Monday, December 23, 2024
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विधानसभा में कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर दोहरा चरित्र ना अपनाएं सरकार,अगर नियुक्तियां अवैध है तो नियुक्त देने वालों पर भी हो कठोर कार्यवाही : कुंजवाल

अल्मोड़ा, उत्तराखंड़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल ने आज जारी एक बयान में कहा कि विधानसभा में कार्यरत चुनिंदा कर्मचारियों को जिनकी नियुक्ति 2016 के बाद हुई थी को विधानसभा से निकाला जाना जहां सरकार की अपने चहेतों को बचाने की स्पष्ट साजिश है वहीं दूसरी ओर ये भारतीय संविधान में निहित समानता के अधिकार अनुच्छेद 16 का भी स्पष्ट उल्लंघन है।उन्होंने कहा कि समानता का अधिकार अनुच्छेद 16 स्पष्ट करता है कि राज्य के अधीन किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से सम्बन्धित मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी।ऐसे में 2001 से 2016 तक की नियुक्तियों को वैध और 2016 से आगे की नियुक्तियों को अवैध ठहराकर सरकार ने समानता के अधिकार अधिनियम की धज्जियां उडा़ दी हैं।उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा में हुई नियुक्तियां गलत तरीके से की गयी हैं तो 2001 से की गयी सभी नियुक्तियों को तत्काल निरस्त किया जाए।लेकिन सरकार ऐसा नहीं करेगी क्योंकि 2016 से पहले विधानसभा में हुई नियुक्तियों में भाजपा के मंत्रियों के नजदीकियों को बंदरबांट की गयी हैं।उन्होंने कहा कि विधानसभा में 2016 के बाद वाले कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर वाहवाही लूटने वाली स्पीकर ऋतु खंडूड़ी स्वयं सवालों के घेरे में हैं।उन्होंने कहा कि निजी कारणों से विधानसभा में 2016 से पहले के बैकडोर भर्ती वालों को बचाने का कार्य वे कर रही हैं।2016 से पहले की नियुक्तियों में कार्यवाही ना होना सीधे तौर पर उनकी भाई भतीजावाद की राजनीति को सिद्ध करता है।क्योंकि एक ओर वह हाईकोर्ट में खुद मान चुकी हैं की वर्ष 2001 से लेकर 2022 तक की सभी भर्ती अवैध हैं।उनके द्वारा हाईकोर्ट में काउंटर फाइल कर खुद कबूलनामा किया है।इसके बाद भी 2016 से पहले वालों को बचाने के लिए उन्होंने अब अपनी साख तक दांव पर लगा दी है।2016 से पहले विधानसभा में अवैध रूप से भर्ती हुए कई कर्मचारी ऐसे हैं,जिनकी विधानसभा में नियुक्ति उनके पिता बीसी खंडूड़ी के मुख्यमंत्री रहते हुए हुईं।इसमें तत्कालीन सीएम बीसी खंडूड़ी के पर्यटन सलाहकार की बेटी सहित कई हाई प्रोफाइल लोगों के परिजन शामिल हैं।श्री कुंजवाल ने कहा कि इन्हीं लोगों को बचाने के लिए स्पीकर ने भेदभाव भरी कार्यवाही करने से भी परहेज नहीं किया।उन्होंने आरोप लगाया कि जिस कार्यवाही को स्पीकर सत्य की जीत करार दे रहीं हैं, दरअसल वो एक अधूरा और झूठा सत्य है।खुद स्पीकर की बनाई डीके कोटिया समिति ने भी अपनी रिपोर्ट के प्वाइंट नंबर 12 में साफ किया है कि राज्य गठन के बाद से लेकर अभी तक की सभी भर्तियां अवैध हैं।इसी के साथ विधानसभा के हाईकोर्ट में दाखिल काउंटर के प्वाइंट नंबर 14 में भी विधानसभा ने सभी भर्तियों को अवैध करार दिया है।इसके बाद भी स्पीकर का विधिक राय के नाम पर 2016 से पहले की नियुक्ति वालों को बचाना असंवैधानिक है।उन्होंने कहा कि कार्यवाही सभी के खिलाफ एक समान रूप से होनी चाहिए।सत्ता पक्ष के लोगों को बचाने के लिए दोहरे नियम लागू हो रहे हैं।एक ही प्रक्रिया से भर्ती हुए सभी अवैध भर्ती वालों पर एक्शन होना चाहिए।उन्होंने कहा कि जीरो टालरेंस का दावा करने वाली भाजपा सरकार की पोल जनता के समक्ष खुल चुकी है।उन्होंने मांग की है कि यदि कार्यवाही की जानी है तो 2001 से 2022 तक की सभी अवैध नियुक्तियों को निरस्त किया जाए अन्यथा द्वेषपूर्ण राजनीति के तहत निकाले गये 2016 के बाद के कार्मिकों की भी नियुक्ति बहाल की जाए।पूर्व स्पीकर कुंजवाल ने कर्मचारियों की बर्खास्तगी को एकतरफा बताते हुए नियुक्ति कर्ता पर भी कार्यवाही की मांग की है।कुंजवाल ने कहा कि कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है तो उनको नियुक्ति देने वाले पर अब तक कार्यवाही क्यों नहीं हुई?कुंजवाल ने कहा कि कर्मचारियों को नियुक्ति देने वाले स्पीकरों पर कार्यवाही होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि मेरे और अन्य स्पीकर के खिलाफ जांच होनी चाहिए।यदि वे भी आरोपी घोषित होते हूं तो वे दण्ड भुगतने के लिए तैयार हैं।कुंजवाल ने कहा कि विधानसभा ने मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी की टीम गठित की थी।एक्सपर्ट कमेटी ने साफ किया कि राज्य बनने के बाद विधानसभा में सभी नियुक्तियां गलत हैं।उन्होंने कहा कि उक्त नियुक्तियों को यदि न्यायालय भी अवैध घोषित करता है तो नियुक्त देने वाले नियुक्ति कर्ताओं पर भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए ताकि भविष्य में युवाओं के साथ इस तरह का खिलवाड़ ना हो।

