“अवैध कब्जों को लेकर कालौनीवासियों का महापौर को ज्ञापन”
देहरादून, उत्तराखंड़ राज्य के बनते ही प्रदेश में जमीनों की खरीद फरोख्त का धंधा खूब चलने लगा, राज्य म अबतक सत्तारूढ़ दोनों दलों के नेताओं ने इस खेल में खूब चांदी बटोरी और नदी नालों पर कब्जा करवा कर ओनेफोने दाम वसूले, इस तरह कई खबरें समय समय फर अखबारों की सुर्खियां बनती रही है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई, नतीजा राज्य में भूमाफिया और राजनेताओं का गठजोड़ काम करने लगा, लगता है अब सरकार धामी जागी और भूमाफिया पर यूपी की योगी सरकार की तर्ज पर शिकंजा कसने की योजना बना रही है। यहां भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। गृह विभाग ने पुलिस से उत्तर प्रदेश की व्यवस्था को देखते हुए ड्राफ्ट मांगा है। फोर्स गठित होने के बाद भूमाफिया के नाम घोषित होने के साथ-साथ उनकी अवैध संपत्ति को भी जब्त और नष्ट किया जा सकेगा। उत्तर प्रदेश में भूमाफिया पर नकेल कसने के लिए वर्ष 2017 में राज्य, मंडल, जिला और तहसील स्तर पर टास्क फोर्स गठित की गई थी। इसके तहत पहले क्षेत्र विशेष की शिकायतों और जमीनों की स्थिति देखी जाती है। जो लोग इन पर अनाधिकृत कब्जा जमाए हैं, उन्हें भूमाफिया घोषित कर उनका नाम एंटी भूमाफिया पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।
इसके उलट उत्तराखंड में अभी तक भूमाफिया पर शिकंजा कसने की व्यवस्था नहीं है। यहां भूमि पर कब्जे, धोखाधड़ी आदि के मुकदमे दर्ज होते हैं, लेकिन आरोपियों की संपत्ति को न तो जब्त किया जाता है और न ही नष्ट। हाल ही में यशपाल तोमर गिरोह के कारनामे सामने आने के बाद यहां भी इसकी जरूरत महसूस हुई।
अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शासन को निर्देशित किया है कि कोई ठोस कार्ययोजना तैयार करे। इसी कड़ी में गृह विभाग ने उत्तर प्रदेश एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स की तरह ड्राफ्ट तैयार करने को कहा है। गृह विभाग के अधिकारिक सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। बताया कि टास्क फोर्स बनाने के लिए जल्द काम शुरू होगा। प्रदेश में सरकारी और निजी संपत्तियों पर कब्जे आम हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि यहां कोई भूमाफिया नहीं है। जी हां यह सच है। कहने को तो बहुत होंगे, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में किसी का नाम नहीं है। क्योंकि, उत्तराखंड में ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं। वहीं, उत्तर प्रदेश में यह व्यवस्था होने से भूमाफिया के नाम सार्वजनिक होते हैं। चाहे सफेदपोश हो या फिर कोई और, सबके नाम एंटी भूमाफिया पोर्टल पर अपलोड होते हैं।
बीते दिनों एसटीएफ ने यशपाल तोमर नाम के गैंगस्टर को गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज थे। जांच में पता चला कि उसने अवैध रूप से करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है। उसकी 153 करोड़ की संपत्ति को कुर्क भी किया गया था। उत्तराखंड एसटीएफ की कार्रवाई के बाद मेरठ जिला प्रशासन ने यशपाल को अपने यहां का भूमाफिया घोषित कर उसका नाम पोर्टल पर अपलोड किया था। उसकी सैकड़ों करोड़ की संपत्ति को सरकार के कब्जे में ले लिया गया था। वर्तमान में उसे राज्य स्तर का भूमाफिया घोषित करने की तैयारी चल रही है। उत्तर प्रदेश में चार स्तर पर टास्क फोर्स बनाई गई है। राज्य स्तर की टास्क फोर्स में मुख्य सचिव अध्यक्ष होते हैं। प्रमुख सचिव न्याय, गृह, नगर विकास, वन, आवास एवं शहरी नियोजन, सिंचाई और पुलिस महानिदेशक सदस्य होते हैं। इसी तरह मंडल स्तर पर मंडलायुक्त अध्यक्ष, जिला स्तर पर जिलाधिकारी और तहसील स्तर पर एसडीएम टास्क फोर्स के अध्यक्ष होते हैं। अलग-अलग स्तर पर टास्क फोर्स की सिफारिश के बाद ही कार्रवाई होती है
अवैध कब्जों को लेकर कालौनीवासियों का मेयर को ज्ञापन
सहस्त्रधारा रोड़ पर एकता विहार से लगी निगम की जमीन पर भी आजकल अवैध कब्जे करने का सिलसिला जारी है, क्षेत्रवासियों ने इसी माह 6 मई को नगर निगम के महापौर को ज्ञापन देकर इन अवैध कब्जों पर लगाम लगाने की बात की | कालौनीवासियों का कहना था कि पहले रह क्षेत्र ग्राम सभा के अन्तर्गत आता था और उस समय ग्राम सभा से प्रस्ताव पास किया गया था जिसमें भूमि पर क्रीड़ा स्थल, ट्यूबवेल और पंचायत घर के लिये भूमि दी गयी थी और प्रस्ताव विधिवत् जिला प्रशासन को भेज दिया गया था, लेकिन ट्यूबवेल और पंचायत घर बनने के बाद शेष बची क्रीड़ा स्थल की भूमि को भी भूमाफिया कब्जा करने की फिराख में है, क्षेत्रवासियों का कहना था कि कई बार इन अवैध कब्जाधारियों से लोगों को दोचार होना पड़ता है |
एकता विहार के निवासियों ने महापौर को उक्त सारी स्थिति सू अवगत कराया, लेकिन खेद का विषय यह है कि ज्ञापन दिये 15 दिन से अधिक समय हो गया लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हो पायी |
इधर प्रदेश के मुखिया भूमाफियाओं पर लगाम लगाने की बात कह रहे हैं और यूपी की तरह कार्रवाही करने की बात कर रहे हैं, लेकिन क्या यह कदम सरकार उठा पायेगी, जबकि प्रशासन के नुमाइंदों को सब कुछ पता रहता है कि किस किस इलाके में अवैध कब्जे हो रहे हैं या हो रखे हैं | अब देखना यह होगा कि मेयर को दिये ज्ञापन पर कब कार्रवाही होती है |
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