देहरादून, फीस कम करने को लेकर आंदोलित एमबीबीएस छात्रों पर कालेज प्रबंधन अब सख्ती बरत रहा है। बुधवार को प्रबंधन ने धरने पर बैठे छात्र-छात्राओं को हास्टल में आने से मना कर दिया। बहुत प्रयास के बाद उन्हें हास्टल में आने दिया गया। यह दूसरी बार है जब उन्हें हास्टल में आने से मना किया गया। यह अल्टीमेटम दिया गया है की वह फिर धरने पर बैठे तो हास्टल में एंट्री नहीं होगी। कालेज परिसर में धरना-प्रदर्शन की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी। उन्हें प्रदर्शन करना है, तो बाहर करें।
दरअसल, दून मेडिकल कालेज के 2019 व 2020 बैच के एमबीबीएस छात्र पिछले 19 दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। वह फीस कम करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2018 तक तीनों राजकीय मेडिकल कालेज में बांड व्यवस्था थी, जिसके तहत छात्र रियायती दर पर पढ़ाई कर सकते थे। पर दो साल पहले दून और हल्द्वानी मेडिकल कालेज से बांड खत्म कर दिया गया। बांड व्यवस्था के तहत फीस 50 हजार रुपये सालाना थी। बांड व्यवस्था खत्म होने से अब तकरीबन 4.25 लाख रुपये सालाना फीस देनी पड़ रही है। ऐसे में मेधावी और सामान्य घरों के बच्चों के लिए डाक्टरी की पढ़ाई मुश्किल हो गई है।
अन्य राज्यों के सरकारी मेडिकल कालेजों में अधिकतम फीस 1.25 लाख तक है, राज्य सरकार भी फीस कम करे। दो दिन पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत से भी मुलाकात की थी। स्वास्थ्य मंत्री ने भरोसा दिया था कि अन्य राज्यों के फीस स्ट्रक्चर का अध्ययन कर समाधान निकाला जाएगा। यह मामला कैबिनेट में लाया जाएगा। छात्रों की मांग है कि यदि फीस कम की जाती है तो इसे पूर्व से ही लागू किया जाय, दून मेडिकल कालेज के प्राचार्यम डा. आशुतोष सयाना का कहना है कि कालेज का अपना अनुशासन है। जिसके तहत हास्टल आदि का समय नियत है। छात्र-छात्राओं से सिर्फ इतना कहा गया है कि वह समय पर हास्टल पहुंचें। सुरक्षा के लिहाज से उन्हें ज्यादा देर बाहर नहीं रहने दिया जा सकता।
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