केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने गुरुवार को कहा कि सरकार बच्चों को कोविड-रोधी टीका लगाने में जल्दबाजी नहीं करना चाहती और इस संबंध में कोई भी निर्णय विशेषज्ञों की राय के आधार पर ही लिया जाएगा।
जायडस कैडिला के कोविड-19 टीकों को 12 साल एवं उससे अधिक आयु के लोगों के लिए आपातकाल में इस्तेमाल की अनुमति मिल जाने के मद्देनजर बच्चों का टीकाकरण शुरू होने के संबंध में मांडविया ने कहा कि दुनिया में कहीं भी बच्चों को बड़े पैमाने पर कोविड-19 रोधी टीका नहीं लगाया जा रहा है। हालांकि कुछ देशों में बच्चों का सीमित टीकाकरण शुरू किया गया है।
उन्होंने एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में कहा, ”हम इस बात को लेकर जल्दबाजी नहीं करना चाहते। चूंकि यह बच्चों से जुड़ा मामला है, इसलिए विशेषज्ञ समूह और अध्ययन कर रहे हैं।”
मांडविया ने कोविड-19 टीके की बूस्टर खुराक दिए जाने की संभावना पर कहा कि पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध हैं और टीकाकरण के लिए पात्र लोगों को दो-दो खुराक दिए जाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि इसके बाद, विशेषज्ञ की सिफारिश के आधार पर बूस्टर खुराक देने पर निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ‘सभी टीके जिन्हें वर्तमान में आपातकालीन उपयोग का अधिकार प्राप्त हुआ है, उन्हें विस्तृत अध्ययन और चार से पांच साल के आंकड़ों के आधार पर ही इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार दिया जाएगा। “यह डाटा और अनुभव के माध्यम से हमने सीखा है कि टीकाकरण के बाद भी कोविड हो सकता है। फिर, दूसरा डाटा यह बताते हुए सामने आया कि टीकाकरण के बाद किसी व्यक्ति में गंभीर कोविड के लक्षण नहीं मिले हैंय़ पहली खुराक 96 प्रतिशत सुरक्षा देती है और दोनों खुराक 98.5 प्रतिशत सुरक्षा देती है।’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “बच्चों के टीकाकरण के बारे में, हम विशेषज्ञ की राय के आधार पर निर्णय लेंगे। हमने बच्चों को टीकाकरण के साथ आगे बढ़ने से पहले सोचने और मूल्यांकन करने का फैसला किया है क्योंकि वे हमारे देश के भविष्य हैं और हमें इस मामले में सावधानी से चलने की जरूरत है।”
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