Monday, November 25, 2024
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पहाड़ों में डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी से स्वास्थ्य सेवा बुरी तरह चरमराई

(विनोद खंडूड़ी)

देहरादून, बीते सालों में उत्तराखंड में राज्य सरकार के अधीन चार मेडिकल कालेज स्थापित हुए और ऋषिकेश में केन्द्र सरकार के अधीन एम्स में कई कोर्स आरम्भ किए गए। राज्य सरकार के अधीन नर्सिंग कॉलेज खुले हैं। आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय शुरू किया गया। इसके साथ ही निजी क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज, पैरामेडिकल कॉलेज स्थापित हुए हैं।
मेडिकल और पैरामेडिकल शिक्षा में हुए इस बदलाव के नतीजों की परख केवल शहरी इलाकों में बढी स्वास्थ्य सुविधाओं से नहीं की जा सकती, बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की विरल पहुंच और उनकी गुणवत्ता के अभाव का मामला आज भी राजनैतिक बहस का मुद्दा बना हुआ है। इसकी तथ्यात्मक बानगी को बताने के लिए केन्द्र सरकार के नीति आयोग की स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट काफी है। 24 संकेतकों के आधार पर तैयार किए गए नीति आयोग के स्वास्थ्य सूचकांक में नवजात शिशु मृत्यु दर, पांच वर्ष से कम के शिशु में मृत्यु दर, जन्म पर लिंगीय अनुपात, मातृ मृत्यु दर, पूर्णत: टीकाकरण का स्तर, जन्म-मृत्यु पंजीकरण का स्तर, संस्थागत प्रसव, चालू स्वास्थ्य केन्द्रों एवं वैलनेस सेंटर का अनुपात, मानव संसाधन की तैनाती और राज्य सरकार के कुल खर्चे में स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यय का अनुपात जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं।
स्वास्थ्य सूचकांक के लिए राज्यों को बड़े राज्य, छोटे राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश की तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। स्वास्थ्य सूचकांक साल-दर-साल के आधार पर तैयार किया गया है इसका फायदा ये है कि राज्यों के लिए यह देखने में मदद मिलती है कि उसके प्रदर्शन में कितना सुधार हुआ या कमी आई है। इससे राज्यों को सुधार करने के लिए प्रेरणा मिलती है। स्वास्थ्य सूचकांक की गणना के लिए संदर्भ वर्ष, 2019-20 के लिए आधार वर्ष, 2018-19 है। बड़े राज्यों में संदर्भ वर्ष के स्वास्थ्य सूचकांक में पहले स्थान पर यानी पहले रैंक पर 82.20 अंकों के साथ केरल मौजूद है, आधार वर्ष में भी केरल 81.60 अंकों के साथ पहले रैंक पर था। तमिलनाडु भी आधार वर्ष (70.79 अंक) और संदर्भ वर्ष (72.42 अंक) दोनों बार दूसरे रैंक पर है। जबकि उत्तराखंड आधार वर्ष में 43.63 अंकों के साथ 14वें रैंक पर था परन्तु संदर्भ वर्ष, 2019-20 में वह एक रैंक नीचे चला गया हालांकि उसके अंक बढ कर 44.21 हो गए। केरल को मिले अंकों के मुकाबले उत्तराखंड के स्कोर में लगभग 38 अंकों का फासला है, जो दिखाता है कि क्यों उत्तराखंड में केरल के मुकाबले स्वास्थ्य सेवा की हालत काफी खराब है जिसके सुधार के लिए सरकार हर बार दावे करती रहती है।
आधार वर्ष के मुकाबले संदर्भ वर्ष में वृद्धि संबंधी सुधार में उत्तर प्रदेश ने 5.52 अंक बढोतरी की, जिसके बाद उसका कुल स्कोर 30.57 हो गया, परन्तु फिर भी उत्तर प्रदेश 19 बड़े राज्यों में आखिरी रैंक पर खड़ा है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश ने आधार वर्ष और संदर्भ वर्ष दोनों में रैंक के मामले में क्रमश: अपने 16,17,18 व 19 वें रैंक बरकरार रखे हैं, जबकि उत्तराखंड एक पायदान नीचे चला गया। यह साफ बता रहा है कि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था की समग्र तस्वीर के मामलें में उत्तराखंड बड़े राज्यों में पिछड़ी हालत में खड़ा है।

 

अच्छी पहल : अब ग्रामीणों को जंगलो में लगने वाली आग बुझाने पर मिलेगी प्रोत्साहन राशि

जंगलों की आग से बचने के उपाय छुपे हैं ग्रामीण परिवेश में - Demokratic Front

देहरादून, उत्तराखंड के जंगलों में हर साल लगने वाली आग को बुझाने में ग्रामीणों की अहम भूमिका रहती है, लेकिन इसके एवज में उन्हें कुछ नहीं मिलता। पहली बार धामी सरकार इस काम के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहन राशि देने जा रही है। प्रथम चरण में चीड़ बाहुल्य वन प्रभागों को योजना में लिया जा रहा है।

