हरिद्वार (कुलभूषण) लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनैतिक गलियारो में राजनैतिक दलो ने तैयारिया करनी शुरू कर दी है। हालाकी अभी चुनावी समर में लगभग एक वर्ष का समय है फिर भी अभी से चुनावी रणनीति बनाने को लेकर राजनैतिक दलो ने संगठन स्तर पर चुनावी तैयारिया शुरू कर दी है।
2024 के रण को लेकर भारतीय जनता पार्टी अभी से गंभीर दिख रही है। जिसके चलते संगठन स्तर पर व पार्टी के निर्वाचित जनप्रतिधियो द्वारा जनता के बीच बेहतर ताल मेल बिठाने को लेकर तैयारिया शुरू कर दी गयी है। जिसमें पार्टी के शीर्ष नेताओ से लेकर बूथ स्तर तक का कार्यकर्ता जुट गया है। 2014 चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी लगातार संगठन स्तर पर व विभिन्न प्रान्तो में सत्ता हासिल करने के बाद जहा मजबूती से हर चुनाव को एक मजबूत रणनीति के साथ लड रही है।
वही राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस 2014 से लगातार संगठन स्तर पर व जनता के बीच अपनी पकड खोती जा रही है। 2014 तक देश के अधिकतर राज्यो सहित लम्बे समय तक देश में राज करने वाली कांग्रेस वर्तमान समय में दो तीन राज्यो तक में ही अपनी सरकारो तक सीमित होकर रह गयी है। इसका एक प्रमुख कारण कांग्रेस में आपसी गुटबाजी तथा संगठन के केन्द्रीय नेतृत्व व राज्य के नेतृत्व में आपस में बेहतर तालमेल की कमी होना एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।
कमजोर नेतृत्व व नेतृत्व क्षमता अभाव के चलते कभी देश में सात दशक तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी आज देश में अपने सबसे संक्रमण के दौर से गुजर रही है। ऐसे संक्रमण के दौर में अपने आम जन के समर्थन को देश में काग्रेस को सबसे बडे राजनैतिक दल का गौरव दिला रहा है उसे संभालने में विफल लग रही है। कांग्रेस को राजनैतिक खतरा अपने प्रतिद्वदियो की अपेक्षा अपने ही संगठन में चल रही आपसी खेमेबाजी से है। जो अपने वर्चस्व के लिए संगठन को ही किनारे लगाने मे लगे है।
वही अन्य विपक्षी दल भी राज्य विशेष तक सीमित होने के चलते आपस में बेहतर सामन्जस्य स्थापित नही हो पाने के कारण एक मंच पर नही आने के चलते भारतीय जनता पार्टी का देश की सत्ता तक जाने वाले मार्ग को प्रशस्त करने का काम सहज कर उसकी राह को आसान कर रहे है। भारतीय जनता पार्टी में आपसी गुटबाजी नही है इसे नाकारा नही जा सकता है। परन्तु भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व संगठन ने वर्तमान में संगठन में उभरने वाले स्वर को संगठन के अन्दर तक ही सीमित रख ऊपरी स्तर पर आने से इसे रोक रखा है। जिसके चलते वह अन्य राजनैतिक दलो पर भारी पडती नजर आती है।
ऐसे में यदि विपक्षी दलों को 2024 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में आने से रोकने के लिए प्रयास करने है तो सबसे पहले सभी प्रमुख क्षेत्रीय विपक्षी दलो को आपसी मतभेद भूलाने होगें वही कांगे्रस को भी आपसी खेमेंबाजी पर रोक लगा संगठन स्तर पर अपने को मजबूत कर अपने आम कार्यकर्ता तथा जनता के बीच पकड रखने वाले नेताओ को संगठन में जिम्मेदारी देकर उन पर विश्वास करना होगा तथा वह कंाग्रेस एक मजबूत तथा प्रमुख विपक्षी दल के रूप में भाजपा का 2024 के चुनावों में मजबूती के साथ मुकाबला करने में सक्षम होगी। वर्तमान दौर में भी कांगंे्रस के पास देश भर में अपना एक बडा कैडर वोट बैंक है जो संगठन में चल रही गुटबाजी के चलते धीरे धीरे क्षेत्रीय दलों तथा अन्य दलो की ओर झुकता जा रहा है ऐसे में यदि समय रहते कांग्रेस संगठन नही जागा तो वह दिन दूर नही जब वह भाजपा के कांग्रेस मुक्त भारत के स्वप्न को मूर्त रूप देने में सहायक होगी ।
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