हल्द्वानी, राज्य में कोरोना की दूसरी लहर से पिछले दो महीने से हड़कंप मचा हुआ था, पर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में हर रोज कुछ न कुछ कमी की खबरे लगातार स्वास्थ्य विभाग को आइना दिखाने का काम करती रही, अब जबकि पिछले 10 दिनों से प्रदेश में कोरोना संक्रमण का ग्राफ कम हो रहा है | इधर राज्य में राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) को पीएम केयर्स फंड से मिले पोर्टेबल वेंटिलेटर कुछ ही दिनों में खराब होने की खबर है। जबकि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने एक कंपनी के 28 वेंटिलेटरों को ठीक कराया है जबकि दूसरी कंपनी के 17 वेंटिलेटरों को टेक्नीशियन और इंजीनियर का इंतजार है।
गौरतलब हो कि पिछले वर्ष सितंबर में पीएम केयर फंड से एसटीएच को 45 पोर्टेबल वेंटिलेटर मिले थे। कुछ दिनों बाद 17 वेंटिलेटर और दिए गए। ये वेंटिलेटर कुछ समय बाद इंस्टॉल किए गए। पोर्टेबल वेंटिलेटर अलग-अलग वार्डों में लगाए गए जबकि कुछ के प्रयोग की जरूरत नहीं पड़ी। राज्य
कोविड के केस कम होने के बाद पिछले सप्ताह पीएम केयर फंड से आए 28 पोर्टेबल वेंटिलेटरों की मरम्मत कराई गई। 17 की मरम्मत होनी अभी शेष है। 17 वेंटिलेटर दूसरी कंपनी के हैं, इसलिए टेक्नीशियन और इंजीनियर को सूचना दी गई है।
वहीं, बागेश्वर जिले को भी पीएम केयर फंड से मिले दो वेंटिलेटरों के इंस्टॉलेशन में दिक्कत आ रही है। सीएमओ डॉ. बीडी जोशी ने टेक्नीनिशयन और इंजीनियर को बुलाया है।
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन से राजकीय मेडिकल कॉलेज को दो आरटीपीसीआर मशीनें मिली हैं। अभी तक इन मशीनों को प्रयोग में नहीं लाया गया है। अप्रैल और मई में लोगों को अपनी आरटीपीसीआर रिपोर्ट के लिए सात से दस दिन तक इंतजार करना पड़ा था। फाउंडेशन से मिली मशीनों का अगर मेडिकल कॉलेज समय पर प्रयोग शुरू कर देता तो लोगों को रिपोर्ट जल्द मिल जाती। साथ ही अधिक जांचें हो सकती थी |
राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीपी भैसोड़ा के मुताबिक पीएम केयर फंड से आए पोर्टेबल वेंटिलेटरों में कुछ तकनीकी दिक्कत आ रही थी। कंपनी से टेक्नीशियन और इंजीनियर को बुलाकर लगभग 27-28 वेंटिलेटर ठीक करा दिए गए हैं। शेष जल्द ही ठीक करा दिए जाएंगे। दूसरी कंपनी के टेक्नीशियन और इंजीनियर को सूचना दी गई है। पोर्टेबल वेंटिलेटर अभी वारंटी में हैं। कई बार प्रयोग होते-होते भी कोई तकनीकी दिक्कत आ जाती है। अजीम प्रेम जी फाउंडेशन से मिले दो आरटीपीसीआर मशीनें अभी प्रयोग में नहीं लाई गईं हैं। उनको इंस्टॉल करने की प्रक्रिया चल रही है।
इस संबंध में डॉ. शैलजा भट्ट स्वास्थ्य निदेशक कुमाऊं का कहना है कि अल्मोड़ा में अभी वेंटिलेटर का प्रयोग नहीं हो रहा है। अन्य जिले अपनी आवश्यकता के अनुरूप वेंटिलेटरों का प्रयोग कर रहे हैं। पिथौरागढ़ में भी वेंटिलेटर कम ही प्रयोग हो रहे हैं। वेंटिलेटरों में अगर कोई तकनीकी दिक्कत आती है तो सीएमओ अपने स्तर से कंपनी के टेक्नीशियन और इंजीनियर को बुलाकर ठीक करा सकते हैं।
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