देहरादून, हिमालयन बज द्वारा देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी के सहयोग से आयोजित मिस्टर एंड मिस उत्तराखंड 2023 पेजेंट का खिताब देहरादून के तुषार शाही व साइना रौतेला ने जीत लिया।
हरिद्वार रोड स्थित संस्कृति विभाग के प्रेक्षाग्रह में आयोजित ग्रैंड फिनाले में उत्तराखंड के सभी जिलों के 28 युवक और युवतियों ने भाग लिया। पेजेंट के दौरान जज के रूप में मॉडल और मिस नॉर्थ इंडिया 2021 सुहाना लेटका, एथलीट और स्ट्रॉन्गमैन चैंपियनशिप विजेता अमन वोहरा और फैशन फोटोग्राफर सिद्धार्थ शंकर ने विजेताओं को पुरस्कृत किया। प्रतियोगिता में कोटद्वार की अंजलि आर्य और देहरादून के भरत लूथरा ने फर्स्ट रनर-अप का खिताब हासिल किया। वहीं पौड़ी गढ़वाल की शिखा भारती और नैनीताल के अंशुल आर्य ने सेकेंड रनर-अप का खिताब जीता। मॉडल ऑफ द ईयर 2023 का खिताब रुद्रपुर की राशि धीमान और देहरादून के अभिमन्यु बडोला को दिया गया। पेजेंट के दौरान मुख्य खिताब के अलावा विभिन्न उप-प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। जिनमें गौरव भगत को मिस्टर टैलेंटेड, अनन्या केस्टवाल को मिस मल्टीमीडिया और यशस्वी पंवार को मिस मेलोडियस के खिताब से नवाजा गया। देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय की दीपा आर्या ने कहा प्रतियोगिता की मेजबानी को अद्भुत अनुभव बताया। हिमालयन बज़ के अनिरुद्ध बडोला ने कहा कि प्रतियोगिता को प्रतिभागियों और दर्शकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इस प्रतियोगिता से राज्य के कई प्रतिभाशाली युवाओं को फैशन और मनोरंजन की दुनिया में प्रवेश करने का एक सुनहरा मौका मिलेगा।
सीडीएस अनिल चौहान से मिले सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, दून के सेना अस्पताल में कार्डियो सुविधा का किया अनुरोध
नई दिल्ली, सूबे के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी दिल्ली दौरे पर हैं, जहां उन्होंने सोमवार को देश के सीडीएस जनरल अनिल चौहान से मुलाक़ात की। मंत्री ने सीडीएस को उत्तराखंड का जैविक मिलेट भी भेट किया। उन्होंने सीडीएस को निर्माणाधीन जनरल बिपिन रावत स्मारक के उद्घाटन के लिए 14 अप्रैल को देहरादून आने का आमंत्रण दिया।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने सीडीएस से अनुरोध किया कि देहरादून के सेना अस्पताल में कार्डियो (कैथलेब) की सुविधा न होने से पूर्व सैनिकों को अत्यधिक परिशानी होती है। पूर्व सैनिकों को एमएच से सामान्य जॉच के बाद रेफर कर दिया जाता है। मंत्री ने बताया कि कार्डियो की सुविधा होने के बाद पूर्व सैनिकों को इसका अत्यधिक लाभ मिलेगा।
इसके अतिरिक्त, मंत्री ने सीडीएस का धन्यवाद किया कि उनके अनुरोध पर सेना मुख्यालय ने देहरादून में निर्माणाधीन सैन्यधाम के लिए एक और सैन्य टैंक सहित जनरल बिपिन रावत स्मारक के लिए दो आरसीएल गन प्रदान की गई हैं।
इसके अतिरिक्त, मिलेट मिशन पर भी दोनों के बीच बात हुई।
उत्तराखण्ड़ का जांबाज कमांडेंट टीकम सिंह नेगी देश की रक्षा में हुआ शहीद, लद्दाख के नॉर्दर्न सब सेक्टर में थे तैनात
देहरादून, देश की रक्षा करते उत्तराखंड़ का एक जांबाज शहीद हो गया, शहीद जांबाज भारत-चीन सीमा पर पूर्वी लद्दाख के नॉर्दर्न सब सेक्टर में तैनात था । एसडीएम विकासनगर विनोद कुमार ने बताया कि कमांडेंट टीकम सिंह नेगी स्पेशल मिशन पर थे। वे वर्तमानम में राजावाला सहसपुर देहरादून में रहते हैं। परिवार को शहीद के बारे में खबर दे दी गई है। शहीद के पिता आरएस नेगी सेना से सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर हैं।
