देहरादून, उत्तराखण्ड़ में बढ़ता कोरोना संक्रमण कुछ लोगों के लिये मुनाफे का खेल बन रहा है कोरोना संकट इस दौर में जहां एक ओर आम आदमी की कमर टूट गई है। आर्थिक स्थिति बिगड़ने के साथ ही लोग बेरोजगार हो गए हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस आपदा में भी कालाबाजारी का अवसर तलाश रहे हैं। इसका पर्दाफाश पुलिस की ओर से कालाबाजारी के खिलाफ चलाए गए अभियान के तहत हुआ। पता चला कि कई अस्पतालों ने कोविड के नाम पर संक्रमितों से खूब पैसा लूटा है। पुलिस ने इसकी रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को भेज दी है।
पुलिस को लगातार अस्पतालों की ओर से मनमानी किए जाने और कोरोना संक्रमित मरीजों से अधिक फीस वसूलने की शिकायत मिल रही थी। इस पर पुलिस ने स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की विभिन्न टीमों का गठन कर अस्पतालों की इस कालाबाजारी के खिलाफ अभियान चलाया।
जिसके तहत दून के सभी छोटे-बड़े अस्पतालों की जांच की गई। गुरुवार को एसटीएफ ने सीएमओ को इसकी रिपोर्ट भेजी। जिसमें बताया गया कि दून में दो कमरों के अस्पताल वालों ने भी डाक्टर विजिट के नाम पर मनमानी फीस वसूली। शासन ने जिन अस्पतालों को कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज की अनुमति नहीं दी थी, वहां पर अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को निमोनिया दिखाकर उसका इलाज शुरू किया। साथ ही मोटी फीस वसूली। यही नहीं जब मरीज की हालत नाजुक हुई तो उसे रेफर कर दिया। एसटीएफ ने जब अस्पताल से रिकॉर्ड लेकर मरीजों के तीमारदारों से बात की तो पता लगा कि कई मरीजों को तो कोविड रिपोर्ट ही नहीं दी गई। अस्पतालों में 17 से 18 हजार रुपये सामान्य बेड के वसूले गए,
थानास्तर पर हुई जांच के बाद 53 अस्पतालों की रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भेजी गई है। एसपी सिटी सरिता डोबाल ने बताया कि थाना स्तर पर अस्पतालों की जांच करवाई गई थी। ऐसे में थानाध्यक्ष को अस्पतालों में भेजा गया। मरीजों के स्वजनों व चिकित्सकों से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है।
अनूप डिमरी (मुख्य चिकित्सा अधिकारी देहरादून) का कहना है कि कुछ निजी अस्पतालों के खिलाफ जांच रिपोर्ट आई है। इनमें से कुछ को नोटिस दे दिया गया है। नोटिस का जवाब मिलने के बाद ही अगली कार्रवाई की जाएगी। अजय सिंह (एसएसपी एसटीएफ) का कहना है कि एसटीएफ ने कालाबाजारी के खिलाफ दून के अस्पतालों की पड़ताल की। इस दौरान अस्पतालों से कुछ दस्तावेज भी मांगे गए। जांच-पड़ताल के आधार पर रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भेज दी गई है। रिपोर्ट की प्रति स्वास्थ्य सचिव व महानिदेशक को भी प्रेषित की गई है। अब विभाग अपने स्तर पर कार्रवाई करेगा।
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