हरिद्वार, अपनों के रहते हुये भी जब अपनी आजीविका चलाने के लिये घाट के किनारे थेले बेचने पर मजबूर होना पड़े, यह बानगी 95 वर्षीय वृद्धा की, जो अब इस दुनिया से दूर चली गयी, परन्तु उसके जीवन के सफर में खाकी ने मानवीय कर्तव्य समझकर उसे अश्रुपूर्ण नयनों से अंतिम विदाई भी दी, यह मानवीयता का कार्य उत्तराखंड की मित्र पुलिस कई बार वह गैरों को अपनाकर न सिर्फ उनकी देखभाल अपनों की तरह करती है, बल्कि अंतिम समय में बेटा बनकर हिंदु धर्म की परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार भी करती है। ऐसा ही सार्थक कार्य हरकी पैड़ी और रोड़ीबेलवाला चौकी इंचार्ज ने आज ऐसी ही एक बुजुर्ग महिला के निधन होने पर उसको कंधा दिया और अंतिम संस्कार भी किया।
हरिद्वार नगर कोतवाली क्षेत्र में रहने वाली 95 वर्षीय वृद्धा संतोष देवी गंगा किनारे के घाटों पर थैले बेच कर अपना जीवन यापन करतीं थीं। कोरोना संक्रमण की पहली लहर में हरकी पैड़ी चौकी इंचार्ज अरविंद रतूड़ी को एक व्यक्ति ने संतोष देवी के बारे में बताया था। इसके बाद अरविंद रतूड़ी ने उनसे मुलाकात की और उसके बाद उनकी देखभाल शुरू कर दी। मिली जानकारी के मुताबिक वृद्धा संतोष की एक बेटी भी है जो हल्द्वानी में रहती है। कुछ समय पहले महिला अपनी बेटी के पास रहने के लिए गई थी। बताते हैं वहां से उन्हें वापस भेज दिया गया था। एक महीने से संतोष देवी की हालत खराब हो गई थी। तब से अरविंद रतूड़ी उनकी देखभाल कर रहे थे।
सोमवार शाम को संतोष देवी ने अंतिम सांस ली। अरविंद रतूड़ी ने मानवता का परिचय देते हुए रोड़ी बेलवाला चौकी इंचार्ज पवन डिमरी व उनकी टीम के साथ खड़खड़ी श्मशान घाट में वृद्धा का अंतिम संस्कार कर नम आंखों से विदाई दी, सीसीआर भवन के पास भारत स्काउट एंड गाइड का रैन बसेेरा है। दस साल से संतोष देवी यहीं रात काटती थी। हरकी पैड़ी पुलिस चौकी का पूरा स्टाफ संतोष देवी का ध्यान रखने के साथ साथ उसके खाने की व्यवस्था भी करता था।
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