बेटे के शहीद होने की खबर से पूरे परिवार में कोहराम मच गया। सूचना के मुताबिक शहीद की अंत्येष्टि मंगलवार को सैन्य सम्मान के साथ की जाएगी।
नैनीताल में ग्रीष्मकालीन सीजन का शुभारंभ, दिनभर बन रही जाम की स्थिति
नैनीताल, सरोवर नगरी में वीकेंड पर सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। नगर के अधिकांश होटल सैलानियों से पैक हो गए। पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि इस बार ग्रीष्मकालीन सीजन का शुभारंभ समय से पहले शुरू हो गया है। वहीं वाहनों का दबाव बढ़ने के कारण शहर में दिनभर जाम की स्थिति बन रही है। जिसके प्रबंधन के लिए पुलिस ने पर्यटक वाहनों रोक रोककर शहर में प्रवेश दिया। अमूमन 15 अप्रैल के बाद ग्रीष्मकालीन सीजन शुरू होता है, लेकिन इस बार 15 दिन पहले ही शुरू हो हो चुका है। जिस कारण नगर की रंगत में निखार आ गया है। रविवार को नगर के मुख्य स्थानों के होटल दोपहर में ही पैक हो गए। शाम के समय पहुंचे सैलानियों को होटल के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी।
यही हाल पार्किंग स्थलों का भी रहा। डीएसए और मेट्रोपाेल पार्किंग सुबह से ही पैक हो गए। डे विजिट पर आने वाले सैलानियों की भारी भीड़ पहुंची । स्नोव्यू, हिमालय दर्शन, किलबरी, केव गार्डन, चिड़ियाघर, सरिताताल, वॉटर फॉल, बोटनिकल गार्डन व हनुमानगढ़ी में पूरे दिन सैलानियों की आवाजाही रही। मालरोड में चहल कदमी करने वाले सैलानियों की भीड़ रही। नौका विहार करने वाले सैलानियों का तांता लगा रहा। पर्यटकों की आमद बढ़ने से पर्यटन कारोबारी बेहद खुश हैं। इधर भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल, मुक्तेश्वर, रामगढ़, पंगोट, बजून व आदि समीपवर्ती पर्यटन स्थलों में भी चहल पहल बढ़ गई है।
नैनीताल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन अध्यक्ष दिग्विजय सिंह बिष्ट के अनुसार इस बार सैलानियों की आमद में इजाफा हुआ है। यातायात व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए स्थानीय प्रशासन को मुकम्मल व्यवस्थाएं करनी होंगी। पर्यटन सीजन की शुरूआत से ही पुलिस की यातायात व्यवस्था लड़खड़ा गई है। शहर के भीतरी पार्किंग स्थल फुल होने के कारण सुबह से ही तल्लीताल डांठ, मालरोड, मस्जिद तिराहा, हाई कोर्ट मार्ग में जाम लगा रहा। पार्किंग की तलाश में पर्यटक वाहन घंटो रेंगते रहे।
इधर दबाव बढ़ा तो व्यवस्था बनाने को पुलिस ने हल्द्वानी व भवाली मार्ग में टूटा पहाड़ व हनुमानगढ़ी के समीप वाहनों को रोक दिया। जहां से शहर के भीतर दबाव कम होने बाद धीरे धीरे वाहनों को भीतर प्रवेश दिया गया। शहर के मल्लीताल क्षेत्र में पर्यटक सड़क किनारे वाहन पार्क कर घूमने चला गया। काफी पुलिस द्वारा मुनादी करने के बाद भी जब सड़क से वाहन नहीं हटा तो पुलिस ने जैमर लगा दिया। वापस पहुंचने के बाद वाहन में जैमर लगा देख पर्यटक तिलमिला गया और उसने जैमर ही तोड़ दिया। पुलिस ने पर्यटक के विरूद्ध चालानी कार्रवाई करने के साथ ही जैमर का शुल्क भी वसूल किया। जानकारी के मुताबिक रविवार दोपहर मल्लीताल क्षेत्र में भारी जाम लग गया।
