देहरादून, अपनी चार दिवसीय यात्रा में उत्तराखण्ड़ आये भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी को अगले विधानसभा चुनाव का गुरू मंत्र देकर चले गये, उनका यह चार दिवसीय प्रवास उत्तराखण्ड़ के सुदूर पर्वतीय भूभाग का भाग्य जगा पायेगा यह प्रश्न अब सत्ता के गलियारों में तैरने लगा है, क्या त्रिवेन्द्र सरकार पहाड़ी और पहाड़ी के दर्द को समझ कर विकास का खाका आमजन तक पहुँचायेगी, जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद पहाड़ी हैं और यह भी कह कर चले गये कि मैं पहाड़ का दर्द समझता हूँ, अब उत्तराखण्ड़ के पहाड़ी क्षेत्रों के लिये क्या विकास की नयी किरण निकलने वाली है |
यह आने वाला समय ही बतायेगा, फिलहाल जे पी नड्डा जाने से पहले भाजपा संगठन और सरकार को पांच मंत्र दे गए। तीन दिन चली मैराथन बैठकों में शीर्ष नेताओं से लेकर आम कार्यकर्ताओं से हुए संवाद में उन्होंने साफ किया कि 2022 और 2024 में मिशन इलेक्शन का लक्ष्य हिंदुत्व कार्ड, मोदी मैजिक, मजबूत और सक्रिय सांगठनिक नेटवर्क, निरंतर प्रवास और सहज आचरण से ही साधा जा सकता है, अपने 120 दिन के देशव्यापी प्रवास की शुरुआत उन्होंने देवभूमि उत्तराखंड से यूं नहीं की। कुंभनगरी हरिद्वार के गंगा तट हर की पैड़ी से प्रवास की शुरुआत करने के भी कई मायने हैं। लेकिन सियासी जानकार इसे आरएसएस और भाजपा का हिंदुत्व एजेंडा मानते हैं। नड्डा ने गायत्री परिवार के संचालक उन प्रणव पंड्या से मुलाकात की, जिनकी संस्था के देश दुनिया में करीब 20 करोड़ अनुयायी हैं।
उत्तराखंड में राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर प्रवास अमित शाह ने भी किया था। शाह के दौरे के अनुभव के आधार पर पार्टी नेताओं ने नड्डा के दौरे को लेकर उसी तरह की धारणाएं बनाई थी, लेकिन शाह के आक्रामक रुख से जुदा नड्डा ज्यादा सहज और संतुलन साधते नजर आए।
नड्डा पहाड़ी हैं, शायद इसलिए पहाड़ के मर्म को समझे
उनकी बातों ने सरकार और संगठन दोनों को सहज किया। कोविडकाल की बंदिशों के बीच पार्टी नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं से उन्होंने जितना भी संवाद बनाया, उसमें उन्होंने निरंतर प्रवास पर फोकस किया।
उन्होंने मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से लेकर शक्ति केंद्र के मुखिया और उसकी टीम को निरंतर प्रवास करने की सलाह दी। बदलती राजनीतिक चुनौती से मुकाबला करने के लिए उन्होंने सांगठनिक नेटवर्क के विस्तार पर जोर दिया। उनका मानना था कि भाजपा को रोकने के लिए सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर लड़ेंगे, लिहाजा पार्टी को उसी हिसाब से तैयारी करनी है। इसके लिए उन्होंने अपना एजेंडा तय करने का मंत्र दिया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा का यह मंत्र पीएम मोदी के नेतृत्व कौशल, केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की चाशनी में लिपटा है, जिसे जन जन के कान में फूंकने की उनकी योजना है। इससे साफ हो गया कि प्रदेश में पार्टी के शीर्ष नेताओं से लेकर आम कार्यकर्ता की जुबान पर मोदी ही नजर आएंगे।
सांगठनिक नेटवर्क की रीढ माने जाने वाले जमीनी कार्यकर्ता के बीच भी उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि संगठन नेतृत्व के जेहन में उनका सबसे ज्यादा ख्याल है। जिला, मंडल और बूथ अध्यक्ष के साथ मंच साझा करना इसी रणनीति का हिस्सा माना गया। साथ ही इसे प्रदर्शित करके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सहजता का संदेश भी दिया।
अपने चार दिवसीय प्रवॎस में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा मैं पहाड़ी हूं, इसलिए पहाड़ का दर्द खूब समझता हूं। उन्होंने पहाड़ पर महिलाओं के संघर्ष को बयान किया। उन्होंने कहा कि पहाड़ हिमाचल का हो या उत्तराखंड का, संघर्ष दोनों ही जगह समान है इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार की उज्ज्वला और सौभाग्य योजनाओं का जिक्र भी किया। नड्डा का मिशन उत्तराखंड़ का सीधा प्रश्न अब त्रिवेन्द्र सरकार के पाले में जाता है क्या लगातार असंतोष हो रहे पहाड़ में किस तरह खुशहाली का रोड़ मैप तैयार होगा और कैसे पहाड़ के लोगों के दिन बहुरेगे, जिसकी आश में वे आज भी राह देख रहे हैं |
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