Friday, April 25, 2025
HomeStatesUttarakhandआपदा प्रबंधन की तैयारियों को लेकर किया मॉक ड्रिल का आयोजन।

आपदा प्रबंधन की तैयारियों को लेकर किया मॉक ड्रिल का आयोजन।

रुद्रप्रयाग- आगामी केदारनाथ यात्रा के दृष्टिगत आज आपदा से निपटने के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक वृहद मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस मॉक ड्रिल में विभिन्न विभागों की समन्वित भागीदारी रही, जिसमें रिकॉर्ड समय में राहत एवं बचाव कार्यों को सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।
ड्रिल के अंतर्गत जनपद के तीन प्रमुख स्थानों श्री केदारनाथ हेलीपैड, केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर स्थित चीरबासा और फाटा डोलिया देवी में दैवीय आपदा की कृत्रिम स्थितियाँ तैयार की गईं।
जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र रुद्रप्रयाग को समय प्रातः 9 बजकर 55 मिनट पर काॅलर द्वारा सूचित किया गया कि फाटा डोलिया देवी क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा के कारण भूस्खलन होने से एक टेंपो ट्रैवलर मलबे में दब गया है। बताया गया कि वाहन में 13 यात्री सवार थे, जो सोनप्रयाग की ओर जा रहे थे। सूचना मिलते ही आपदा राहत टीमें त्वरित कार्रवाई करते हुए मौके पर पहुँचीं और राहत-बचाव कार्य प्रारंभ किया गया। विपरीत मौसम परिस्थितियों के बावजूद आपदा राहत एवं बचाव दल ने कड़ी मशक्कत के बाद सभी 13 यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाल दिया। इनमें 03 महिला एवं 10 पुरुष शामिल थे। 10 यात्री पूरी तरह सुरक्षित हैं जिन्हें प्राथमिक उपचार घटनास्थल पर ही उपलब्ध करा दिया गया। शेष 03 यात्रियों को तत्काल एंबुलेंस द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फाटा में भर्ती कराया गया जहां उनका उपचार चल रहा है।
दूसरे घटनाक्रम में प्रातः 10ः02 बजे केदारनाथ यात्रा मार्ग के चीरबासा क्षेत्र (गौरीकुंड से लगभग 2.5 किलोमीटर ऊपर) से कॉल प्राप्त हुई कि अतिवृष्टि एवं संभावित बादल फटने की घटना के चलते चट्टानें गिर गई हैं, जिससे कुछ तीर्थयात्री मलबे में दब गए हैं। इसके तुरंत बाद राहत एवं बचाव दल सक्रिय हो गया और घटनास्थल पर पहुँच कर दबे लोगों को निकालने का कार्य शुरू किया गया। राहत एवं बचाव दल ने त्वरित कार्यवाही करते हुए सभी यात्रियों को मलबे से बाहर निकाल दिया है। 10 यात्रियों को मामूली चोटें आई हैं जिन्हें घटना स्थल पर ही प्राथमिक उपचार दे दिया गया है। 03 यात्रियों को तत्काल एंबुलेंस द्वारा स्वास्थ्य केंद्र में उपचार हेतु भेज दिया गया है एवं 02 यात्री गंभीर रूप से घायल थे जो अत्यधिक रक्तस्राव के कारण बेहोशी की हालत में मिले। कुछ समय पश्चात् चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित किया गया। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा बताया गया कि उक्त घटना में 04 खच्चरों को गंभीर चोटें आई हैं जिनका ईलाज किया जा रहा है।
तीसरे घटनाक्रम में एक हैलीकाॅप्टर फाटा से 06 यात्रियों को लेकर श्री केदारनाथ जा रहा था जिसमें लैंडिंग के दौरान तकनीकी खराबी होने के कारण रोटर की तेज हवाओं से एक ढीली तिरपाल टकराने के कारण हैली का संतुलन बिगड़ गया जिससे हैली को हैलीपैड़ से इतर इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। हैलीकाॅप्टर में 06 यात्री तथा 02 क्रू मेंबर सवार थे। घटना की सूचना मिलते ही चिकित्सा दल सहित अन्य राहत इकाइयाँ घटनास्थल पर पहुँचीं और घायलों को रेस्क्यू कर निकटवर्ती अस्पतालों में पहुँचाया गया। घटना में 06 व्यक्ति घायल हो गए जिनमें से 02 गंभीर रूप से घायल हुए व्यक्तियों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से गुप्तकाशी रेफर किया गया तथा अन्य 04 घायलों को घटना स्थल पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया।
इस संपूर्ण मॉक ड्रिल के संचालन के लिए स्टेजिंग एरिया सोनप्रयाग पार्किंग को केंद्र बनाया गया था। ऑपरेशन सेक्शन की कमान पुलिस उपाधीक्षक विकास पुंडीर के हाथों में थी, जबकि स्टेजिंग एरिया मैनेजर की भूमिका लोक निर्माण विभाग ऊखीमठ के अधिशासी अभियंता आर.पी. नैथानी ने निभाई। ट्रांसपोर्टेशन ब्रांच का नेतृत्व सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कर रहे थे। योजना निर्माण अनुभाग के लिए मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रमेन्द्र बिष्ट को नियुक्त किया गया था, वहीं डॉक्यूमेंटेशन यूनिट की जिम्मेदारी जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी संदीप भट्ट को दी गई थी। चिकित्सा सेवाओं के संचालन की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राम प्रकाश के पास रही।
रेस्क्यू टीमों में जिला आपदा प्रतिक्रिया बल (डीडीआरएफ) और युवा मंगल दल (वाईएमएफ) के 10-10 जवान, 6 सदस्यीय पुलिस बल तथा एनडीआरएफ की एक सब-टीम शामिल रही।
इंसीडेंट साइट चीफ उप जिलाधिकारी ऊखीमठ अनिल कुमार शुक्ला ने बताया कि आपदा प्रबंधन की तैयारियों के क्रम में समय-समय पर मॉक ड्रिल आयोजित की जाती हैं, जिससे प्रशासनिक तैयारियों की सटीकता एवं तत्परता का परीक्षण किया जा सके। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देशन में यह संपूर्ण ड्रिल संपन्न हुई और संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली का गहन मूल्यांकन किया गया।
यह मॉक ड्रिल न केवल प्रशासनिक दक्षता का उदाहरण रही, बल्कि यह तीर्थयात्रा मार्ग पर किसी भी संभावित आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों को तत्परता से संचालित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुई।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments