(बाबूराम बौड़ाई)
देहरादून, उत्तराखंड में वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए टिकट के दावेदारों के नाम सामने आने लगे हैं। टिहरी जिले की नरेन्द्र नगर विधानसभा सीट की बात करें तो इस सीट पर भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल हैं। वहीं पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत की भी भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी मानी जा रही है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च 2019 में ओम गोपाल रावत की पार्टी में वापसी हुई थी। अगर ओम गोपाल रावत चुनाव मैदान में कूदने पर आमादा होते हैं तो भाजपा के लिए प्रत्याशी चयन का काम काफी चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
गौरतलब है कि ओम गोपाल रावत पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी में सुबोध उनियाल से मात खा गए थे। भाजपा ने पार्टी में आए कांग्रेस के विद्रोही गुट के सदस्य सुबोध उनियाल को नरेन्द्र नगर से प्रत्याशी बनाया। पार्टी से विद्रोह कर ओम गोपाल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा पर वे चुनाव हार गए।
भाजपा प्रत्याशी सुबोध उनियाल को 24104 मत मिले, जबकि निकटतम प्रतिद्वन्द्वी ओम गोपाल रावत को 19132 मात प्राप्त हुए। मोदी लहर के बीच हुए चुनाव में मत प्रतिशत के मामले में दोनों में करीब 10 प्रतिशत का अंतर रहा। इससे पूर्व वर्ष 2012 के चुनाव में भाजपा ने ओम गोपाल रावत को प्रत्याशी बनाया था। वे कांग्रेस प्रत्याशी सुबोध उनियाल से मात्र 401 मतों के अंतर से चुनाव हार गए।
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में यूकेडी के टिकट पर चुनाव लड़कर ओम गोपाल रावत ने कांग्रेस प्रत्याशी सुबोध उनियाल को मात्र 4 मतों के अंतर से मात दी थी। यूकेडी ने भाजपा सरकार को समर्थन दिया और सरकार में शामिल हुई पर जब बाद में यूकेडी ने समर्थन वापसी की घोषणा की तो देवप्रयाग विधायक कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट और ओम गोपाल रावत ने सरकार को समर्थन जारी रखा। 2012 के विधानसभा चुनाव में दोनों भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े पर दोनों को हार मिली।
नरेन्द्र नगर सीट पर युवा वर्ग में राज्य आंदोलनकारी ओम गोपाल रावत के काफी समर्थक हैं। जातीय समीकरणों के लिहाज से भी उनकी स्थिति इक्कीस हैं। वहीं सुबोध उनियाल क्ष़ेत्र में विकास कार्यों और जीवंत जनसंपर्क के चलते काफी मजबूत आधार रखते हैं। यही वजह रही है कि दोनों के बीच चुनावों में मुकाबला कांटे का रहा है। दोनों के बीच अब तक हुई तीन चुनावी भिड़तों में से पिछले दो चुनावो में ंसुबोध भारी सिद्ध जरूर हुए हैं, पर ओम गोपाल रावत का समर्थन कमजोर नहीं हुआ है।
इस बार कांग्रेस से टिकट के दावेदारों में अभी तक किसी का नाम खास चर्चा में नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में हिमांशु बिजल्वाण को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया, पर उन्हें मात्र 4328 मत मिले, जो कुल मतों का 8.33 प्रतिशत था। मतों के लिहाज से उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी ओम गोपाल रावत से भी करीब 28 प्रतिशत कम मत मिले।
इसलिए इस बार कांग्रेस को भी मजबूत प्रत्याशी की दरकार है। माना जा रहा है कि भाजपा से ओम गोपाल रावत को टिकट मिलने की संभावना काफी कम है, ऐसे में स्थिति को देखते हुए कांग्रेस की उन पर खास नजर है। भाजपा से खाली हाथ रहने पर ओम गोपाल कांग्रेस का हाथ थाम भाजपा के लिए ऐन वक्त पर मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। यही नहीं ओम गोपाल पर मजबूत प्रत्याशियों की ताक में दिखाई दे रही आम आदमी पार्टी की भी नजर रहेगी।
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