ग्वालियर, भारत का 70 साल का इंतजार शनिवार को खत्म हो गया। नामीबिया से आए 8 चीतों ने देश की सरजमीं पर पहला कदम रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में बॉक्स खोलकर दो चीतों को क्वारंटीन बाड़े में छोड़ा। रिकॉर्डेड भाषण में पीएम मोदी ने चीते भेजने के लिए नामीबिया का आभार माना।
पीएम मोदी ने चीता मित्रों से कहा- कूनो में चीता फिर से दौड़ेगा तो यहां बायोडायवर्सिटी बढ़ेगी। यहां विकास की संभावनाएं जन्म लेंगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। PM ने लोगों से अपील की कि अभी धैर्य रखें, चीतों को देखने नहीं आएं। ये चीते मेहमान बनकर आए हैं। इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो को ये अपना घर बना पाएं, इसके लिए इनको सहयोग देना है।
कूनो में प्रधानमंत्री के लिए 10 फीट ऊंचा प्लेटफॉर्मनुमा मंच बनाया गया था। इसी मंच के नीचे पिंजरे में चीते थे। प्रधानमंत्री ने लीवर के जरिए बॉक्स को खोला। चीते बाहर आते ही अनजान जगह में सहमे हुए दिखे। सहमते कदमों के साथ इधर-उधर नजरें घुमाईं और चहलकदमी करने लगे। लंबे सफर की थकान चीतों पर साफ दिख रही थी। चीतों के बाहर आते ही PM मोदी ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया। मोदी ने कुछ फोटो भी क्लिक किए। 500 मीटर चलकर मोदी मंच पर पहुंचे थे। उनके साथ राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी थे। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है।
कूनो में चीतों को छोड़ने के बाद पीएम मोदी ने इनकी तस्वीरें भी खीचीं। पीएम के पास कैमरा था। चीते जैसे ही बाड़े से निकले पीएम ने कैमरा उठा लिया और फोटोज क्लिक करने लगे।
कूनो में चीतों को छोड़ने के बाद पीएम मोदी ने इनकी तस्वीरें भी खीचीं। पीएम के पास कैमरा था। चीते जैसे ही बाड़े से निकले पीएम ने कैमरा उठा लिया और फोटोज क्लिक करने लगे।
पीएम मोदी के भाषण की खास बातें :
हमने उस समय को भी देखा, जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मान लिया गया था। 1947 में जब देश में केवल 3 चीते बचे थे, तो उनका भी शिकार कर लिया गया।
ये दुर्भाग्य रहा कि 1952 में हमने चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक सार्थक प्रयास नहीं किए। आज आजादी के अमृत काल में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है।
यह एक ऐसा काम है, राजनीतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, इसके पीछे हमने वर्षों ऊर्जा लगाई। चीता एक्शन प्लान बनाया। हमारे वैज्ञानिकों ने नामीबिया के एक्सपर्ट के साथ काम किया। पूरे देश में वैज्ञानिक सर्वे के बाद नेशनल कूनो पार्क को शुभ शुरुआत के लिए चुना गया।
प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी भारत के लिए सस्टेनेबिलिटी और सिक्योरिटी के विषय नहीं हैं। हमारे लिए ये सेंसिबिलिटी और स्प्रिचुअलिटी का भी आधार हैं।
प्रधानमंत्री ने कूनो नेशनल पार्क के कुछ फोटोज अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी शेयर किए
कूनो में चीतों को छोड़ने के बाद मोदी ने चीता मित्रों से बात की। वन विभाग ने चुनिंदा स्थानीय लोगों को चीता मित्र बनाया है। ये लोग स्थानीय ग्रामीणों को तेंदुए और चीते का फर्क बताएंगे। साथ ही उनकी सुरक्षा के लिए जागरूक करेंगे।
