नई दिल्ली, एजेंसी। नीति आयोग और मास्टरकार्ड द्वारा बुधवार को “कनेक्टेड कॉमर्स : क्रिएटिंग ए रोडमैप फॉर ए डिजिटली इंक्लूसिव भारत” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई। इस रिपोर्ट में भारत में डिजिटल वित्तीय समावेशन को तेज करने की दिशा में आ रही समस्याओं को चिन्हित किया गया। इस मौके पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार और सीईओ अमिताभ कांत भी उपस्थित रहे।
इस रिपोर्ट में कृषि, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग), शहरों में आवागमन के साधनों और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में बेहतर नीति बनाने व क्षमता निर्माण की सिफारिश की गई है। नीति आयोग के नेतृत्व में मास्टर कार्ड के सहयोग से किए गए इस विचार-विमर्श में बैंकिंग सेक्टर, फाइनेंशनल रेगुलेटर, फिनटेक उद्यमों और इकोसिस्टम के कई इनोवेटर्स ने हिस्सा लिया।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा , “टेक्नोलॉजी लगातार बदलती रही है, जिससे लोगों को फाइनेंशियल सर्विसेज तक बेहतर और आसान पहुँच मिलती है। भारत में वित्तीय सेवाओं का डिजिटाइजेशन बढ़ता जा रहा है। अब उपभोक्ता कैश की जगह कार्ड, वॉलेट्स, ऐप्स और यूपीआई रखने लगे हैं।”
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, “कोरोना के बाद के युग में लचीले सिस्टम का निर्माण कर बिजनेस मॉडल को प्रोत्साहित करना भविष्य में अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। भारत डिजिटल फाइनेंशिल सर्विसेज के एक हब के रूप में उभर रहा है। यूपीआई जैसे सोल्यूशन को लोग काफी तेजी से अपना रहे हैं। सभी को अफोर्डेबल डिजिटल पेमेंट की सुविधा देने में यूपीआई की प्रामाणित उपयोगिता को काफी सराहा गया है।”
इस रिपोर्ट की महत्वपूर्ण सिफारिशों में निम्नलिखित शामिल हैं :
1. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को समान अवसर देने के लिए भुगतान के ढांचे को मजबूत बनाना।
2. सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों को विकास के अवसर मुहैया कराने के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और अनुपालन की प्रक्रिया का डिजिटाइजेशन करना।
3. ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर धोखाधड़ी के खतरों से उपभोक्ताओं को सतर्क करने की चेतावनी देने की प्रणाली सुनिश्चित करना।
4. कृषि क्षेत्र में काम कर रही नॉन बैंकिंग फाइनेंशल कंपनियों को कम ब्याज दर पर पूंजी प्राप्त करने की क्षमता देना।
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