्डारी आदि उपस्थित रहे!
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