देहरादून, उत्तराखण्ड़ सुविख्यात महात्मा खुशीराम सार्वजनिक पुस्तकालय एवं वाचनालय अपने स्थापना 100वें वर्ष में प्रवेश कर गया है, इस गौरवपूर्ण क्षण को साकार करते हुये संस्था 2 अक्टूबर गांधी जयन्ती से 4 अक्टूबर तक अपना स्थापना दिवस समारोह मना रही है | इस अवसर पर कवि सम्मेलन, जीके क्विज, ओरियंटेशन वर्कशाप के आयोजन साथ स्मारिका और वेब साइड भी लाॕच की जायेगी | स्थापना समारोह के प्रथम दिवस पर वाचनालय के प्रेक्षागृह में श्रद्धांजलि सभा से स्थापना समारोह की शुरूआत हुई | तीन दिन तक चलने वाले इस समारोह में प्रथम दिवस पर पुस्तकालय के दिवंगत संस्थापक ट्रस्टी सदस्यों को याद किया गया और उनके परिवार से आये परिवारिक सदस्य के माध्यम से उन्हें सम्मानित किया गया | उल्लेखनीय हो कि वर्ष 1921 में महात्मा खुशीराम और राय बहादुर उग्रसेन के अथक प्रयास से यह खुशी राम सार्वजनिक पुस्तकालय और वाचनालय अपनी क्रियाशीलता के 100 वर्ष पूरे कर रहा है |
कार्यक्रम में संस्थापक परिवार के सदस्यों में डा. अंजुला सागर और रमन मुलतानी अतिथि के रुप में मौजूद रहे | पुस्तकालय के संस्थापक महात्मा खुशीराम और रायबहादुर उग्रसेन को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी | इस अवसर पर युवा गीतकार आदित्य पंत ने अपनी गायकी से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया, आदित्य ने गांधी जी का प्रिय भजन वैष्णव जन को…! गाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया | उनके साथ तबले पर निर्मल से संगत दी |
शताब्दी समारोह पर अपने उद्बोधन में डा. अंजुला सागर ने कहा कि मुझे खुशी है कि हमारे परिवार के द्वारा स्थापित यह वटवृक्ष आज अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा है और मैं इस समारोह की साक्षी बनी हूं | संस्थापक परिवार के सदस्य रमन मुलतानी ने कहा कि यह हर्ष का विषय कि महात्मा खुशीराम और राय बहादुर उग्रसेन जी द्वारा स्थापित इस पुस्तकालय से आज हमारी युवा पीढ़ी लाभान्वित हो रही है, श्री मुलतानी समारोह के आयोजकों को भी आमंत्रण के लिये धन्यवाद दिया |
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये अध्यक्ष विजय बंसल ने कहा कि हमारा प्रयास पुस्तकालय को उत्तरोत्तर आगे की ओर ले जाना है | उन्होंने कहा कि जल्द ही हम इस पुस्तकालय को डिजिटल श्रेणी में लाने की ओर आगे बढ़ रहे हैं | कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित जगदीश बाबला ने किया | समापन वक्तव्य सचिव संजय श्रीवास्तव ने दिया, इस अवसर पर कोषा गुंजन नागलिया, दीक्षा पंत, के. जी. बहल, हिमांशु भट्ट, राकेश अग्रवाल, पीताम्बर दत्त जोशी, कवि राजेन्द्र रतूड़ी ‘निर्मल’, सोहन सिह रजवार, विजय पाहवा आदि के साथ बड़ी संख्या में पुस्तकालय में अध्ययन करने आने वाले युवा मौजूद थे |
Recent Comments