इसमें वन पंचायतों का क्षेत्र भी शामिल होगा। इसके लिए वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा रहा है। राज्य के वनों में प्रतिवर्ष औसतन दो हजार से 22 सौ वनाग्नि की घटनाएं होती हैं। इनमें हर साल करीब तीन हजार हेक्टेयर से अधिक जंगल जल जाता है। वर्ष 2022 में अब तक वनाग्नि की 2,186 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें 3425.05 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा, जबकि इससे पहले वर्ष 2021 में वनाग्नि की 2,780 वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गई थीं।

बीते सालों में सर्दियों के मौसम में भी वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं। इस समस्या से पार पाने के लिए पहली बार ग्राम पंचायत स्तर पर वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा रहा है। अभी तक तीन वन प्रभागों अल्मोड़ा, टिहरी और गोपेश्वर में 48 वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा चुका है। समिति में ग्रामीणों के साथ ग्राम पंचायतों, वन पंचायतों के सरपंच और वनकर्मियों को शामिल किया जा रहा है। प्रदेश में अकेले 11 हजार 300 वन पंचायतें हैं। इन्हें अस्थायी तौर पर आसपास के जंगलों की वनाग्नि से सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी।

जंगल में आग लगने पर यदि यह समितियां तत्परता दिखाते हुए उसे बुझा देती हैं, तो उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह राशि कितनी होगी, इस पर अभी विचार किया जा रहा है। प्रदेश में वनाग्नि पर काबू पाने के लिए प्रतिवर्ष करीब 15 करोड़ रुपये के आसपास खर्च किए जाते हैं।

वनाग्नि पर काबू पाने के लिए जन सहभागिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है। इस बाबत शीघ्र ही शासन में बैठक के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

 

 

जौनपुर में पांच दिवसीय स्काउट तृतीय सोपान शिविर का विधिवत् समापनMay be an image of 4 people, people standing, people walking and outdoors

टिहरी, अटल आदर्श उत्कृष्ट विद्यालय रा.इ. कालेज घोड़ाखूरी जौनपुर में पांच दिवसीय स्काउट तृतीय सोपान शिविर का आज समापन किया गया जिसमें जिला स्कॉउट कमिश्नर केएल शाह एवं जौनपुर ब्लॉक सचिव मदन मोहन सेमवाल शिविरा स्थल पहुंचे l
इस पूरे शिविर का संचालन श्रीमती रश्मि परमार एवं स्काउट मास्टर शैलेंद्र सिंह बिष्ट जी के द्वारा किया गया। शिविर में इस 05 दिनों में स्काउट/गाईड को प्रशिक्षित किया गया l तृतीय सोपान में दिए गए पाठ्यक्रम के अनुसार तंबू निर्माण ,प्राथमिक चिकित्सा, दिशा का ज्ञान हाइकिंग, आदि अनेक प्रकार की गतिविधियां कराई गई।अंत में स्काउट गाइड की दीक्षा जिला कमिश्नर केएल शाह और ब्लॉक सचिव मदन मोहन सेमवाल के द्वारा स्काउट/गाईड को दीक्षा दी गईl जिसमें निम्न विद्यालय अटल उत्कृष्ठ विधालय राइकॉलेज घोड़ा खूरी, नैनबाग, श्रीकोट ,म्याणी, केम्टी,राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भूट गांव के स्काउट एवं गाइड ने इसमें प्रतिभा किया उक्त शिविर में गाईड 24, स्काउट 29 कुल 53 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया है |May be an image of 5 people, people standing and outdoors
इस शिविर में श्री वीर सारस्वत,करमचंद सिंह रावत ,श्रीमती मीरा डिमरी, और घोड़ाखूरी से श्री मोहम्मद नासिर एवं शिविर संचालिका श्रीमती रश्मि परमार के साथ विद्यालय के सभी शिक्षक साथियों एवं शिक्षिका बहनों ने इसमें प्रतिभा किया है। एमडीएम प्रभारी शांति सिंह हनुमंती ,विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मनवीर सिंह रावत इस शिविर में पूर्ण सहयोग करते रहे हैं और अपनी उपस्थिति बनाए रखी l विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री प्रशांत बिष्ट जी ने इस कार्यक्रम को संचालन में अपना पूर्ण तन मन धन से सहयोग किया है और उन्हीं के सहयोग एवं उनके कुशल निर्देशन में उक्त कार्यक्रम संपन्न हुआ | स्काउट कार्यक्रम का संचालन स्काउट/गाईड कुमारी काजल द्वारा किया गया इस अवसर पर 5 दिवस की रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी, जिसमें स्काउट जिला स्कॉउट कमिश्नर केएल शाह द्वारा प्रशंसा की गई कि भविष्य में पुनः इसी प्रकार यह प्रशिक्षण अगले विद्यालय में संचालित किया जाएगा, साथ ही इस शिविर में शिक्षक अभिभावक संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री त्रेपन सिंह रावत द्वारा ब्रह्मांड ब्रह्मांड एवं ऊर्जा संबंधित बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई। ग्राम घोड़ा खूरी के ग्राम प्रधान श्रीमती आरती एवं आदेश असवाल तथा ग्राम मैहर के अरविंद सिंह कंडारी भी इस शिविर में अपना पूर्ण सहयोग किया है।

