उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड़ हमेशा से पर्यटकों की पंसदीदा जगह में से एक रहा है, यहां रोमांचक पहाड़ों की चोटियां पर्यटकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है, कोरोना संक्रमण के चलते उत्तराखण्ड़ पर्यटन स्थल बंद थे लेकिन अब खुलने के बाद धीरे धीरे पर्यटकों से गुलजार हो रहे हैं |
इन्ही पर्यटक स्थलों में से एक समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री नेशनल पार्क में स्थित ‘गरतांग गली’ इन दिनों गुलजार है। यह गली गंगोत्री नेशनल पार्क के लिए कमाई का जरिया भी बन गई है। बीते सात दिनों में पार्क प्रशासन को 60 हजार से अधिक का राजस्व मिल चुका है। भारत-चीन सीमा के निकट नेलांग घाटी में स्थित गरतांग गली लगभग 150 साल पुरानी है। यह गली भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक रिश्तों की गवाह है। खड़ी चट्टान को काटकर तैयार की गई यह गली एक प्रकार से लड़की का पुल है। 1962 के भारत-चीन युद्ध बाद इसे बंद कर दिया गया था। हाल में 64 लाख रुपये की लागत से इसकी मरम्मत की गई और 18 अगस्त से इसे पर्यटकों के लिए खोला गया। गंगोत्री पार्क प्रशासन ने शुरू में पर्यटकों से कोई शुल्क नहीं लिया। लेकिन, 9 सितंबर से शुल्क लागू कर दिया गया है। 9 से 14 सितंबर तक गरतांग गली पहुंचे 415 पर्यटकों से 62,250 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है।
अभी यहां विदेशी पर्यटकों का आगमन शुरू नहीं हुआ है। विदेशी पर्यटक आएंगे तो राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। भारतीय पर्यटक के लिए 150 और विदेशी पर्यटकों के लिए 600 रुपये का शुल्क है | गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक आर.एन. पांडेय ने बताया कि निम की रिपोर्ट के आधार पर ट्रेक को विकसित किया जाएगा। इससे पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा।
उत्तरकाशी जनपद की गरतांग गली को विकसित करने के लिए नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर गली को विकसित करने के लिए कई काम किये जाने हैं जिनमें
देवदार से तैयार लकड़ी के पुल पर वार्निश की जाएगी। इससे पुल की उम्र भी बढ़ेगी। इस कार्य के लिए पार्क प्रशासन ने लोनिवि को पत्र लिखा है, इसके अलावा गली में सीसीटीवी कैमरे, पर्यटकों के लिए पेयजल, शौचालय, पार्किंग, आगंतुक कक्ष, फोटोग्राफी के लिए व्यू-प्वाइंट भी विकसित करने की योजना है
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