कूनो में चीतों को छोड़ने के बाद मोदी ने चीता मित्रों से बात की। वन विभाग ने चुनिंदा स्थानीय लोगों को चीता मित्र बनाया है। ये लोग स्थानीय ग्रामीणों को तेंदुए और चीते का फर्क बताएंगे। साथ ही उनकी सुरक्षा के लिए जागरूक करेंगे।
सीएम शिवराज बोले- इससे बड़ा तोहफा नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कूनो जाने से पहले विशेष विमान से दिल्ली से ग्वालियर पहुंचे। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने उन्हें रिसीव किया। मुख्यमंत्री ने कहा, मप्र के लिए इससे बड़ा कोई तोहफा नहीं। देश में चीते विलुप्त हो गए थे और इन्हें फिर से बसाना एक ऐतिहासिक कदम है। यह इस सदी की सबसे बड़ी वन्यजीव घटना है। इससे मध्यप्रदेश में पर्यटन को तेजी से बढ़ावा मिलेगा, नामीबिया से चीतों को भारत भेजने से पहले एक्सपर्ट्स ने उनकी सेहत की जांच की थी। जांच के बाद सुनिश्चित किया गया कि चीतों को सफर के दौरान कोई दिक्कत नहीं होगी।
नामीबिया से चीतों को भारत भेजने से पहले एक्सपर्ट्स ने उनकी सेहत की जांच की थी। जांच के बाद सुनिश्चित किया गया कि चीतों को सफर के दौरान कोई दिक्कत नहीं होगी।
नामीबिया में जांच के बाद चीतों को पिंजरे में शिफ्ट किया गया। इसके बाद एयरपोर्ट ले जाया गया। इनकी उम्र ढाई से साढ़े पांच साल के बीच है। चीते की औसत उम्र 12 साल होती है।
नामीबिया में जांच के बाद चीतों को पिंजरे में शिफ्ट किया गया। इसके बाद एयरपोर्ट ले जाया गया। इनकी उम्र ढाई से साढ़े पांच साल के बीच है। चीते की औसत उम्र 12 साल होती है।
8 चीतों के पिंजरों को कंटेनर में रखकर एयरपोर्ट लाया गया। चीतों को खाली पेट रखा गया। एक्सपर्ट के मुताबिक शिफ्टिंग के दौरान जानवर का पेट खाली होना चाहिए।
8 चीतों के पिंजरों को कंटेनर में रखकर एयरपोर्ट लाया गया। चीतों को खाली पेट रखा गया। एक्सपर्ट के मुताबिक शिफ्टिंग के दौरान जानवर का पेट खाली होना चाहिए।
चीतों को खास तरह के पिंजरों में लाया गया। लकड़ी के बने इन पिंजरों में हवा के लिए कई गोलाकार छेद किए गए हैं। टीम ने पिंजरों को विमान में रखने से पहले चीतों को चेक किया।
चीतों को खास तरह के पिंजरों में लाया गया। लकड़ी के बने इन पिंजरों में हवा के लिए कई गोलाकार छेद किए गए हैं। टीम ने पिंजरों को विमान में रखने से पहले चीतों को चेक किया।
कूनो के लिए नामीबिया से 8 चीतों का सफर शुक्रवार को शुरू हुआ। चीते CCF (चीता कंजर्वेशन फंड) एरिया से एयरपोर्ट लाए गए। एक बॉक्स में एक चीते को रखा गया था।
कूनो के लिए नामीबिया से 8 चीतों का सफर शुक्रवार को शुरू हुआ। चीते CCF (चीता कंजर्वेशन फंड) एरिया से एयरपोर्ट लाए गए। एक बॉक्स में एक चीते को रखा गया था।
मालवाहक बोइंग विमान ने शुक्रवार रात को नामीबिया से उड़ान भरी थी, जो शनिवार की सुबह ग्वालियर पहुंचा। इसके साथ ही 70 साल बाद चीते भारत आए।
मालवाहक बोइंग विमान ने शुक्रवार रात को नामीबिया से उड़ान भरी थी, जो शनिवार की सुबह ग्वालियर पहुंचा। इसके साथ ही 70 साल बाद चीते भारत आए।
चीतों को विमान से हेलिकॉप्टर में शिफ्ट करने में करीब आधा घंटे का समय लगा। इसके बाद चिनूक हेलिकॉप्टर से चीतों को कूनो के लिए लिए रवाना किया गया।