 

त्यागी सभा का वार्षिक अधिवेशन : सहस्त्रधारा चौक पर महावीर त्यागी की मूर्ति हो स्थापित

 

देहरादून, डालनवाला एम डी डी ए कालोनी चंदर रोड के कम्यूनिटी सेंटर में त्यागी सभा का वार्षिक अधिवेशन आयोजित किया गया, जिसमें सर्वसम्मति से नई सत्रह सदस्यीय कार्यकारणी का गठन किया गया । जिसमें अध्यक्ष सतीश त्यागी, उपाध्यक्ष सतपाल त्यागी शिव नीरज त्यागी उपसचिव राम नरेश त्यागी कोषाध्यक्ष अमित त्यागी एवम कार्यकारणी सदस्य राधे श्याम त्यागी टीटू त्यागी अनिल त्यागी शरद त्यागी अजय त्यागी दुष्यंत त्यागी धीरेंद्र त्यागी सोम दत्त त्यागी नीरज त्यागी शिशिर त्यागी को जिम्मेवारी दी गई ।
अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद सतीश त्यागी ने अपने संबोधन में त्यागी समाज को एकजुट होकर मजबूती से रहना होगा और प्रदेश में अपनी मजबूत पहचान बनानी होगी जिसके लिए आपसी सामंजस्य एवम सामूहिक प्रयास करने होंगे । कार्यकारणी सदस्य टीटू त्यागी ने कहा कि प्रदेश के निर्माण एवम सामाजिक राजनैतिक दृष्टिकोण से हमारी महत्वपूर्ण भागीदारी रही है लेकिन हम बिखरे हुए है जिससे हमें तवज्जो नही मिलती हमे मजबूती से एकजुट होकर अपनी पहचान बनानी होगी । उन्होंने कहा कि सहस त्रधारा क्रॉसिंग में मेरी माता जी श्रीमती मूर्ति देवी जो कि पार्षद थी ने महावीर त्यागी का शिला पट्ट लगाने का कार्य किया वहां पर पूर्व सांसद महावीर त्यागी जिनका समाज में काफी लोकप्रियता हासिल थी वो हमारे प्रेरणा स्रोत है सरकार उनकी मूर्ति स्थापित करे । उन्होंने कहा कि त्यागी समाज को अल्पसंख्यक होने का जैन समाज की तरह ओ बी सी का लाभ मिलना चाहिए ।
इस अवसर पर पूर्व पार्षद आनंद त्यागी राजेंद्र कुमार त्यागी हरी राज त्यागी विनोद त्यागी रुड़की त्यागी सभा से जे डी त्यागी राकेश त्यागी रोबिन त्यागी हेमंत त्यागी प्रमोद त्यागी देवेंद्र त्यागी सत्यवर्त त्यागी वीरेंद्र त्यागी जितेंद्र त्यागी के के त्यागी आदि उपस्थित थे ।

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