नई दिल्ली. चालू वित्त वर्ष में सरकारी बैंक व सहकारी बैंक अपने शेयरधारकों को डिविडेंड नहीं देंगे. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने यह फैसला लिया है. यह लगातार दूसरा साल है जब केंद्रीय बैंक ने पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSB’s) को डिविडेंड देने से रोक लगाया है. बीते कई साल से सरकारी बैंक अपने शेयरधारकों को डिविडेंड नहीं दे रहे हैं. अंतिम बार 2018 में इंडियन बैंक (Indian Bank) और विजया बैंक (Vijaya Bank) ही केवल दो ऐसे सरकारी बैंक थे, जिन्होंने अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा शेयरधारकों के साथ साझा करने का फैसला लिया था.
पब्लिक सेक्टर के अन्य बैंक अभी संघर्ष की स्थिति में नजर आ रहे हैं. साल 2013 में भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) ने 41.5 रुपये के डिविडेंड का ऐलान किया था. इसके बाद से ही देश के अधिकतर सरकारी बैंकों के लिए फंस कर्ज ही एक बड़ी समस्या बना हुआ है.
मार्च में भी RBI ने लगाया था रोक
RBI ने सरकारी बैंकों में पूंजी संरक्षण का ध्यान रखते हुए एक मार्च 2020 में डिविडेंड भुगतान पर रोक लगाया था. आरबीआई के इस कदम को विवेकपूर्ण बताया गया था. केंद्रीय बैंक ने अपने आंतरिक एसेसमेंट में खुद इस बात को स्वीकार किया था कि बुरे कर्ज कर्ज का सबसे ज्यादा जोखिम सरकारी बैंकों को है.
इस बार भी स्थिति कुछ ऐसी ही दिखाई दे रही है. आरबीआई का कहना है कि इन बैंकों को अपना बैलेंस शीट मजबूत करने की जरूरत है. साथ ही, उनके पास इतनी तरलता भी होनी चाहिए ताकि वो कोविड-19 महामारी के बीच कर्ज दे सकें.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘मौजूदा संकट और कोविड-19 की अनिश्चितता को देखते हुए बैंकों के लिए महत्वपूर्ण है कि वो पूंजी संरक्षण को जारी रखें ताकि जरूरत पड़ने पर अर्थव्यवस्था को भी सपोर्ट कर सकें.’
तीसरे सप्ताह में जारी होंगे एनपीए के अनुमानित आंकड़े
इस महीने के तीसरे सप्ताह में फंसे कर्ज का सबसे लेटेस्ट अनुमान जारी किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोन मोरेटोरियम मामले पर सुनवाई के बाद इसे जारी किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद डिफॉल्ट अकाउंट्स को गैर-निष्पादित अस्तियां (NPA) घोषित किए जाने को लेकर रोक हट जाएगा.
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