पुलिस ने गश्त कर सड़क किनारे वाहन हटवाये। मगर इस बीच एक वाहन काफी मुनादी करने के बाद भी नहीं हटाया गया तो पुलिस ने जैमर लगा दिया। करीब आधे घंटे बाद पर्यटक वापस पहुंचा तो वाहन में जैमर लगा देख हंगामा करने लगा। जब पुलिसकर्मियों ने उसे चालान करने के बाद ही जैमर खोलने की बात कही तो उसने जैमर तोड़ दिया। जिसके बाद पुलिस उसे पकड़ कोतवाली ले गई। जहां पर्यटक छोड़ने की गुहार लगाने लगा। कोतवाल धर्मवीर सोलंकी ने बताया कि यूपी निवासी अभिषेक के विरुद्ध चालानी कार्रवाई के साथ ही जैमर शुल्क वसूल किया गया है |
मसूरी मार्ग पर हुई बस दुर्घटना : निगम प्रबंधन की लापरवाही को माना जा रहा दुर्घटना की वजह
देहरादून, उत्तराखंड परिवहन निगम की लापरवाह कार्यशैली का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि अपनी बसें होने के बावजूद अनुबंधित बसों को निर्धारित मार्ग से हटाकर दूसरे मार्गों पर भेजा जा रहा है। रविवार को मसूरी मार्ग पर हुई बस दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण निगम प्रबंधन की इसी लापरवाही को माना जा रहा है। जिस बस का अनुबंध दून-सहारनपुर मार्ग के लिए है, उसे मसूरी मार्ग पर भेज दिया गया, जबकि बस के चालक के पास पर्वतीय मार्ग पर नियमित बस संचालन का अनुभव भी नहीं था। पर्वतीय डिपो (मसूरी डिपो) में परिवहन निगम की अपनी कुल 87 बसें हैं। इनमें सात बसें लंबी दूरी के मैदानी मार्गों की हैं। इन बसों में से एक का व्हीलबेस 218, जबकि छह बसों का व्हीलबेस 205 है। ये बसें पर्वतीय मार्गों पर संचालित नहीं हो सकतीं। इनके अलावा डिपो में 80 बसें पर्वतीय मार्गों की हैं, जिनका व्हीलबेस 166 है।
निगम प्रबंधन के अनुसार दूरस्थ पर्वतीय मार्गों पर 169 व्हीलबेस तक की बस को संचालन की अनुमति है, जबकि देहरादून-मसूरी मार्ग पर 195 व्हीलबेस तक की बस संचालित की जा सकती है। पर्वतीय डिपो की रोजाना 30 बसें मसूरी मार्ग पर संचालित होती हैं। इनमें 25 बसें देहरादून-मसूरी, जबकि शेष बसें मसूरी होकर दूसरे पर्वतीय स्थलों तक जाती हैं। नियमानुसार दून-मसूरी मार्ग पर संचालित 25 बसों को एक दिन में तीन ट्रिप यानी तीन बार आवाजाही करनी चाहिए, लेकिन ये बसें अधिकतम दो ही ट्रिप करती हैं। ऐसे में निगम यात्रियों की सुविधा के लिए दूसरे मार्गों की अनुबंधित बसों को मसूरी भेजने को मजबूर रहता है।
रविवार को जेएनएनयूआरएम की जो बस मसूरी-देहरादून मार्ग पर दुर्घटना का शिकार हुई, वह वर्ष 2019 माडल की है। तीन वर्ष पहले इस बस का अनुबंध परिवहन निगम में देहरादून-सहारनपुर मार्ग के लिए हुआ था और यह नियमित उसी मार्ग पर संचालित हो रही थी। अनुबंधित बसों में चालक बस आपरेटर का होता है, जबकि परिचालक परिवहन निगम का। इस बस में तैनात चालक रोबिन सिंह को मैदानी मार्ग पर नियमित बस संचालन का अनुभव तो था, लेकिन पर्वतीय मार्ग पर नियमित संचालन का अनुभव उसके पास नहीं था।
इसके बावजूद दून जेएनएनयूआरएम डिपो के कनिष्ठ केंद्र प्रभारी चंद्र किरण ने चालक रोबिन सिंह को सहारनपुर के बजाय मसूरी भेज दिया। दुर्घटना में चालक के नशे में होने की बात भी सामने आ रही है। नियमित कर्मी नहीं करते ज्यादा ट्रिप पर्वतीय डिपो में मसूरी मार्ग पर ज्यादातर चालक-परिचालक नियमित श्रेणी के हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर चालक-परिचालक एक या अधिकतम दो ही ट्रिप बस संचालन करते हैं। दून-मसूरी की आवाजाही 80 किमी की होती है। चूंकि, नियमित चालक-परिचालकों के लिए किमी की बाध्यता नहीं है, ऐसे में वह एक या दो ट्रिप के बाद ही बस डिपो में खड़ी कर चले जाते हैं। ऐसे में जब यात्रियों की भीड़ होती है तो निगम प्रबंधन अनुबंधित बस आपरेटरों पर दबाव बनाकर उनकी बसें मसूरी भेजता है।
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