(देवेंन्द्र चमोली)
रुद्रप्रयाग – सीमांत क्षेत्र घंघासू बांगर में विगत 60-70 वर्षों से मानसून सीजन में मवेशियों के चुगान हेतु आबंटित बन भूमि को वन विभाग द्वारा कास्तकारों से वापस छीने जाने का मामला प्रकाश में आया है। मामले में ग्रामीणों द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित जिलाधिकारी को भी ज्ञापन दिया गया लेकिन कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई उक्त भूमि पर ग्रामीणों की 10-12 छानीयां वर्षों से बनी है जिसे बन विभाग बृक्षारोपण का हवाला देकर हटा रहा है। स्थानीय कास्तकारों का कहना है कि वर्षों पहले उन्हें दिये हक के छिनने से उनके सामने बरसात में मवैसियों के चुगान की समस्या खड़ी हो गई है।
मामला जनपद की बसुकेदार तहसील के दूरस्थ क्षेत्र घंघासू बांगर के छेनागाढ़ से लगे क्षेत्र का है । ग्रामीणों को मानसून सीजन में अपने मवेशियों के चुगान हेतु घरेणा नामक तोक मे दशकों पूर्व आंवटित 40 नाली बन भूमि को बन विभाग द्वारा बृक्षारोपण के लिये उनसे छीना जा रहा है। यहां वर्षों से बनी ग्रामीणों की एक दर्जन से अधिक छानीयां बन विभाग द्वारा हटवा दी गई। ग्रामीणों का कहना है कि यह स्थान बरसात के समय मवेशियों के चुगान हेतु उपयुक्त था क्योंकि यहाँ पर बरसात में भी जोंक नहीं पाई जाती है । ग्राम प्रधान डुंगर, पूर्व प्रधान तालजामण मंगल सिहं, जसपाल सिंह, प्रेमपाल आदि का कहना है कि उनके द्वारा बनाधिकारियों से उक्त तोक को मवैशियों के चुगान हेतु ग्रामीणों को पूर्व की भॉति हक देने का निवेदन किया गया लेकिन विभाग यहां नर्सरी लगाने की बात कर ग्रामीणों का हक छीन रहा है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी सहित क्षेत्रीय विधायक को ज्ञापन सौंपकर कास्तकारों की समस्या को देखते हुये उचित कदम उठाने की मॉग की है।
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