हरिद्वार, (कुलभूषण)। हरिद्वार की प्रख्यात धार्मिक संस्था श्री मानव कल्याण आश्रम में महाशिवरात्रि की पावन के अवसर पर रूद्राभिषेक व अन्न क्षेत्र का आयोजन किया गया। श्री मानव कल्याण आश्रम के महंत स्वामी दुर्गेशानन्द सरस्वती के संयोजन में विद्वान आचार्य नारायण खनाल ने पूर्ण विधि-विधान से रूद्राभिषेक करवाया।
इस अवसर पर महंत स्वामी दुर्गेशानन्द सरस्वती ने कहा कि शिव आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अपने भक्तों के प्रति भगवान शिव अत्यन्त उदारता का भाव रखते हैं। सच्चे मन से की गयी शिव आराधना विशेष फलदायी होती है।
संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी अनिरूद्ध भाटी ने कहा कि श्री मानव कल्याण आश्रम में स्थापित भगवान अर्द्ध नारीश्वर की प्रतिमा व शिवलिंग का पूजन महाशिवरात्रि के पर्व पर विशेष महत्व रखता है। संस्था के महंत स्वामी दुर्गेशानन्द सरस्वती के संयोजन में धार्मिक व सामाजिक कार्यों में संस्था की अग्रणीय भूमिका रहती है।
रूद्राभिषेक के पश्चात अन्न क्षेत्र का वितरण किया गया।
इस अवसर पर संस्था की ट्रस्टी रेणुका बेन एल. ठक्कर, विद्यावती मीना, सुरेन्द्र मिश्रा, ब्रह्मदत्त, महेन्द्र, संजय वर्मा, गोपी सैनी समेत अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।
महाशिवरात्रि पर नन्हे तीर्थ पुरोहितों के रुद्री पाठ से गूंजा ज्वालापुर क्षेत्र
हरिद्वार, (कुलभूषण)। महाशिवरात्रि के पर्व पर ज्वालापुर क्षेत्र के कई नन्हे तीर्थ पुरोहित बालकों ने आचार्य करुणेश मिश्रा के आचार्यत्व में सस्वर रुद्री पाठ कर रुद्राभिषेक किया। पिछले कई माह से आचार्य करुणेश मिश्रा द्वारा तीर्थ पुरोहित समाज के कम उम्र के बालकों को वेद अध्ययन का अभ्यास नियमित कराया जा रहा है। जिसमें अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले हैं बच्चे भी शामिल हैं। जिनको रुद्री पाठ, दुर्गा सप्तशती, स्वस्तिवाचन, नवग्रह शांति पाठ, व सुंदरकांड इत्यादि का सस्वर अभ्यास कराया जा रहा है। आज महाशिवरात्रि के पर्व पर आचार्य करुणेश मिश्रा जी के आवास पर सभी वेदाध्यायी बालक एकत्रित हुए और सस्वर रुद्री का पाठ करते हुए रुद्राभिषेक किया गया। इस अवसर पर ज्वालापुर के कई नागरिकों ने सपरिवार भाग लिया एवं इन बालकों की बहुत प्रशंसा की। आपको बता दें लगातार पाश्चात्य संस्कृति में बढ़ते हुए तीर्थ पुरोहित समाज के बालक भी अपने मूल कार्य से विमुख हो रहे हैं।
संस्कृत एवं वेद अध्ययन के प्रति इन ब्राह्मण बालकों में बिल्कुल भी रुचि नहीं है यहां तक की अपने पारंपरिक कार्यो को छोड़कर नौकरी एवं व्यापारिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। इस पीड़ा को समझते हुए प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य करुणेश मिश्र ने यह बीड़ा उठाया और अंग्रेजी विद्यालयों में भी पढ़ने वाले संपन्न परिवार छोटे बालकों को एकत्रित किय। उनको वेद अध्ययन के लिए प्रेरित किया। आज 50 से भी ज्यादा बालक आचार्य करुणेश मिश्र के सानिध्य में वेद अध्ययन कर रहे हैं। और फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलना जानते हैं। छोटे बालकों की इस प्रतिभा से तीर्थ पुरोहित समाज में एक नई जागृति आई है। बड़ी उम्र के भी जो लड़के वेद अध्ययन व संध्या उपासना करने से हिचकते थे। वह भी अब छोटे बालकों के साथ ही वेद अध्ययन के कार्य में लग गए हैं। रोजाना शाम को पीट बाजार की पुरोहित धर्मशाला में यह तीर्थ पुरोहित बालक वेद अध्ययन करते हैं। जिनके स्वरों से पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है अन्य जातियों के लोग भी इस प्रयास की भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे हैं।
आज महाशिवरात्रि के पर्व पर इन बालकों द्वारा संपूर्ण रुद्राभिषेक कार्यक्रम किया गया और इनकी वेद ॠचाओं का स्वर इतना था की बाजार एवं पड़ोस की लोगों ने भी इनकी इस प्रतिभा को आकर देखा और इस प्रयास को और बड़ा करने का निवेदन आचार्य करुणेश मिश्रा से किया।
