देहरादून, आम जनता से जुड़े कई मुद्दों के समाधान को लेकर नगर निकायों में हर बार धन की कमी आड़े आती रहती है, वहीं नगर निकायों को इस बार 16वें वित्त आयोग से 4500 करोड़ रुपये से अधिक की ग्रांट मिलने की संभावना जताई जा रही है। राज्य सरकार और स्थानीय निकायों ने वित्त आयोग के समक्ष एकजुट होकर मजबूती से अपना पक्ष रखा, जिससे इस उम्मीद को बल मिला है।
आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में हाल ही में हुई बैठक में उत्तराखंड सरकार ने राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों, तेजी से शहरीकरण और नगर निकायों की वित्तीय जरूरतों को विस्तार से प्रस्तुत किया। निकाय प्रतिनिधियों ने भी आयोग के समक्ष स्थानीय सेवाओं के विस्तार, आधारभूत ढांचे के निर्माण और वित्तीय स्वावलंबन की आवश्यकता को रेखांकित किया। यदि प्रस्तावित 4500 करोड़ रुपये से अधिक की ग्रांट स्वीकृत होती है, तो इससे उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में पेयजल, सफाई, सड़क, स्ट्रीट लाइटिंग, कचरा प्रबंधन और अन्य नागरिक सेवाओं को मजबूती मिलेगी। यह शहरी निकायों की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
15वें वित्त आयोग ने उत्तराखंड के लिए 4181 करोड़ रुपये की ग्रांट की सिफारिश की थी, जब राज्य में 85 नगर निकाय थे। लेकिन अब निकायों की संख्या बढ़कर 106 हो गई है, जिससे संसाधनों की आवश्यकता भी बढ़ गई है। राज्य के कई नगर निकाय स्वच्छता, कचरा प्रबंधन, जलापूर्ति और आधारभूत सुविधाओं के राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने की चुनौती का सामना कर रहे हैं। नए निकायों के पास तो खुद के राजस्व स्रोत ही नहीं हैं, जबकि पुराने निकायों के पास भी पर्याप्त आय के साधन नहीं हैं। ऐसे में 16वें वित्त आयोग की प्रस्तावित ग्रांट से उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं, जिससे इन निकायों को न केवल बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी, बल्कि स्थायी वित्तीय ढांचा भी तैयार हो सकेगा।
उत्तराखंड के अधिकांश नगर निकाय केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाली ग्रांट पर ही निर्भर हैं। उनकी अपनी आय सीमित है और कई नए निकायों के पास तो राजस्व का कोई स्थायी स्रोत तक नहीं है। इस स्थिति में कूड़ा निस्तारण एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है, जिससे न केवल शहरों की स्वच्छता व्यवस्था प्रभावित हो रही है, बल्कि इस पर खर्च भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। राज्य की राजधानी देहरादून सहित कोई भी नगर निकाय कूड़ा निस्तारण की समस्या का स्थायी समाधान अब तक नहीं ढूंढ पाया है। कई निकायों के पास कचरे को प्रोसेस करने के लिए न तो पर्याप्त आधारभूत ढांचा है और न ही इसके संचालन के लिए आवश्यक संसाधन। हाल ही में उत्तराखंड दौरे पर आए 16वें वित्त आयोग के समक्ष नगर निकायों के प्रतिनिधियों ने भी इन समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि जब तक नगर निकायों को पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी, तब तक स्वच्छता जैसे राष्ट्रीय मानकों को हासिल करना बेहद कठिन है। हालांकि 16वें वित्त आयोग से उत्तराखंड को 4500 करोड़ रुपये से अधिक की ग्रांट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि नगर निकायों को इसके तहत कितनी राशि प्रदान की जाएगी। नगर निकायों को इस बात की उम्मीद है कि आयोग स्वच्छता, कचरा प्रबंधन और आधारभूत ढांचे को प्राथमिकता में रखकर राशि का आवंटन करेगा।
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