संतफ़ादर्स राजिन्दर सिंह जी महाराज
‘फ़ादर्स डे’ एक ऐसा दिन है जबकि हम अपने-अपने पिता के प्रति विशेष सम्मान व आभार प्रकट करते हैं। यह एक ऐसा दिन भी है जबकि हम परमात्मा को याद करते हैं, जोकि हम सबके पिता-परमेश्वर हैं।
इस दिन हम अपने शारीरिक पिता से मिले प्रेम को और उनसे मिले उपहारों को दिल से याद करते हैं, तथा उनका धन्यवाद करते हैं। यह एक ऐसा समय भी है जबकि हम प्रभु से मिली देनों व बरक़तों को याद करते हैं, तथा उनका शुक्राना अदा करते हैं।
प्रभु ही हमारे सच्चे पिता हैं, और हर तरह से हमारा ख़याल रखते हैं। हरेक माता-पिता अपनी संतान में वो सद्गुण एवं नैतिक मूल्य देखना चाहते हैं जो स्वयं उनके अंदर होते हैं। हरेक माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा या बेटी बड़े होकर अच्छे इंसान बनें।
प्रभु हमसे अलग नहीं हैं। यह हमारा मन है जो हमें प्रभु से दूर कर देता है। परमात्मा का अंश, आत्मा, प्रत्येक इंसान के अंदर पाई जाती है। परमात्मा ने आत्मा को अपने ही नमूने पर बनाया है। समस्त मानव जाति परमात्मा के स्वरूप के आधार पर ही बनाई गई है। प्रभु चाहते हैं कि हम सभी उस महान् स्वरूप के अनुसार ही अपना जीवन जिएँ, सद्गुणों एवं नैतिक मूल्यों को अपने अंदर धारण करें।
प्रभु चाहते हैं कि हम केवल उनसे ही नहीं, बल्कि उनकी बनाई हुई सृष्टि में मौजूद सभी इंसानों व जीवों से प्रेम करें। इसी उद्देश्य से सृष्टि का निर्माण किया गया था। कहा जाता है कि प्रभु ने समस्त मानव जाति को एक-दूसरे से प्रेम व करुणा का व्यवहार करने के लिए ही बनाया है, नहीं तो अगर प्रभु को केवल अपनी भक्ति ही करानी होती, तो उसके लिए तो फ़रिश्ते ही काफ़ी थे। परंतु प्रभु ने फिर भी इंसानों को बनाया, ताकि व न केवल प्रभु से प्रेम करें, बल्कि आपस में एक-दूसरे से भी प्रेम करें।
जो इंसान अपने साथी इंसानों की मदद करता है, वो प्रभु को अच्छा लगता है। अपनी इच्छाओं व सुखों का त्याग करके भी दूसरों की सहायता करना, यह विशिष्ट गुण परमात्मा को बहुत अच्छा लगता है; और जिसके अंदर भी यह सद्गुण मौजूद होता है, वो इंसान भी परमात्मा को बहुत भाता है।
इस धरती पर अरबों आत्माएँ जी रही हैं। उनमें से बहुत से लोग स्वार्थ एवं लापरवाही से भरपूर जीवन जी रहे हैं। बहुत से लोग तो आपे से बाहर जाकर भी अधिकार, शोहरत, सत्ता, मान-प्रतिष्ठा चाहते हैं। इसका अर्थ यह है कि वे लोग प्रभु की विपरीत दिशा में क़दम उठा रहे हैं। जबकि प्रभु तो वास्तव में यही चाहते हैं कि हम न केवल उनसे बल्कि सभी इंसानों से एक समान ही प्रेम करें। जो लोग ऐसा करते हैं, केवल वे ही सच्चे मायनों में प्रभु की संतान हैं।
‘फ़ादर्स डे’ के दिन हम अपने-अपने पिता को सम्मान देने की सोचते हैं। लेकिन इसके साथ ही हमें प्रभु को भी सम्मान व धन्यवाद देना चाहिए, जोकि हम सबके सच्चे व सर्वोपरि पिता हैं। इसका सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि हम उनके द्वारा मिली देनों एवं बरक़तों को याद करें तथा उनका शुक्रिया अदा करें। दूसरे, हमें जिस महान् उद्देश्य के लिए यह मानव जन्म मिला है, उसे हम पूरा करें और अपने आध्यात्मिक लक्ष्य को प्राप्त करें।
आइए, आज के दिन हम लोग अपने शारीरिक पिता को धन्यवाद देने के साथ-साथ पिता-परमेश्वर, जिनसे हमें अपने जीवन के सभी उपहार प्राप्त हुए हैं, का भी दिल से शुक्राना अदा करें।
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