रुद्रप्रयाग- आगामी 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में जनपद की दोनो सीटो पर कुल 25 प्रत्यासियों के भाग्य का फैसला जनता जनार्दन आगामी 14 फरवरी को करेगी। कोविड को देखते हुये निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशो के अनुशार सभी प्रत्याशियों का प्रचार जोर पकड़ रहा है। जनपद की दोनो सीटों पर भाजपा- काग्रेस सहित विभिन्न दलों व निर्दलीय प्रत्याशी अपने अपने पक्ष में मतदाताओं को रिझाने में जुटे है। ज्यों ज्यों प्रचार जोर पकड़ता जा रहा है त्यों त्यों दोनो विधानसभा सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों की ओर मतदाताओं का झुकाव राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की चिन्ता बढ़ा रहा है।
जनपद की दोनो सीटों की बात करें तो पिछली बार केदारनाथ विधानसभा पर जिस तरह निर्दलीय उम्मीदवार कुलदीप रावत ने सबको चौकाते हुये अप्रत्याशित वोट हासिल कर जनता का विश्वास हासिल किया इस चुनाव में भी उनका जलवा जनता के बीच बरकरार दिख रहा । वहीं रुद्रप्रयाग विधानसभा की बात करें तो काग्रेस भाजपा में होने वाली सीधी टक्कर को काग्रेस से टिकट न मिलने से नाराज पूर्व कैविनेट मंत्री मातबर सिहं कडांरी ने निर्दलीय ताल ठोककर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में सुमार मातबर सिंह कंडारी को मिल रहा जनसमर्थन खासकर भाजपा व काग्रेस के लिये किसी परेशानी से कम नहीं है। बुजुर्ग व महिला मतदाताओं में उनकी पकड़ अभी तक के रुझानों के अनुसार रुद्रप्रयाग के नतीजे किसी भी दिशा में मोड़ सकते है।
केदारनाथ विधानसभा सीट पर भाग्य अजमा रहे 13 प्रत्याशियों मे प्रमुख रुप से काग्रेंस के निवर्तमान विधायक मनोज रावत , अंतिम छणों में भाजपा का टिकट हासिल करने में कामयाब रही पूर्व विधायक शैलारानी रावत, उत्तराखंड क्रान्ति दल से लम्बा राजनीतिक अनुभव रखने वाले एडवोकेट गजपाल सिंह रावत, आम आदमी पार्टि से युवाओं में खासा जनाधार रखने वाले जिला पंचायत के उपाध्यक्झ सुमंत तिवाड़ी , निर्दलीय प्रतयाशी के रूप मे अपने समय मे गढ़वाल विश्वविद्यालय छात्र राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले प्रखर बक्ता देवेश नौटियाल, व पिछले चुनावों में सारे राजनीतिक समीकरणों को उलट कुछ ही वोटो के अंतर से काग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत से पिछड़े निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप रावत आदि शामिल है। इसके अलावा सपा, बसपा सहित अन्य निर्दलीय भी अपने अपने पक्ष में वोट के लिये मतदाताओं की दहलीज नाप रहे है।
जहाँ भाजपा व काग्रेंस के प्रत्याशियों को अपने परंपरागत कैडर के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने का भरोसा है वहीं उक्रांद,आम आदमी पार्टी , भाकपा सहित निर्दलीय प्रत्याशी समय समय पर जन सरोकारों में भागीदारी व जरूरत मंद, असहाय लोगों के संघर्षों में साथ रहने के चलते मतदाताओं का विश्वास जीतने की बात कह रहे है। केदारनाथ विधानसभा की तरह कुछ रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट पर भी देखने को मिल रहा है। यहां भाजपा ने अपने निवर्तमान विधायक भरत सिंह चौधरी पर फिर से विश्वास जताया है वहीं काग्रेंस पार्टी ने पूर्व में जिला पंचायत रुद्रप्रयाग के उपाध्यक्ष रहे व वर्तमान में जखोली ब्लॉक प्रमुख युवा प्रदीप थपलियाल को मैदान में उतारा है। उक्रांद की ओर से युवा पत्रकार मोहित डिमरी व आम आदमी पार्टी ने एडवोकेट प्यार सिहं नेगी को मैदान मे उतारा है। रुद्रप्रयाग सीट पर कुल 12 प्रत्याशी मैदान में है। जहां भाजपा के प्रत्याशी को अपने पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धि को लेकर जनता का पुनः विश्वास जीतने में जुटे है वहीं काग्रेंस के प्रत्याशी पिछले कुछ वर्षों से लगातार जनता के बीच उपस्थिति को अपनी मजबूती मान रहे है वे पहले अपने पक्ष में बहुजन समाजवादी पार्टी उम्मीदवार की नाम वापसी व फिर उत्तराखंड क्रान्ति दल की जिला इकाई सहित अगस्त्यमुनी ब्लाक प्रमुख विजया देवी को समर्थकों सहित काग्रेंस मे शामिल करा कुछ बढ़त बनाने मे कामयाब रहे। लेकिन यहाँ काग्रेंस से टिकट न मिलने से नाराज कद्दावर नेता पूर्व कैविनेट मंत्री मातबर सिंह कडांरी ने निर्दलीय मैदान में उतरकर काग्रेंस की मुसीबत बढ़ा दी । मातबर सिंह कंडारी के समर्थन में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व पूर्व मे काग्रेंस के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी वरिष्ठ नेत्री लक्ष्मी राणा, व ठाकुर गजेन्द्र पंवार के उतरने से मुकाबला रोचक ह़ोने के आसार बन गये है। कुल मिलाकर अभी तक दोनों सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने राष्ट्रीय दलों के सामने अपने बर्चस्व को बचाये रखने की बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। अपने अपने गढ़ बचाने की प्रत्याशियों की चिन्ता इस कदर बड़ गई है कि कल से बदले मौसम के मिजाज के बाद भारी वारिस में भी प्रत्याशी व उनके समर्थक मतदाताओं के दरवाजे पर हाजरी लगाने को मजबूर है। भले ही अभी मतदान के लिये 10 दिन बाकी है लेकिन मौसम की बेरुखी के बीच कड़ाके की ठंड में सोसयल मीडिया से लेकर गॉव बाजारों में प्रत्याशियों की हार जीत की चर्चाओं से माहौल गर्म बना हुआ है।
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