कोरोना महामारी एक बार फिर देश में तेजी से फैल रही है. हजारों की संख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित लोग अपना इलाज करा रहे हैं. गनीमत है महामारी से जान का जोखिम कम बना हुआ है.
लेकिन लोगों को स्वास्थ्य संबंधी तमाम समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में पुराना सवाल हर कोई फिर दोहरा रहा है. COVID-19 महामारी कब खत्म होगी?
कोरोना वायरस इस बार फिर तेजी से जरूर फैल रहा है, लेकिन 2020 की तुलना में काफी कम घातक है. सार्वजनिक व्यवहार में केवल सीमित बदलाव ला रहा है. डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना महामारी की ऐसी स्थिति अभी लंबे समय तक बनी रहेगी. जब तक कि प्रतिरक्षा-विकसित होने वाले नए वेरिएंट सामने नहीं आते. जैसे-जैसे प्रतिरक्षा कम होती जाती है, वैसे-वैसे अगला चरण अत्यधिक अनिश्चित बना रहता है.
पिछले कुछ महीनों में भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में स्थानिक COVID-19 की ओर अपनी यात्रा जारी देखी गई है. जबकि मौजूदा वृद्धि XBB.1.16 वेरिएंट के कारण है जो ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट है. इसके कारण कई जगहों पर मामलों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है. गनीमत यह है कि इसके चलते गंभीर बीमारी के मामले में कम ही देखने को मिल रहे हैं. ओमिक्रॉन सबवेरिएंट की कम औसत गंभीरता एक राहत की बात है.
तमाम देशों में इस वेरिएंट के चलते मामलों की ज्यादा संख्या देखी गई लेकिन कुछ ही मौतें दर्ज की गईं. बहरहाल, बुजुर्गों सहित कम इम्यूनिटी के लोगों को संक्रमण से बचने की सलाह दी जा रही है. ऐसे लोगों के लिए यह घातक साबित हो सकता है. ये सभी के लिए अब कोविड उचित व्यवहार को गंभीरता से लिया जाए. कोविड उचित व्यवहार ही महामारी को कम कर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस अपना रूप बदल कर आता रहेगा, हाल फिलहाल में इससे निजात मिलती नहीं दिखाई दे रही.
ओमिक्रॉन के सबवैरिएंट्स ने वायरस के पहले से कहीं अधिक संचरित होने वाले संस्करणों के साथ दुनिया को चुनौती दी है. लेकिन अब तक, उन्होंने मौलिक रूप से महामारी की गतिशीलता को नहीं बदला है, क्योंकि प्रतिरक्षा में एक कदम परिवर्तन नहीं हुआ है, जैसा कि सर्दियों के दौरान देखा गया था. जब ओमिक्रॉन पहली बार उभरा था. इसके खिलाफ वैक्सीन अभी भी गंभीर बीमारी की घटनाओं को सीमित करती है.
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