Monday, November 25, 2024
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महिला सशक्तिकरण का पर्याय-प्रज्ञान कलादीर्घा : उत्तराखण्ड में भी एक और शान्तिनिकेतन की स्थापना की जा सकती है : बाबला

देहरादून, विश्वभारती शान्तिनिकेतन, बंगाल से कला की शिक्षा प्राप्त ख्याति प्राप्त चित्रकार, मूर्तिकार साहित्यकार, श्रेष्ठ गायक, बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जो
युवावस्था से ही महान विभूतियों के निकट व उनके चहेते एवं उनकी प्रशंसा के पात्र रहे।भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद नई दिल्ली (ICCR) द्वारा निर्भया काण्ड के
उपरान्त ज्ञानेन्द्र जी की कला प्रदर्शनी दर्शकों पर अपनी अलग ही छाप, अलग संदेश
छोड़ने में सफल रही थी। ICCR द्वारा आयोजित आपकी भजनों/गजलों की संगीत
संध्याऐं, दिल्ली दूरदर्शन द्वारा भजनों का प्रसारण आपको उच्च कोटि का संगीतज्ञ भी
साबित करती है। विशेषकर आपका ख्यातिप्राप्त प्रिय भजन “दुखः चन्दन होता है जिसके
माथे पर लगा जाता पावन होता है जो अक्सर अटल जी. इन्दिरा जी. डा० कर्ण सिंह,
कमलेश्वर, हरिवंशराय बच्चन जैसे अनेक विभूतियों को प्रिय था। श्री ज्ञानेन्द्र ने शान्तिनिकेतन के साथ-साथ इंग्लैण्ड व आस्ट्रिया से भी कला की
उच्च शिक्षा प्राप्त की। आप गुरूकुल कांगड़ी महाविद्यालय के छात्र भी रहे हैं। समय-समय
पर ज्ञानेन्द्र जी के साक्षात्कार दूरदर्शन, आकाशवाणी एवं अन्य चैनलों पर प्रसारित होते रहे
हैं आपके प्रभात-गीत नामी-गरामी स्कूलों में आज भी Prayer में गाये जाते हैं।
कला-प्रेमियों, छात्रों, कलाकारों एवं कला मर्मज्ञों के अनुरोध पर क्रियान्वित “प्रज्ञान”
कलादीर्घा का, नारी के प्रति उनकी अपार श्रद्धा एवं सम्मान की प्रतीक मेहनतकश
महिलाओं के द्वारा आज 29-5-2022 को प्रातः 11:15 पर शुभारम्भ किया गया। जो समाज के लिये अलग उदाहरण और प्रेरणादायक रहा।
मंत्र मुग्ध करने वाली चित्रों एवं मूर्तियों की इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित चित्रों में प्रारम्भ
में ही “वातावरण का दबाव”, “पूर्व की ओर”, “कयास”, “चेष्टा”, “आलिंगन मुख्य रूप से
आकर्षित करते हैं। रंगो के साथ घुमती रेखाएं भी अपना अलग प्रभाव छोड़ती हैं और
दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले चित्रों में
भटकती आत्मा, दुआ, आत्म विश्वास, उलझन, आस्था आदि में रंगो का संयोजन आपनी
अलग ही छटा बिखेरते हैं। कलाकार के चित्रों का प्रस्तुतिकरण अपने आप में प्रभावशाली
बन पड़ा है। कलाकार द्वारा शान्तिनिकेतन की परम्परा को बनाये रखने का प्रयास किया
गया है जो प्रशंसनीय है।
शान्तिनिकेतन में बनाये चित्रों में परम्परागत चित्रों से लेकर आधुनिक अमूर्त
चित्रकला की सफल यात्रा इस कलादीर्घा “प्रज्ञान” में स्पष्ट नजर आती है।
कलादीर्घा भविष्य में उत्तराखण्ड की एक अलग पहचान बनने में भी सफल होगी,
जैसा कि केदारनाथ आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापना, 2013 की त्रासदी एवं पुर्ननिर्माण को
परिलक्षित करती 15 फीट लम्बी स्क्रोल पेन्टिंग में भी उजागर होता है जो कलाकार द्वारा
पुर्ननिर्माण से पूर्व ही चित्रित कर ली थी।
हैं। जिनमें विशेषकर अटल बिहारी बाजपेयी, महामहिम राष्ट्रपति डा० शंकर दयाल शर्मा,
जार्ज बुश, क्वीन एलिजाबेथ डा० हरिवंशराय बच्चन, बी०डी० जत्ती, डा० भगतशरण
उपाध्याय, राजीव गांधी, इन्दिरा गांधी के नाम लिए जा सकते हैं। ऐसा कलादीर्घा में
प्रदर्शित उनके पत्रों से भी परिलक्षित होता है। देश विदेशों में भी ज्ञानेन्द्र जी की कला
प्रदर्शनीयों ने ख्याति प्राप्त की एवं सराही जाती रहीं। पर्यावरणविद्, साहित्यकार, रंगकर्मी, समाज सेवी एवं समीक्षक जगदीश बाबला ने अपने उदबोधन में इस बात पर जोर दिया कि यदि सरकार अल्मोड़ा स्थित
गुरूदेव नाथ टैगोर की पारिवारिक भूमि जिस पर गुरुदेव शान्ति निकेतन की स्थापना
करना चाहते थे को ज्ञानेन्द्र जी के अनुभव का उनकी बहुमुखी प्रतिभा का लाभ उठाकर
उनके मार्गदर्शन में गुरूदेव की प्रथम इच्छा (परिकल्पना) को मूर्तरूप देकर उत्तराखण्ड में
भी एक और शान्तिनिकेतन की स्थापना की जा सकती है जो पर्यटन एवं शिक्षा की दृष्टि
में एक श्रेष्ठ स्थल का रूप ले सकता है। जो विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाने
में सफल हो सकता है।कलादीर्घा के शुभारम्भ पर सिमित संख्या में चुनिन्दा बुद्धिजीवियों, कलाकारों, कला
प्रेमियों को ही आमंत्रित किया गया था। जिनमें डॉ. प्रकाश थपलियाल (लेखक पूर्व
अधिकारी क्षेत्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय), अजीज हसन (ख्याति प्राप्त समाचार वाचक)
वरिष्ठ अधिवक्ता ओ0पी0 सकलानी, कवि महेन्द्र प्रकाशी, उर्मिला प्रकाशी, पर्यावरणविद्
जगदीश बाबला, वरिष्ठ पत्रकार, जय सिंह रावत, डा० पाटिल, डा० महेश अग्रवाल, डा०
ए०वी० वर्मा (H.O.D.) संगीतज्ञ उत्पल सामंत, डा० वृज किशोर गर्ग, दीपक कनौजिया,
मौ० मोईन, जाकिर हुसैन, रवि कपूर, राजेश डोभाल, डा० (मिसेज) चाला, अधिवक्ता
राणा, डा० मनोज अग्रवाल, श्यामल कान्त बासू, विन्की सिंह, संजय सिंह, डा० अमरदीप,
माया सक्सेना, कवि राजेश डोभाल, आदि उपस्थित रहे। कलादीर्घा को सफल बनाने मे
छवि जैन, कृति कुमार एवं क्षिति, शीलजा एवं दक्ष जैन का विशेष योगदान प्रशंसनीय रहा।

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