Monday, November 25, 2024
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टैंट भी नसीब नहीं हो पा रहे भू धंसाव से प्रभावित दिलणा-ग्वाड़ के ग्रामीणों को अभी तक जिला प्रशासन ने नहीं ली कोई सुध

(देवेंन्द्र चमोली)
रुद्रप्रयाग- विकासखंड ऊखीमठ के दिलणा-ग्वाड में लगातार हो रहे भू-धंसाव से ग्रामीणों को खतरा बना हुआ है स्थिति यह है कि भू धंसाव से ग्रामीणों की छः गौशालाएं पूर्ण क्षतिग्रस्त हो गई है व पॉच गौशालाएं खाली करवा ली गयी हैं। जबकि खतरे की जद में आये आठ परिवार अन्य परिवारों के यहाँ शरण लिए हुए हैं। रात्रि को भारी वर्षा होने पर सभी दिलणा वासी एक जगह पंचायती चौक में इकट्ठा होकर रात्रि जागरण कर रात गुजारने को मजबूर हैं।
तहसील ऊखीम की ग्राम पंचायत मक्कू का राजस्व ग्राम दिलणा-ग्वाड़ भूं धंसाव के चलते खतरे की जद में आ गया कई परिवार अपने घर खाली कर दूसरे के घरों में शरण लिये हुये है। जबकि रात को वारिस आते ही सभी ग्राम वासी पंचायती चौक में एक जगह कठ्ठे होकर रात गुजार रहे है।

ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक विधायक केदारनाथ मनोज रावत व श्रीमान पुलिस अधिक्षक रूद्रप्रयाग नवनीत सिहं भुल्लर के सहयोग से दो बडे टैंट थानाध्यक्ष ऊखीमठ ने छैत्र में पहुंचकर आपदा प्रभावितों को दिये गये है जबकि प्रशासन से मिलने वाले आठ टैंटों के क्रम में मात्र अभी तक एक ही टैंट उपलब्ध करवाया गया है। जल संस्थान के सहयोग से अस्थाई पेयजल की व्यवस्था प्रभावित क्षेत्र के लिए करवायी जा रही है।

एक ओर जहाँ प्रभावित क्षेत्र में अभी तक प्रभावितों की कुशलक्षेम पूछने के लिए विधाय केदारनाथ मनोज रावत पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भट्ट , जिला पंचायत सदस्या श्रीमती रीना बिष्ट एवं सम्पूर्ण प्रधान संगठन ऊखीमठ पहुँच चुका है वहीं अभी तक जिला प्रशासन की ओर से मात्र छैत्रीय पटवारी ही मौके पर पहुंचे है । अभी तक प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों के प्रभावितों के बीच न पहुंचने से ग्रामीण खासे नाराज है।

ग्राम प्रधान मक्कू विजय पाल नेगी का कहना है कि प्रशासन की ओर से अभी तक प्रभावितों को टैंट भी उपलब्ध नहीं कराये गये है। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्र का भू-गर्भीय सर्वेझण कराकर प्रभावितों को विस्थापित किया जाय ।
उन्होने प्रशासन पर आरोप लगाते हुये कहा कि शासन-प्रशासन को बार-बार प्रत्रावालियों के माध्यम से व मीडिया के माध्यम से समय-समय इस बाबत अवगत कराया जा रहा है लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई पहल नहीं की गई उन्होंने कहा कि यदि शासन-प्रशासन समय पर हरकत में नहीं आता है तो भारी मूसलाधार वर्षा में कभी भी इस क्षेत्र में भारी तबाही हो सकती है। साथ ही भू-धंसाव क्षेत्र में हो रही दिन प्रति दिन की हानि के लिए सम्पूर्ण जिम्मेदार शासन-प्रशासन ही है।

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