Tuesday, April 8, 2025
HomeUncategorizedकान्हा खुद आओ या बुलालो मुझे, फाग सूना पड़ा है तुम्हारे बिना...

कान्हा खुद आओ या बुलालो मुझे, फाग सूना पड़ा है तुम्हारे बिना : अंबिका रूही

अनेकता में एकता भारत की सबसे बड़ी ताकत, हिंदी और उर्दू मौसेरी बहनें : सूर्यकांत

देहरादून, ओल्ड मसूरी रोड में आयोजित मुशायरे व काव्य गोष्ठी में जब परवाज़ ए अमन की अध्यक्ष सुश्री अंबिका रूही ने अपनी नज़्म कान्हा के नाम खत पढ़ा तो श्रोताओं की आंखें नम हो गई। ‘कान्हा खुद आओ या बुलालो मुझे, फाग सूना पड़ा है तुम्हारे बिना,दिल की गलियों की रौनक है रूठी हुई, राग सूना पड़ा है तुम्हारे बिना, आज मथुरा की रंगत पे छाया धुंआ, देखते क्यों तमाशा छुपकर वहां, उस तरफ है ज़ुलेखां सिसकती हुई, इस तरफ कोई मीरा सौदाई हुई, देवता प्यार के आ भी जा, छोड़ ज़िद इश्क तन्हा पड़ा है तुम्हारे बिना …
युवा कवित्री मोनिका मुंतशिर ने अपनी नज़्म ‘याद की हिचकी हमारे दिल को ऐसी आई है, शहर ए जॉ का मौसम भीना भीना हो गया , गा कर खूब तालियां बटोरी।
उर्दू के शायर सुनील साहिल ने
उफ्फ़ ! ये दिल पे कैसी आफत आ गयी, रूह तक दिल की अज़ीयत आ गयी, तुमने तितली को पकड़ कर क्या किया उसके रंगों पर मुसीबत आ गयी, खूब वाह वाही लूटी।
युवा शायर आरिफ अतीब की नज़्म तौबा कर ली इश्क़ पुराना छोड़ दिया। उसकी गली में आना जाना छोड़ दिया।। देखो इश्क़ क़फ़स से भी हो सकता है। पंछी ने अब सर टकराना छोड़ दिया। खूब पसंद की गई।
उर्दू के शायर बदरुद्दीन ज़िया की शायरी ने भी खूब तालियां बटोरी, जब उन्होंने अपनी गजल
फिर संवारे कहाँ संवरती है । कोइ तस्वीर जब बिगड़ती है।।
मेरे चेहरे की सलवटें देखो। ज़िंदगी किस तरह मसलती है।। पड़ा तो उनको खूब वाह वाही मिली। इसके अलावा दर्द गढ़वाली , अमज़द खान अमज़द ने भी अपनी रचनाओं से रंग जमाया। मौका था ओल्ड मसूरी रोड में एक शाम परवाज़े अमन के नाम मुशायरा व कवि गोष्ठी का ।
देहरादून के मशहूर शायर इकबाल की सदारत में संपन्न हुई इस खूबसूरत शाम में बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना व विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षाविद् सरदार डी एस मान पूरे समय शायरों व कवियों की रचनाओं पर उनकी हौसला अफ़जाई करते रहे।
धस्माना ने बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में परवाज़े अमन की अध्यक्ष सुश्री अंबिका रूही को बधाई देते हुए कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत अनेकता में एकता का सिद्धांत है और सर्वधर्म संभाव व आपसी प्रेम हमारे देश की रग रग में बसा हुआ है इसीलिए देश भर में अमन के दुश्मनों के लाख चाहने के बाद भी बीते दिनों होली और जुम्मे की नमाज शांति पूर्ण तरीके से संपन्न हो गई। श्री धस्माना ने कहा कि हिंदी और उर्दू मौसेरी बहनें हैं व अन्य सभी भारतीय भाषाएं इनकी छोटी बहने हैं इसलिए जो बहनों को आपस में लड़ाने भिड़ाने की बात करते हैं वे देश के और अमन के दुश्मन हैं। श्री धस्माना ने कहा कि हमें आने वाली पीढ़ियों को इस अनेकता में एकता के मंत्र को समझाना और उस पर अम्ल करना सिखाना होगा तभी देश तरक्की करेगा।
शिक्षाविद् व दून इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक अध्यक्ष सरदार डी एस मान ने परवाज़ ए अमन की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि देहरादून व पूरे उत्तराखंड में इस प्रकार के आयोजन होने चाहिए।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments