नई दिल्ली, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुए जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में फूड डिलिवरी ऐप को लेकर अहम फैसला लिया गया है। अब नए फैसले के तहत जोमैटो और स्विगी जैसे डिलिवरी ऐप जीएसटी वसूलेंगे। उन्होंने कहा कि रेस्टोरेंट के बजाय फूड डिलिवरी ऐप को जीएसटी या माल और सेवा कर का भुगतान करना होगा। लेकिन ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि, ग्राहकों पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि जोमैटो और स्विगी जैसी फूड डिलीवरी ऐप पर जीएसटी लगाने को लेकर विचार-विमर्श हुआ,लेकिन इस मामले में कई मु्द्दों को लेकर स्प्ष्टता का अभाव रहा। इसके चलते परिषद ने इस सेवा पर किसी तरह का नया टैक्स लगाने का फैसला नहीं लिया है। इस बात पर सहमति बनी है कि फूड डिलीवरी के समय ये ऐप फूड डिलीवरी वाले स्थान पर टैक्स यानी कि डिलीवरी पॉइंट पर टैक्स कलेक्शन करेंगी और बाद में उसका भुगतान करेंगी।
जीएसटी बैठक के बाद राजस्व सचिव तरुण बजाज ने स्पष्ट किया कि किसी भी नए कर की घोषणा नहीं की जा रही है। उन्होंने समझाया, “मान लीजिए आप एग्रीगेटर से खाना मंगवाते हैं… इस ट्रांजैक्शन में रेस्टोरेंट टैक्स दे रहा है, लेकिन हमने पाया कि कुछ रेस्टोरेंट भुगतान नहीं कर रहे थे। अब हम कह रहे हैं कि अगर आप ऑर्डर देते हैं तो एग्रीगेटर उपभोक्ता से वसूल करेगा और प्राधिकरण को भुगतान करेगा। कोई नया टैक्स नहीं है। उन्होंने समझाया कि कुछ रिटर्न के विश्लेषण से कुछ रेस्टोरेंट की ओर से कर चोरी का पता चला है।
काउंसिल की बैठक में पेट्रोल और डीजल को फिलहाल जीएसटी के दायरे में नहीं लाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, डीजल में मिलाये जाने वाले बायोडीजल पर जीएसटी दर को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। सीतारमण ने कहा कि जीएसटी काउंसिल को लगा कि यह पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकतर राज्य इस विचार से सहमत हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बड़ी कटौती का इंतजार कर रहे लोगों के लिए एक झटका माना जा रहा है।
source: oneindia.com
Recent Comments