 

लोक पर्यावरण शिक्षा संस्थान और ओआरबीआईएस ने हरिद्वार के तीन कुष्ठ आश्रमों में वितरित किया पौष्टिक आहार

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ॠषिकेश, लोक पर्यावरण शिक्षा संस्थान ने ORBIS के सहयोग आहार वितरण किया, हरिद्वार के तीन कुष्ठ आश्रमों जिनमें श्री गंगा माता कुष्ठ आश्रम में 21 कुष्ठ रोगियों, चिदानंद कुष्ठ आश्रम में 70 कुष्ठ रोगियों एवं स्वामी विवेकानंद कुष्ठ आश्रम में 39 कुष्ठ रोगियों सूखा राशन वितरित किया, जिसके अन्तर्गत प्रतिमाह दो बार 130 कुष्ठ रोगियों को सुखा राशन एवं पौष्टिक आहार दूध फल चीनी चाय पत्ती आदि सामग्री दी जाती है।
श्यामलाल भाई पर्यावरणविद ने बताया कि हरिद्वार ऋषिकेश में लोक पर्यावरण शिक्षा संस्थान के निवेदन पर ओआरबीआईएस फाइनेंस कंपनी के लिए निदेशक अतुल गुप्ता ने इन तीन कुष्ठ आश्रम का भ्रमण किया जिसमें उन्हें लगा कि समाज में कुष्ठ रोगियों को अलग अलग रखा जाता है। श्री श्याम लाल भाई का मानना है कि यह बीमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होती है। हालांकि यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण हो सकता है। इसके लिए कुष्ठ रोगियों को अलग रखा जाता है और समाज में इनके साथ कोई खाने एवं बैठने के लिए तैयार नहीं होता है इसके लिए हमें इन्हें स्वस्थ जीवन की कामना के लिए हमें कुष्ठ रोग निरोग कार्यक्रम की आवश्यकता महसूस हुई और इसी उद्देश्य को लेकर ORBIS फाइनेंस कंपनी द्वारा अपनी सीएसआर के तहत कुष्ठ रोगियों के सहयोग के लिए सुखा राशन एवं दूध फल आदि वितरण करने का निर्णय लिया गया और प्रतिमाह 130 कुष्ठ रोगियों को पोस्टिक आहार में राशन दूध फल चीनी चायपत्ती आदि का सहयोग किया जाता है।

 

 

तरल एवं ठोस अपशिष्ट के बेहतर प्रबंधन हेतु जनपद स्तरीय गोष्ठी का हुआ आयोजन

अल्मोड़ा, प्लास्टिक/ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन रूल 2016 के उपबंधों के क्रियान्वयन हेतु तथा शासन द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में आज विकास भवन सभागार में तरल एवं ठोस अपशिष्ट के बेहतर प्रबंधन हेतु एक जनपद स्तरीय गोष्ठी का आयोजन स्वच्छ भारत मिशन एवं शहरी विकास विभाग के तत्वाधान में अध्यक्ष नगरपालिका अल्मोड़ा प्रकाश चंद्र जोशी की अध्यक्षता में किया गया। इस गोष्ठी में जनपद के सभी स्थानीय निकायों के अधिकारी, जिला पंचायत, राजस्व विभाग समेत अन्य संबंधित विभागों द्वारा प्रतिभाग किया गया। यहां मास्टर ट्रेनरों द्वारा समय समय पर माननीय न्यायालयों, राष्ट्रीय हरित न्याय द्वारा दिए गए आदेशों, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट अधिनियम के प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस दौरान प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरों के बारे में तथा इसके विकल्प के तौर पर प्रयोग की जा सकने वाले सामग्री समेत अन्य ठोस अपशिष्ट से संबंधित अन्य प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
इस दौरान उपस्थित अधिकारियों ने ठोस अपशिष्ट के निस्तारण संबंधी अपने अपने सुझाव एवं अनुभव भी साझा किए। इस दौरान अध्यक्ष नगरपालिका प्रकाश चंद्र जोशी ने कहा कि सोर्स सेग्रीगेशन एवं शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों में कूड़े को अलग अलग करने के प्रति जागरूक करने पर बल दिया जाना चाहिए। प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव ने प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में बताया तथा कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं इसके विकल्प का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज सुविधा के लिए प्लास्टिक का प्रयोग करने से हम आने वाले कल को मुस्किल में डाल रहे हैं, इसलिए हमे कल की परवाह करते हुए आज ही सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न करते हुए इसके विकल्पों का प्रयोग करना चाहिए। अधिशाषी अधिकारी अल्मोड़ा/मास्टर ट्रेनर भरत त्रिपाठी ने गोष्ठी में अल्मोड़ा में की गई कार्यवाहियों की जानकारी दी तथा सभी उपस्थित अधिकारियों को गोष्ठी के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आरसी पंत, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत राजेंद्र सिंह समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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