इस अवसर पर आचार्य करुणेश मिश्र ने कहा कि भगवान शिव वेद अध्ययन के सबसे प्रमुख सारभूत हैं उनकी आराधना में योग भी आता है, ध्यान भी आता है, उपासना भी आती है, कर्म भी आता है, बंधन भी आता है और मुक्ति भी आती है। रुद्राष्टाध्यायी संपूर्ण वेद अध्ययन का सार है जिसको यह पढ़ना आ गया वह अन्य सभी प्रकार के वेद-पुराण का अध्ययन सरलता से कर सकता है। हमारा लक्ष्य है की ब्राह्मण परिवारों के प्रत्येक बालक का यज्ञोपवित संस्कार समय से हो तथा गणेश-गौरी पूजन एवं संध्या उपासना अवश्य आनी चाहिए। इस अवसर पर अखिलेश शर्मा, उज्जवल पंडित भावेश सीखौला, प्रभांस मिश्रा, ऐश्वर्या शर्मा, पार्थ शर्मा, एकलव्य पंडित, आध्यात्म पंडित, शिवांश शर्मा सराय वाले, अनिमेष मैत्रय, सौर्य गौतम आदि मौजूद रहे।
गायत्री परिवार के प्रमुखद्वय ने किया शिवाभिषेक
हरिद्वार 1 मार्च (कुलभूषण) देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में स्थित प्रज्ञेश्वर महादेव का गायत्री परिवार प्रमुखद्वय डॉण् प्रणव पण्ड्या एवं शैलदीदी ने महाभिषेक कर विश्व शांति की कामना की। गायत्री परिवार के हजारों श्रद्धालुओं के प्रतिनिधि के रूप में प्रमुखद्वय ने पुरुष सूक्तए रुद्राष्टकम् व अन्य वैदिक कर्मकांड के साथ पूजन सम्पन्न किया।
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉण् पण्ड्या ने कहा कि यदि हम जीवन में शुभ कार्य करें तब ही हम कल्याणकारी शिव के प्रिय बन सकेंगे। भले कार्य में लगे रहना ही शिव पूजा है। हमें शिव की तरह उदार होना चाहिए और विवेक स्वरूप तीसरा नेत्र खुला हुआ होना चाहिए। डॉण् पण्ड्या ने कहा कि इस अवसर पर सामूहिक पर्वायोजन के माध्यम से फैली हुई भ्रांतियों का निवारण करते हुए शिव की गरिमा के अनुरूप उसके स्वरूप पर जन आस्थाएँ स्थापित की जानी चाहिएए ताकि सामूहिक एवं व्यक्तिगत रूप से पुण्य अर्जन और समाज कल्याण की दिशा में आगे बढ़ा जा सके। विवि की संरक्षिका शैलदीदी ने कहा कि स्वयं कम से कम साधनों से काम चलाते हुए दूसरों को बहुमूल्य उपहार का दान देना एवं ऐसे कृत्यों से मन को प्रफुल्लित रखे रहना शिव के प्रधान गुण हैं।
पुरुष सूक्त व महाकालाष्टक के साथ रुद्राभिषेक का कर्मकाण्ड उदयकिशोर मिश्र ने किया। संगीत विभाग के भाइयों ने सुमधुर शिव आराधना से सम्पूर्ण परिसर को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रज्ञेश्वर महादेव में विशेष पूजाए रुद्राभिषेकए शिवाभिषेक का क्रम आज दिन भर चलता रहा। उधर शांतिकुंज स्थित शिवालय में भी शिवाभिषेक के दौरान अनेक श्रद्धालुओं ने पूजन किया।
इस अवसर पर देवसंस्कृति विवि के समस्त स्टाफ विद्यार्थियों शांतिकुंज के अंतेःवासी कार्यकर्त्ता एवं भारत के विभिन्न स्थानों से आये शिव भक्त मौजूद रहे।
महाशिवरात्रि पर नन्हे तीर्थ पुरोहितों के रुद्री पाठ
हरिद्वार 1 मार्च (कुलभूषण) महाशिवरात्रि के पर्व पर ज्वालापुर क्षेत्र के कई नन्हे तीर्थ पुरोहित बालकों ने आचार्य करुणेश मिश्रा के आचार्यत्व में सस्वर रुद्री पाठ कर रुद्राभिषेक किया। पिछले कई माह से आचार्य करुणेश मिश्रा द्वारा तीर्थ पुरोहित समाज के कम उम्र के बालकों को वेद अध्ययन का अभ्यास नियमित कराया जा रहा है। जिसमें अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले हैं बच्चे भी शामिल हैं। जिनको रुद्री पाठ दुर्गा सप्तशती स्वस्तिवाचन नवग्रह शांति पाठ व सुंदरकांड इत्यादि का सस्वर अभ्यास कराया जा रहा है। महाशिवरात्रि के पर्व पर आचार्य करुणेश मिश्रा के आवास पर सभी वेदाध्यायी बालक एकत्रित हुए और सस्वर रुद्री का पाठ करते हुए रुद्राभिषेक किया गया। इस अवसर पर ज्वालापुर के कई नागरिकों ने सपरिवार भाग लिया ।
इस अवसर पर आचार्य करुणेश मिश्र ने कहा कि भगवान शिव वेद अध्ययन के सबसे प्रमुख सारभूत हैं उनकी आराधना में योग भी आता हैए ध्यान भी आता हैए उपासना भी आती हैए कर्म भी आता हैए बंधन भी आता है और मुक्ति भी आती है। रुद्राष्टाध्यायी संपूर्ण वेद अध्ययन का सार है जिसको यह पढ़ना आ गया वह अन्य सभी प्रकार के वेद.पुराण का अध्ययन सरलता से कर सकता है। हमारा लक्ष्य है की ब्राह्मण परिवारों के प्रत्येक बालक का यज्ञोपवित संस्कार समय से हो तथा गणेश.गौरी पूजन एवं संध्या उपासना अवश्य आनी चाहिए। इस अवसर पर अखिलेश शर्मा उज्जवल पंडित भावेश सीखौला ऐश्वर्या शर्मा पार्थ शर्मा एकलव्य पंडित आध्यात्म पंडित शिवांश शर्मा सराय वाले आदि मौजूद रहे।
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