Friday, August 8, 2025
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पंचायतों को 29 विभाग सौपने का संघर्ष होगा तेज, सी.आर. लिखने का अधिकार मिले

शीघ्र घोषित होंगे जिला संयोजक उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन की मांग

देहरादून, उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने उत्तराखंड में पंचायतों को 29 विषय सौंपे पर जाने के लिए कार्यकाल 2025 को समर्पित करने का फैसला लिया है। संगठन प्रत्येक जनपद में जिला संयोजकों की घोषणा की करेगी। संगठन को मजबूत बनाने के लिए अहम फैसले ले जाएंगे। संगठन ने राज्य के 12 जिलों के नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई दिया।
संगठन के राज्य संयोजक जगत मर्तोलिया ने कहा कि उत्तराखंड में संगठन की नींव रखते समय तय किया गया था कि 30 प्रतिशत पूर्व पंचायत प्रतिनिधि तथा 70 प्रतिशत नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को इस संगठन में स्थान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत को 29 विषय सौपें जाने के लिए इस कार्यकाल में निर्णायक संघर्ष किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि पंचायती राज मंत्रालय उत्तराखंड द्वारा विधानसभा को इस संदर्भ में संकल्प भेजा गया था। उन्होंने बताया कि शीघ्र संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल इस संदर्भ में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करेगा। उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा तभी मिल सकता है, जब 29 विषयों को पंचायत को हस्तांतरित करने की औपचारिकता उत्तराखंड पूर्ण कर लेगा।
उन्होंने कहा कि केरल, महाराष्ट्र, हिमाचल, अरुणाचल सहित जिन राज्यों ने पंचायतों को 29 विषय स्थानांतरित किए है उन राज्यों में विकास की दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
कहा कि इसके बाद ही गांव की सरकार का सपना भी साकार हो सकता है। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष तथा क्षेत्र प्रमुख का चुनाव जनता से कराया जाने का प्रस्ताव भी लंबित चल रहा है। इस पर भी सरकार को तत्काल फैसला लिए जाने के लिए बातचीत की जाएगी।
उन्होंने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष तथा क्षेत्र प्रमुख का चुनाव इतना खर्चीला हो गया है कि आम प्रत्याशी इसके लिए मन में विचार भी नहीं ला सकता है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत के प्रमुखों को 29 विभागों के अधिकारियों की चरित्र पंजिका को लिखने का पावर भी दिया जाना चाहिए।

पंचायतीराज मंत्रालय का हो पुर्नगठन :
संयोजक जगत मर्तोलिया ने कहा कि उत्तराखंड पंचायती राज मंत्रालय का पुनर्गठन किया जाना आवश्यक है। उन्होंने 25 साल के बाद भी पुनर्गठन नहीं होने को चिंता जनक बताया। कहा कि रेखीय विभागों को पंचायती राज के अधीन किया जाना चाहिए। विकासखंड कार्यालय में भी पंचायती राज से निकलने वाले अधिकारियों को ही विकासखंडों की जिम्मेदारी सौपी जानी चाहिए।
कहा कि पंचायती राज विभाग नोडल विभाग है, तो उसे अधिकार भी मिलनी चाहिए।
उत्तराखंड में पंचायतीराज को आगे करके ही ग्रामीण विकसित भारत का सपना पूरा किया जा सकता है।

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