(चन्दन सिंह बिष्ट)
हल्द्वानी, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से 11 दिसंबर 2021 को उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन व्यवस्थापन एवं निस्तारण हेतु जारी नजूल नीति 2021 को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि सरकार द्वारा जारी नजूल नीति ने एक बार फिर से सरकार की मनसा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दीपक बल्यूटिया ने कहा कि नई नजूल नीति की धारा 4 के नियम 2 के उपनियम 3 जो कि रिक्त नजूल भूमि पर अवैध रूप से काबिज कब्जेदारों के पक्ष में निम्नवत विनियमित किया जाना है।
“ ऐसे अवैध कब्जेदारों (आवासीय /अनावासीय) की नजूल भूमि की अधिकतम क्षेत्रफल 300 वर्गमीटर को ही अवैध कब्जेदार के पक्ष में प्रभावी सर्किल रेट का 120 प्रतिशत एवं व्यावसायिक श्रेणी पर 150 प्रतिशत लेकर भी नियमित किया जाएगा। जहां पर अवैध कब्जे की भूमि 300 वर्ग मीटर से अधिक है, उनमें अवैध कब्जेदारों से 300 वर्गमीटर से अधिक भूमि का कब्जा वापस प्राप्त करने के उपरांत विनियमित किया जाएगा।”
इससे सरकार ने ऐसे कब्जदार जो वर्षों से 300 वर्ग मीटर से अधिक भूमि में रह रहें लोगों के नियमितीकरण के सपने को चकना चूर कर दिया जिससे मालिकाना हक मिलने का रास्ता बंद हो गया और इससे हल्द्वानी के 12000 से भी अधिक परिवार प्रभावित होंगे।
दीपक बल्यूटिया ने कहा वर्षों से जो लोग नजूल भूमि में रह रहे हैं परिवारों को सरकार ने परेशान करने का काम किया।
दीपक बल्यूटिया ने कहा इस तरह के अव्यवहारिक नीति से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। इस नियम का हवाला देकर लोगों को परेशान किया जाएगा जिसके एवज में मोटी रकम वसूलने का काम किया जाएगा।
इससे जहां प्रदेश भर के हजारों लोगों की जमीनें फ्रीहोल्ड नहीं हो पाएंगी, वहीं नई नजूल नीति से प्रदेश को अरबों रुपए के राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ेगा। साथ ही नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड कराने के नाम पर भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा।
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से 11 दिसंबर 2021 को उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन व्यवस्थापन एवं निस्तारण हेतु नजूल नीति 2021 जारी की गई। इस नई नजूल नीति के तहत कब्जे की जमीन को फ्रीहोल्ड कराने के लिए जो दरें और शर्तें लागू की गई है, अलग से नियम थोपा गया है। सरकार ने नजूल भूमि अधिग्रहण के लिए आवासीय और अनावासीय दोनों में अधिकतम क्षेत्रफल की सीमा 300 वर्ग मीटर निर्धारित कर दी है। यह प्रतिबंध लगाया गया है कि जिस किसी व्यक्ति के कब्जे में 300 वर्ग मीटर से अधिक जमीन होगी उसे पहले सरकार को वापस करनी होगी। उसके बाद ही शेष 300 वर्ग मीटर जमीन को विनियमित किया जाएगा। दीपक का कहना है कि नजूल जमीन को फ्रीहोल्ड करने के लिए सरकार ने जो 300 वर्ग मीटर का बैरियर लगा दिया है प्रदेश के हजारों लोगों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि आज भी फ्रीहोल्ड वाली कई फाइलें लंबित पड़ी हैं। पूर्व में जिन लोगों को भी पट्टे जारी हुए थे उनमें अधिकांश लोगों को 300 वर्ग मीटर से अधिक के थे। अब जो लोग सालों से नजूल भूमि में रह रहे हैं उन्हें अपनी 300 वर्ग मीटर से बाकी की जमीन को सरकार को वापस करनी पड़ेगी। उसके बाद ही उनकी 300 वर्ग मीटर जमीन फ्री होल्ड हो पाएगी।
दीपक का कहना है कि अकेले हल्द्वानी में करीब 70 फीसदी जमीनें नजूल हैं। काठगोदाम से लेकर नारीमन चौराहा क्षेत्र, श्रमिक बस्ती, शीश महल, आवास विकास, सुभाष नगर, गुरुनानक पुरा, तिकोनिया, कुल्यालपुरा, चर्च कंपाउंड, वनभूलपुरा, इंदिरा नगर, शनि बाजार क्षेत्र, हीरानगर, भोलानाथ गार्डन आदि क्षेत्र में अधिकांश जमीनें नजूल हैं। हजारों की संख्या में लोग ऐसे हैं जिनकी फाइलें लंबित पड़ी हुई हैं। अब यह 300 वर्ग मीटर का बैरियर लगने से लोगों को काफी कठिनाई होगी। जबकि इससे पहले वर्ष 2009 और 2014 में जारी हुई नजूल नीति में इस तरह की कोई बाध्यता नहीं थी। नई नीति के अंतर्गत अब लोग तरह-तरह के हथकंडे अपनाएंगे। दफ्तरों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। प्रभावशाली लोग ले देकर अपना काम करा लेंगे। दीपक ने कहा कि सरकार को इसे संशोधित करना चाहिए। यदि यह सरकार इस नजूल नीति के मानकों में संशोधन नहीं करती है तो कांग्रेस सरकार ही इस पर आगे काम करेगी।
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