मुनस्यारी, जिले में एक पीसीएस अफसर आ जाने के बाद भी सीमांत व आपदाग्रस्त तहसील मुनस्यारी को स्थायी एसडीएम नहीं मिला. फिर उधार का एसडीएम मिलने से नाराज पंचायत प्रतिनिधि भड़क गए है.कहा कि सीमांत की उपेक्षा के खिलाफ बीस अगस्त को बैठक कर इस फैसले का विरोध करेंगे ओर इस फैसले के खिलाफ जोरदार आंदोलन की रणनीति पर विचार विर्मश किया जायेगा.
चीन सीमा से लगे इस तहसील को आपदा की दृष्टि से सबसे अधिक संवेदनशील माना जाता है. तहसील में एसडीएम बीएस फोनिया तैनात थे. गंगोलीहाट के एसडीएम के सीडीओ बनने के बाद राजनैतिक दबाव में मुनस्यारी को एसडीएम विहीन कर दिया है. 96 किमी दूर दूसरे आपदाग्रस्त तहसील धारचूला के एसडीएम अनिल शुक्ला को इस तहसील का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया.
आपदा की घटनाओं में भारी वृद्धि के कारण यहां से गंगोलीहाट भेजे एसडीएम फोनिया को यहां एक सप्ताह के लिए भेजा गया था, जो एक माह से यही तैनात है.आपदा की घटनाओं ने उन्हे यहाँ से जाने नहीं दिया.
बीते 12 अगस्त को यहां आए कुमांऊ कमीश्नर के सामने भी स्थाई एसडीएम का मामला जोरदार ढंग से उठाया गया था. जिले को इसबीच मिले एक पीसीएस अफसर को मुनस्यारी की जगह बेरीनाग का एसडीएम बना दिया है, इनके पास मुनस्यारी क अतिरिक्त कार्यभार होगा. फिर भी मुनस्यारी जैसे आपदाग्रस्त तहसील को एक स्थायी एसडीएम तक नहीं दिया गया.
जिला पंचायत सदस्य जगत सिंह मर्तोलिया ने कहा कि बेरीनाग व गंगोलीहाट की दूरी मात्र 25 किमी है.पहले भी दोनो तहसीलो को एक ही एसडीएम देख रहे थे. मुनस्यारी से बेरीनाग की दूरी 105 किमी है. बेरीनाग व गंगोहाट तहसील का काम एक ही एसडीएम कर सकता है, लेकिन चीन सीमा से लगे तहसील की भौगोलिक परिस्थितिया ही विकट है.
मर्तोलिया ने कहा कि सीमांत को कालापानी माना जा रहा है. यहाँ की जनता तो बेहद परेशान है. अफसर नहीं होंगे तो जनता व जनप्रतिनिधि किसके सामने अपनी बात को रख सकते है, इस आंदोलन को “मैं मुनस्यारी हूं ” के बैनर चलाया जा रहा है। यह बात लोगो के समझ में आ गया कि सभी मिलकर ही इस मुहिम को सफल बनांए.
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