Tuesday, November 26, 2024
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अभिमान आग के सामान होता है जो सब कुछ नष्ट कर देता है : पूज्य मोहन गुण्डू जी

ऋशिकेष, संत निरंकारी सत्संग भवन ऋषिकेश सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें मुम्बई महाराष्ट्र से आये महात्मा पूज्य मोहन गुण्डू जी ने कहा कि इंसान को किसी भी बात का अभिमान नही होना चाहिए। अभिमान आग के सामन होता है जिस प्रकार अग में कुछ भी डाला जाए सब नष्ट हो जाता है उसी प्रकार अभिमान सब कुछ नष्ट कर देता है। जीवन मे परमात्मा के मूल स्वरूप की जानकारी होने के बाद ही वास्तविक भक्ति आ जाती है और अभिमान नष्ट हो जाता है।
कहा कि जीव का कल्याण केवल विचार सुनने से नही बल्कि उन विचारो को जीवन में उतारने से होगा। सत्संग से ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार पर अंकुश लगाया जा सकता है।
कहा कि इंसान केवल शरीर को साफ करने की ओर ध्यान देता है आत्मा की शुद्धि के लिए नही। सत्संग के माध्यम से हमारी आत्मा की सफाई हो जाती है, और जब आत्मा साफ और निर्मल होगी तो परमात्मा की भक्ति में लगेगी। हर इंसान प्रेम और शांति से रहे, यही संदेश अवतारी संतों ने हर युग में दिया है। कहा कि मानव जीवन में चालाकिया, चतुराईयां, होशियारी भरी पडी है। इनको दूर करके ही मन भक्ति में लग सकता है। इसलिए संत हमेशा मानव को मानवता का पालन करने के लिए प्रेरित करता आया है। कहा कि आया है सो जयेगा राजा रंक फकीर ..इंसान और पशु में कोई अंतर नही है। भवन, बच्चे और भोजन यह सभी कार्य पशु भी कर रहा है और इंसान भी।

अगर विवेक और बुद्धि का प्रयोग परमात्मा की जानकारी के लिए नही किया तो जीवन व्यर्थ है। भक्त का जीवन सरल हो जाना चाहिए। भक्त के बोल और कर्म एक समान हो जाने चाहिए। परमात्मा कण-कण में समाया है। इसके एहसास में जीने का नाम भक्ति है।
सत्संग समापन से पूर्व अनेकों संतों भक्तों ने गीतों एवं प्रवचनों के द्वारा गढ़वाली, हिन्दी, प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में सैकड़ों भक्तों में ऋषिकेश, विस्थापित, ढालवाला, 14 बीघा, श्यामपुर, गुमानीवाला, शीशमझाड़ी, भोगपुर आदि क्षेत्रों से महात्माओं ने प्रतिभाग किया।

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