नई दिल्ली: किसान नेताओं ने सिंघू बॉर्डर पर शुक्रवार रात प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक नकाबपोश शख्स को मीडिया के सामने पेश किया था. इस शख्स ने दावा किया था कि मीडिया में जाना पहचाना चेहरा बन चुके चार किसान नेताओं को मारने की साजिश रची गई. किसानों के प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शख्स का चेहरा नकाब से ढ़का हुआ था. बाद में इस शख्स का चेहरा सामने आया और उसने अपना नाम योगेश सिंह बताया. किसानों के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सोनीपत पुलिस ने शख्स से पूछताछ शुरू की. अब सोनीपत की पुलिस ने कहा कि कल किसानों के प्रेस कॉन्फ्रेस में उसने जो दावा किया था, जांच के दौरान उससे पलट गया.
रंधावा ने ये भी कहा, “वह सोनीपत का रहने वाला है और बेरोजगार है. पूछताछ करने पर यह सामने आया कि ईव-टीजिंग के आरोपों को लेकर किसान आंदोलन के वॉलंटीयर्स के साथ उसकी बहस हो गई थी. उसे एक कैंप में ले जाया गया जहां उसकी पिटाई की गई. उसने कहा कि डर की वजह से ऐसे बयान दिए.” उन्होंने बताया कि शख्स को न तो गिरफ्तार किया गया है और न ही हिरासत में लिया गया है. बस उससे पूछताछ की जा रही है.
पुलिस ने कहा कि शख्स का मेडिकल करवाया गया, जिसमें उसके शरीर पर चोट का होना पाया गया है. डीएसपी लेवल के अधिकारी की देखरेख में जांच कमिटी बनाई गई है. अभी तक कि जांच के अंदर किसी तरह के हथियार की बात सामने नहीं आई है. इसमें अभी तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आयी कि इसे किसी को मारने का काम दिया गया हो. जशनदीप एस रंधावा ने कहा कि कल किसान संयुक्त मोर्चा ने पीसी कर एक शख्स को पेश किया और उसने दावा किया कि उसे आंदोलन में हथियार सप्लाई करने हैं.
सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा ने कहा, “कल, उसने आरोप लगाया कि उसे राई पुलिस स्टेशन के एक इंस्पेक्टर प्रदीप, एसएचओ द्वारा काम सौंपा गया था. हमारी प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि प्रदीप नाम का कोई इंस्पेक्टर जिले में या राय पुलिस स्टेशन में नहीं है.”
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