पिथौरागढ़, उत्तराखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन ने अल्मोड़ा के दन्या में घटी घटना के बाद सोशियल साइटों पर कुकरमुत्तों की तरह उग आए चैनल तथा न्यूज पोर्टलों पर अंकुश लगाने के लिए मीड़िया कांऊसिल बनाने की मांग की। इस संदर्भ में आज मुख्यमंत्री, राज्यपाल तथा सचिव सूचना को ईमेल से पत्र भेजा।
यूनियन के प्रदेश संयोजक जगत मर्तोलिया ने आज इन पत्रों को जारी करते हुए कहा इस समय संचार क्रांति के कारण कोई भी सूचना न दब रही है ना ही छुपायी जा रही है। यह पत्रकारिता व लोकतंत्र के साथ ही एक पाठक व दर्शक के लिए लाभकारी सिद्ध हुई है।
मर्तोलिया ने कहा कि सोशियल साईटों में अनगिनत चैनल, ऐप व पोर्टल की भरमार है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के दन्या के समीप एक गांव में. घटी घटना के बाद एक चैनल ने नाबालिक बालिका के चेहरे के साथ उसकी समस्त पहचान को सार्वजनिक कर दिया। इससे पता चलता है कि इन चैनल या गुरुप चलाने वालो को पत्रकारिता की ए.बी.सी.डी. का भी पता नहीं है। मर्तोलिया ने कहा कि इसके लिए सरकार व सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, उत्तराखंड दोषी है।
मर्तोलिया ने कहा कि दो साल के भीतर इस तरह की मीडिया पर इस तरह मामले में 23 एफ.आई.आर. दर्ज हुई है। उसके बाद भी सरकार ने इस तरह की मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए क्यों नहीं सोचा।
मर्तोलिया ने कहा कि सरकार इसके लिए मीडिया कांउसिल बनाएं। जिलों में जिला सूचना अधिकारी पुलिस के गुप्तचर सिस्टम से इस तरह के मीडिया संचालकों का पता लगाकर इन्हें पत्रकारिता की बेसिक शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षण आयोजित करे।
मर्तोलिया ने कहा कि जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक सरीखे अधिकारियों के साथ ही मंत्री, मुख्यमंत्री तक बिना सोचे समझे इस तरह की मीडिया को इंटरव्यू देकर इस तरह के अपराधों के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
मर्तोलिया ने कहा कि सरकार व सूचना विभाग ने पत्र पर उचित कदम नहीं उठाया तो यूनियन उच्च न्यायालय नैनीताल में जनहित याचिका दायर करेगी।
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