देहरादून, उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण ने रफ़्तार तेज कर दी । गुरुवार को राज्य में 3005 नए मामले आए। इनमे सबसे ज्यादा 1224 मामले देहरादून से मिले। वहीं राज्य में 977 स्वस्थ हुए जबकि दो की मौत हुई। सबसे ज्यादा 1224 मामले देहरादून, 431 नैनीताल, 426 हरिद्वार, 399 ऊधम सिंह नगर, 106 पौड़ी, 103 अल्मोड़ा, 71 चमोली, 59 मामले बागेश्वर से आए। कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक बुधवार को खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन समेत 152 कोरोना संक्रमित मामले आए हैं। विधायक के पुत्र और सिविल अस्पताल रुड़की के रेडियोलाजिस्ट में भी संक्रमण की पुष्टि हुई है। कोरोना संक्रमित मरीजों में 23 मरीज आइआइटी रुड़की के हैं। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रुड़की के एक प्रवक्ता भी कोरोना संक्रमित आए हैं, हरिद्वार के रुड़की में भी कोरोना संक्रमण कहर पुलिसकर्मियों को भी चपेट में ले रहा है। मंगलौर कोतवाली के एक दारोगा में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। वह चुनाव ड्यूटी के लिए फोर्स लेने बाहर गए थे। मंगलौर कोतवाली इंस्पेक्टर पहले ही कोरोना संक्रमित आ चुके हैं। इसके अलावा भगवानपुर थाने में तैनात दो दारोगा और एक कांस्टेबल भी कोरोना संक्रमित आए हैं। भगवानपुर थानाध्यक्ष पहले ही कोरोना संक्रमित आ चुके हैं। वहीं कोतवाली रुड़की में तैनात एक पुलिसकर्मी में भी कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है।
20 से 40 आयु वर्ग के लोग ज्यादा आ रहे संक्रमण की चपेट में
राज्य में कोरोना के पिछले आठ-दस दिन में मैदान से लेकर पहाड़ तक जिस तरह से संक्रमण का ग्राफ बढ़ा है, वह बेहद चिंतनीय है। आम और खास, संक्रमण के खतरे से कोई भी अछूता नहीं है। राहत इस बात की है कि दस साल से कम उम्र के बच्चों पर फिलवक्त वायरस का ज्यादा असर नहीं दिख रहा है।
स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि बीती एक जनवरी से 11 जनवरी तक शून्य से नौ साल के 175 बच्चे ही कोरोना संक्रमित मिले। इस दौरान 20 से 29 आयुवर्ग के 3084 लोग कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं। इसी तरह 30 से 39 आयु वर्ग के भी 2354 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं
80 साल से अधिक उम्र को लोग को भी वायरस अपनी चपेट में ले रहा है पर कम संख्या में। इस आयु वर्ग के 65 लोग इस दौरान संक्रमित मिले हैं। कुल मिलाकर कोरोना की तीसरी लहर हर उम्र के व्यक्ति पर भारी पड़ती दिख रही है। दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना का मानना है कि युवा पीढ़ी घर से बाहर ज्यादा निकल रही है। इसलिए उनके दूसरों के संपर्क में आने की संभावना ज्यादा रहती है। उस पर बहुत से लोग अब भी मास्क नहीं लगा रहे हैं, या शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं कर रहे हैं।
गांधी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. प्रवीण पंवार के अनुसार, युवा आबादी अनजाने में कोरोना संक्रमण की संवाहक बनी हुई है। इस आयु सीमा के कई लोग एसिम्टोमैटिक हैं या उन्हें कोविड-19 के हल्के लक्षण हैं। पर इससे बच्चों और कमजोर, बुजुर्ग व बीमार व्यक्ति को स्लिपओवर का खतरा सबसे अधिक रहता है। ऐसे में पूरी एहतियात बरतें और शारीरिक दूरी का पालन हर हाल में करें।
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