देहरादून,
स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत उत्तराखंड में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आर.बी.एस.के.) सभी 13 जनपदों में 148 मोबाईल हैल्थ टीमों के माध्यम से चलाया जा रहा है जो की आंगनवाड़ी एवं सरकारी एवं अर्ध शासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में 0 से 18 वर्ष तक के सभी पंजीकृत बच्चों में बीमारियां, जन्म जात विकार, अल्पता विकार की परिस्थितियां, बच्चों के विकास में अवरोध एवं विकलांगता की स्थितियां, की पहचान कर अनुबंधित चिकित्सालयों में संदर्भित किया जाता है, जिससे बच्चों को समय पर उपचार मिल सके यह बात प्रभारी सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, डॉ आर राजेश कुमार द्वारा बतायी गई।
प्रभारी सचिव द्वारा बताया गया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अर्न्तगत कार्यरत सभी टीमों द्वारा उच्च शल्य चिकित्सा हेतु संन्दर्भित बच्चों का सन्दर्भण एवं फालोअप डी.ई.आई.सी. केन्द्रों के माध्यम से किया जाता है। वर्तमान में डी.ई.आई.सी. केन्द्रों का गठन 05 जिलों क्रमश: अल्मोडा, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल एवं उधम सिंह नगर में कार्यशील है।
प्रभारी सचिव द्वारा बताया गया कि आर.बी.एस.के. कार्यक्रम के तहत वित्तिय वर्ष 2020 से वर्तमान तक कुल 674 बच्चों की सर्जरी एवं इंप्लांट करायी गयी है जो निम्नवत है:
प्रभारी सचिव द्वारा बताया गया कि इस समय राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अर्न्तगत चिन्हित बच्चों के तृतीयक स्तरीय शल्य चिकित्सा की व्यवस्था हिमालयन हॉस्पीटल ट्रस्ट, जौलीग्रान्ट, दून चिकित्सालय, देहरादून, एम्स चिकित्सालय, ऋषीकेश, श्री राममूर्ति स्मारक मेडिकल कालेज, बरेली, कूयोर इंट्रानेशनल इंडियन ट्रस्ट, मिशन स्माइल एडं स्माइल ट्रेन अस्पतालों या संस्थाओं पर निःशुल्क उपलब्ध हैं।
प्रभारी सचिव ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि, अगर आपके आस-पास कोई ऐसा बच्चा पैदा होता है या जानकारी में आता है तो उसे तुरंत हमारे नजदीकि स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्य कार्यकर्ता या आशा बहनों को जानकारी दें या राज्य हेल्पलाइन नंबर 104 पर नि:शुल्क कॉल कर जानकारी ले सकते हैं, ताकि बच्चों को समय पर नि:शुल्क इलाज मिल सके और वह भविष्य में एक स्वस्थ्य जीवन व्यतीत करें।
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