(पूरन चन्द्र कांडपाल)
जी हां, आपको भी ‘हैपी न्यू ईयर’, नव वर्ष की बधाई | भारत का नव वर्ष तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (मार्च द्वितीय सप्ताह) माना जाता है परन्तु उस दिन बहुत कम लोगों को हैपी न्यू ईयर या नव वर्ष की बधाई कहते हुए सुना गया है | हमारे देश में मुख्य तौर से प्रति वर्ष तीन नव वर्ष मनाये जाते हैं | पहला 1 जनवरी को जिसकी पूर्व संध्या 31 दिसंबर को मार्केटिंग के बड़े शोर-शराबे के साथ मनाई जाती है | 1 जनवरी का शुभकामना संदेश भी बड़े जोर-शोर से भेजा जाता है | आज भी यही हो रहा है | वाट्सैप, फेसबुक सहित सभी सोशल मीडिया में इस तरह के संदेशों का सैलाब आया है कि संभाले नहीं संभल रहा | यह नव वर्ष भारत सहित अंतरराष्ट्रीय जगत में सर्वमान्य हो चुका है |
दुनिया के साथ चलना ही पड़ता है | जो नहीं चलेगा वह पीछे रह जाएगा । कम्प्यूटर क्रान्ति इसका एक उदाहरण है | हमने माशा, रत्ती, तोला, छटांग, सेर और मन की जगह मिलि, सेंटी, डेसी,/ डेका, हेक्टो, किलो, क्विंटल और टन अपनाया है तो विश्व के साथ जनवरी 1 को नव वर्ष मानने में हिचक नहीं होनी चाहिए | घर में हमने अपने बच्चों को हिन्दी महीनों/दिनों के नाम बताने भी छोड़ दिये हैं । 29, 39, 49, 59, 69, 79, 89 और 99 को हिंदी में क्या कहते हैं, हमारे अधिकांश बच्चे नहीं जानते | अपने बच्चों से आज ही पूछ कर देखिये | हम कोई भी भाषा सीखें परन्तु अपनी मातृभाषा तो नहीं भूलें | हमारे देश का वित्त नववर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है | दूसरे नव वर्ष को विक्रमी सम्वत कहते हैं जो ईसा पूर्व 57 से मनाया जता है | 2022 में वि.स. 2078 है जो 21 मार्च 2021 को आरम्भ हुआ था | तीसरा नव वर्ष साका वर्ष है जो 78 ई. से आरम्भ हुआ तथा इसका वर्तमान वर्ष 1943 है |
भारत एक संस्कृति बहुल देश है जहां कई संस्कृतियाँ एक साथ फल-फूल रहीं हैं | यहां लगभग प्रत्येक राज्य में अलग अलग समय पर नव वर्ष मनाया जाता है | अनेकता में एकता का यह एक विशिष्ट उदाहरण है | हमारे देश ‘भारत’ का नाम अंग्रेजी में ‘इंडिया’ है | कई लोग कहते हैं कि हमारे देश का नाम सिर्फ और सिर्फ ‘भारत’ होना चाहिए | पड़ोसी देशों के नाम अंग्रेजी में भी वही हैं जो वहां की अपनी भाषा में हैं | ‘इंडिया’ शब्द ‘इंडस’ से आया | ‘इंडस’ शब्द ‘ इंदु ‘ फिर ‘हिंदु’ से आया और ‘हिंदु’ शब्द ‘सिन्धु’ से आया ( इंडस रिवर अर्थात सिन्धु नदी ) | ग्रीक लोग इंडस के किनारे के लोगों को ‘इंदोई’ कहते थे |
जो भी हो यदा कदा यह प्रश्न बना रहता है कि एक देश के दो नाम क्यों ? देश में कुछ लोग ‘इंडिया’ को अमीर और ‘भारत’ को गरीब भी मानते हैं अर्थात इंडिया मतलब ‘शहरीय भारत’ और भारत मतलब ‘ग्रामीण भारत’ | हमारा देश सिर्फ ‘भारत’ ही पुकारा जाय तो अच्छा है | हमारे संविधान के आमुख में भी लिखा है “वी द पीपल आफ इंडिया दैट इज ‘भारत’…” अर्थात हम भारत के लोग… | हम भारतीय हैं, ‘वसुधैव कुटम्बकम’ हमारा विश्व दर्शन है | इसलिए सबके साथ 1 जनवरी को मुस्कराते हुए नव वर्ष की बधाई जरूर कहिये | सभी को नव वर्ष की शुभकामना । नव वर्ष के आगमन पर जब कुछ लोग आज पटाखे छोड़कर नए साल 2022 का स्वागत कर रहे थे तब देश नए ओमीक्रोन की चिंता से चिंतित था परन्तु नेताओं की चुनाव पूर्व रैलियां बदस्तूर जारी हैं। देश की सीमाओं पर डटे हुए सैनिकों एवम् सैन्य परिवारों को भी नववर्ष की शुभकामना । जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान।
नववर्ष की एक दूसरे को शुभकामना देते समय आज बहुत दुख भी होता है । दुख का कारण है कोरोना (कोविएड – 19) से हुई देश में विगत 22 महीनों में अब तक 4.81 लाख से अधिक लोगों की असामयिक मृत्यु । वर्ष 30 जनवरी 2020 को हमारे देश में इस संक्रमण का पहला केस हुआ था । इस क्रूर संक्रमण से जिनके परिजन चले गए वे उस घटना को कभी भी भूल नहीं सकेंगे क्योंकि संक्रमण के कारण परिवार के लोग जाने वाले पर हाथ भी नहीं लगा सके । विगत 22 महीनों में हमारे देश में 3.48 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए जबकि पूरे विश्व में यह संख्या 28.7 करोड़ से अधिक थी जिनमें से 54.49 लाख से अधिक लोग काल कवलित हो गए । सभी दिवंगतों को विनम्र श्रद्धांजलि । हम परम पिता परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि सभी प्रभावित परिवारों को अपने परिजन के चले जाने के दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे । पतझड़ के बाद बसंत जरूर आता है । इसी आशा और विश्वास के साथ पुनः सभी को नववर्ष की शुभकामना । कोरोना के नए वेरिएंट ‘ ओमी क्रोन ‘ का खतरा बढ़ रहा है। वैक्सीन और मास्क रूपी कवच से स्वयं और दूसरों को बचाने में हम सबका सहयोग करना नितांत आवश्यक है।
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