पिथौरागढ़, जन आंदोलन के दम पर राज्य बनाने वाली इस भूमि में एक गैर राजनैतिक प्लेटफार्म बनाने के लिए राज्य के आंदोलनकारियों ने आज एक वर्चूअल बैठक की। कहा कि राज्य में जनहित के मुद्दो को उठाने के लिए एक राजनैतिक बंदिशों से मुक्त संगठन की आवश्यक्ता है।
पिथौरागढ़ के जिला पंचायत सदस्य तथा सामाजिक कार्यकर्ता जगत मर्तोलिया ने फैसबुक में इस बात का आवहा्न कर राज्य के आठ जनपदों के एक्टिविस्टों को जोडा था। फिलहाल एक उत्तराखंड सिविल सोसायटी नाम से ग्रुप बनाया था।
कोविड के कारण फिजिकल बैठक नहीं हो पा रही है। आज इनकी वर्चुअल बैठक में सभी ने एक बंदिश मुक्त आजाद प्लेटफार्म होने पर सहमति दी।
कहा कि राज्य बनने के बीस साल के साथ भी राज्य आंदोलन के मुद्दो का हल नहीं निकला है। आज राज्य समस्याओं का गढ़ बन गया है। राज्य के भीतर एक ऐसा बैनर व मंच नहीं है जो एक साथ राज्य के भीतर गंभीर बहस व मुद्दों को जन की आवाज बना सके।
बैठक में कहा गया कि ग्राम स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के अनगिनत मुद्दे है जिससे राज्य की जनता त्रस्त है। इन मुद्दों का हल निकालकर हम इस राज्य को हिमाचल से आगे ले जा सकते है।
बैठक में तय किया गया है इस तरह की कमी को पूरा करने के लिए राज्य के भीतर एक सांझा मंच बनेगा, जो सामूहिक नेतृत्व के आधार पर उत्तराखंड की आवाज को बुलंदी देगा।
बैठक में संगठन के संविधान बनाने के लिए सुभाष पंगरिया को तथा जन मुद्दों को एक सूत्र में पिरोने के लिए हीरा जंगपांगी को जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
तय किया गया है आठ जिलो में जिले से लेकर ग्राम स्तर तक इस विचार से सहमत लोगो की सूचि बनायी जाय। ताकि संगठन को ताकतवर व धारदाद बनाया जाय।
बैठक में सुभाष पंगरिया, हीरा जंगपांगी, गोविन्द पंवार, प्रमोद कुमार द्विवेदी,राजेन्द्र बिष्ट, राजू देवली, नम्रता बोहरा, कला नगन्याल, रेखा रानी, प्रमोद सिंह, आर. मेहता आदि ने अपने सुझाव भी दिए।
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