चीतों को विमान से हेलिकॉप्टर में शिफ्ट करने में करीब आधा घंटे का समय लगा। इसके बाद चिनूक हेलिकॉप्टर से चीतों को कूनो के लिए लिए रवाना किया गया।
श्योपुर के कूनो पालपुर अभयारण्य पहुंचने के बाद बॉक्स में लाए गए 8 चीतों की जांच की गई। इस दौरान नामीबिया के एक्सपर्ट भी साथ थे।
श्योपुर के कूनो पालपुर अभयारण्य पहुंचने के बाद बॉक्स में लाए गए 8 चीतों की जांच की गई। इस दौरान नामीबिया के एक्सपर्ट भी साथ थे।
कूनो पालपुर अभयारण्य में नामीबिया से लाए गए चीतों के हर मूवमेंट पर वन अफसरों और एक्सपर्ट की नजर रहेगी, इसलिए चीतों को हाई फ्रिक्वेंसी कॉलर आईडी के साथ छोड़ा गया है।
कूनो पालपुर अभयारण्य में नामीबिया से लाए गए चीतों के हर मूवमेंट पर वन अफसरों और एक्सपर्ट की नजर रहेगी, इसलिए चीतों को हाई फ्रिक्वेंसी कॉलर आईडी के साथ छोड़ा गया है।
8 चीतों में 2 सगे भाई भी
दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया विश्वविद्यालय में प्रो. एड्रियन ट्रोडिफ ने बताया कि भारत आए 8 चीतों में दो सगे भाई हैं। इनकी उम्र ढाई से साढ़े पांच साल के बीच है। चीते की औसत उम्र 12 साल होती है।
बड़े मांसाहारी वन्यप्राणी की दुनिया में पहली शिफ्टिंग
बड़े मांसाहारी वन्यप्राणी की शिफ्टिंग की यह दुनिया की पहली परियोजना है। जिन चीतों को पार्क के क्वारंटीन बाड़े में छोड़ा जाएगा, उन्हें लाने के लिए भारत और नामीबिया सरकार के बीच 20 जुलाई 2022 को एग्रीमेंट हुआ था।
देश में 500 चीते होंगे, तब मानेंगे री-अरेंजमेंट
एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत में चीतों का पुनर्व्यवस्थापन (री-अरेंजमेंट) तब माना जाएगा, जब यहां चीतों की संख्या 500 हो जाएगी। इस टारगेट को पूरा करने के लिए साउथ अफ्रीका और नामीबिया से हर साल 8 से 12 चीते भारत भेजे जाएंगे। इसके अलावा भारत में चीतों की वंश वृद्धि भी इसमें शामिल होगी। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों के आधार पर चीतों के रहन-सहन समेत अन्य मानकों का पूरा खाका बन गया हैम|
चीतों का नामकरण उनके स्वभाव का अध्ययन करने के बाद किया जाएगा। हर एक वन्य प्राणी का अपना स्वभाव होता है। कोई इंसानों को पसंद करता है, तो कई आक्रामक होता है। पार्क के DFO प्रकाश कुमार वर्मा का कहना है कि चीतों के लिए उनके केयर टेकर भी नियुक्त किए जाएंगे। सभी केयरटेकर के अनुभव को रिकॉर्ड में लिया जाएगा। इसके बाद नामकरण किया जाएगा। इसमें तीन से पांच महीने तक का वक्त लग सकता है।
पीएम मोदी ने कूनो में चीते छोड़ दिए हैं। इस मौके पर 70-80 के दशक के कुख्यात डकैत रमेश सिंह सिकरवार भी मौजूद थे। अपने समय के दस्यु सम्राट रहे रमेश सिंह अब चीता मित्र हैं। प्रधानमंत्री ने चीता मित्रों से भी मुलाकात की।चीता प्रोजेक्ट के पीछे मप्र कैडर के 1961 बैच के आईएएस अफसर एमके रंजीत सिंह की 50 साल की मेहनत है। उन्होंने 1972 में भारत को फिर से चीतों का घर बनाने का आइडिया सबसे पहले दिया और इस प्रोजेक्ट का ड्राफ्ट तैयार किया था। तब ईरानी चीतों को लाने का एग्रीमेंट इस शर्त के साथ हुआ था कि भारत उन्हें लायन देगा।
Recent Comments