रामनगर। सबसे कम उम्र में देश की आजादी के लिए फांसी का फंदा चूमने वाले क्रांतिकारी खुदीराम बोस की शहादत दिवस के मौके पर गुरुवार को याद करते हुए रचनात्मक शिक्षक मण्डल की पहल पर सैफी पब्लिक स्कूल में स्कूली बच्चों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम किये गए। शुरुआत आजादी के दौर के गीत हम हैं इसके मालिक, सरफ़रोशी की तमन्ना, मैं उनके गीत गाता हूं से हुई। कक्षा तीन के विहान अग्रवाल ने पियानो पर सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, ए वतन प्यारे वतन, हम होंगे कामयाब गा कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। शिक्षक मण्डल के संयोजक नवेन्दु मठपाल ने खुदीराम बोस के जीवन व क्रांतिकारी कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि उनका जन्म 3 दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में त्रैलोक्यनाथ बोस के यहां हुआ था। अंग्रेजी दौर में खुदीराम बोस स्कूल के दिनों से ही अंग्रेजों के खिलाफ राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने लग गए थे।
देश को आजाद कराने के लिए उन्होंने 9वीं कक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी और 1905 में बंगाल का विभाजन होने के बाद देश को आजादी दिलाने के लिए स्वदेशी आंदोलन में कूद पड़े। सत्येन बोस के नेतृत्व में वह रिवॉल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने। 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में चलाए गए आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया। खुदीराम बोस बंगाल के कई देशभक्तों को कड़ी सजा दिए जाने पर मुजफ्फरपुर के सेशन जज किंग्सफोर्ड से बेहद खफा थे। उन्होंने अपने साथी प्रफुल्लचंद चाकी के साथ मिलकर सेशन जज किंग्सफोर्ड से बदला लेने के लिए 6 दिसंबर 1907 को नारायगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया, परंतु गवर्नर बच गया। सन् 1908 में उन्होंने दो अंग्रेज अधिकारियों पर और मुजफ्फरपुर में सेशन जज किंग्सफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंक दिया, लेकिन उस समय गाड़ी में किंग्सफोर्ड मौजूद न होने से बच गया। अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लगी तो वैनी रेलवे स्टेशन पर अपने को पुलिस से घिरा देख प्रफुल्लचंद चाकी खुद को गोली मारकर शहीद हुए जबकि बोस पकड़े गए। 11 अगस्त 1908 को उन्हें मुजफ्फरपुर जेल में जब फांसी दी गई तो उस समय उनकी उम्र मात्र 19 साल थी। उन्हें देश के लिए फांसी पर चढ़ने वाला सबसे कम उम्र का क्रांतिकारी देशभक्त मानते हैं। इस दौरान प्रतिभागी बच्चों द्वारा आजादी के संग्रामियों के चित्र भी बनाये।खुदीराम बोस के जीवन पर फ़िल्म भी दिखाई गई। कार्यक्रम स्थल को गीतों के पोस्टर व तिरंगे से आकर्षक तरीके से सजाया गया था। इस मौके पर सैफी पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष मौ. शाहनवाज, मौ. सुल्तान, अंजलि रावत, सुमित कुमार, अमित अग्रवाल, सुल्तान आलम, रिफाकत हुसैन, शबनूर, गुँजन रजवार, रिदा परवीन, फैजुल हक, अमन पब्लिक स्कूल मौ. फुरकान आदि मौजूद रहे।
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