देहरादून, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा तिलाड़ी काण्ड की शहादत पर याद कर उनको भावभीनी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
केशव उनियाल व जगमोहन नेगी ने बयान जारी करते हुए आज ही दिन 30 मई उत्तराखंड के इतिहास में एक रक्तरंजित तारीख है. इसी दिन 1930 में तत्कालीन टिहरी रियासत के राजा नरेंद्र शाह ने रंवाई के तिलाड़ी स्थित मैदान में अपना स्थानीय जलियांवाला बाग काण्ड रच डाला था जिसमे लगभग 200 लोग शहीद हुए।
ओमी उनियाल व प्रदीप कुकरेती के साथ रामलाल खंडूड़ी ने बताया कि जंगलों पर अपने अधिकारों के लिए तिलाड़ी मैदान में जमा हुए सैकड़ों लोगों को राजा की फ़ौज ने तीन तरफ से घेर लिया. चौथी तरफ यमुना नदी अपने प्रचंड वेग से बहती है. बिना किसी चेतावनी के राजा की फ़ौज ने निहत्थे लोगों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई. कुछ गोलियों का शिकार हुए, कुछ ने बचने के लिए यमुना में छलांग लगा दी, वे नदी की तेज धारा में बह गए।
जयदीप सकलानी एवम पुरण सिंह लिंगवाल ने कहा कि इतिहास गवाह है कि प्राचीन समय से आज तक उत्तराखंड वासियों को अपने हक़ अपने अधिकारों और सुविधाओं को लेने के लिए हमेशा संघर्ष करना पड़ा है। उत्तराखंड का इतिहास अनेकों आंदोलनों से भरा पड़ा है। अपने हक़ हकूक की लड़ाई में अनेक उत्तराखंडी भाई बहिनो ने अपना जीवन न्योछावर किया है। अपने हको के लिए हुए अनेक आंदोलनों में से एक चर्चित आंदोलन , तिलाड़ी आंदोलन या तिलाड़ी कांड अपने हक़ की मांग करते लोगो पर अत्यचार का एक काला अध्याय है।
श्रद्धा सुमन करने में ओमी उनियाल , जयदीप सकलानी , जगमोहन सिंह नेगी , प्रदीप कुकरेती , रामलाल खंडूड़ी , केशव उनियाल , सुरेश नेगी , वेदा कोठारी , सतेन्द्र भण्डारी , प्रभात डंडरियाल , पूरण सिंह लिंगवाल , राकेश नोटियाल , सुदेश सिंह , वीरेन्द्र सकलानी एव गौरव खंडूड़ी थे।
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