देहरादून, रूम टू रीड इंडिया ट्रस्ट ने उत्तराखंड में एक अभूतपूर्व शिक्षा अभियान 2021 शुरू किया। इसके तहत ‘घर शिक्षा का गढ़’ बने और बच्चों की पढ़ाई में ‘माता-पिता की भागीदारी बढ़े इस लक्ष्य से राज्य स्तर पर जोर दिया गया है। दुर्गम स्थानों तक पुस्तकालय ले जाने, बच्चों में पुस्तक बांटने, उनके माता-पिता और आम नागरिक से पढ़ाई पर संवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि बच्चों, खास कर आरंभिक कक्षा के बच्चों के लिए ‘घर शिक्षा का गढ़’ बन जाए। अभियान 15 अगस्त से चल रहा है और 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर समाप्त होगा।
श्री राकेश कुंवर, निदेशक, एससीईआरटी, उत्तराखंड ने अभियान आरंभ करने के अवसर पर कहा, ‘‘बच्चों के माता-पिता से मेरा अनुरोध है कि दूरदर्शन, रेडियो, दीक्षा प्लैटफार्म जैसे संसाधनों का उपयोग कर बच्चों के सीखने में अपनी भागीदारी बढ़ाएं। माता-पिता से यह भी अपील करता हूं कि बच्चों को सीखने की दिलचस्प गतिविधियों में लगाएं।’’
समुदाय को संबोधित करते हुए श्री बंशीधर तिवारी, महानिदेशक, शिक्षा, उत्तराखंड सरकार ने कहा: “कोविड-19 से स्कूली शिक्षा बुरी तरह प्रभावित है जो हम सभी जानते हैं। पढ़ाई की कमी दूर करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था तो कर दी गई है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मैं बच्चों के माता-पिता से अनुरोध करता हूं कि कम से कम 15 से 30 मिनट उनके साथ बिताएं और ‘घर शिक्षा का गढ़’ बने यह सुनिश्चित करें।
रूम टू रीड इंडिया के संवाद प्रमुख संजय सिंह ने कहा: ‘‘हमें सबसे पहले 2025 तक प्राथमिक विद्यालयों में सार्वभौमिक आधारभूत साक्षरता और संख्या (एफएलएन) ज्ञान का लक्ष्य हासिल करना होगा। एफएलएन की दिशा में समग्र सुधार करने होंगे जिसके लिए ‘घर शिक्षा का गढ़‘ बने इस पर जोर देना होगा और ‘माता-पिता की भागीदारी‘ सुनिश्चित करनी होगी। निपुण के दिशानिर्देश के तहत यह समय की मांग है। बच्चों के माता-पिता और अभिभावक दैनिक गतिविधियों के बीच घर और आसपास पढ़ने-पढ़ाने के अवसर बना कर बच्चों के साथ सीखने की असीम संभावनाओं को साकार करें।
देहरादून के धलानी गांव, ब्लाक विकासनगर की कक्षा दो की छात्रा वैष्णवी गांव में अपने घर के पास कई रंग-बिरंगी किताबें देखकर उत्साहित हो गई। उसने साथियों को ‘गाने वाला पेड़‘ नामक किताब पढ़़ कर सुनाया और गांव में लाइब्रेरी का आनंद लिया।
अभियान के दौरान छह जिलों के 30 से अधिक ब्लॉकों में बच्चों के माता-पिता से संपर्क कर यह जानने की कोशिश की गई कि वे अपने बच्चों के लिए ‘घर शिक्षा का गढ़’ बनाने के बारे में क्या राय रखते हैं। साथ ही, टीम ने माता-पिता को अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल बनने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्हें पीआरआई, एसएमसी और समुदाय के सदस्यों के साथ मिलकर एफएलएन के लक्ष्य प्राप्त करने को कहा।
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