-कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ पर्वतीय समुदाय का आक्रोश
-पहाड़ी स्वाभिमान रैली में राज्य आंदोलनकारी, यूकेडी, मूल निवास भू कानून समिति, गैरसैंण स्थायी राजधानी संघर्ष समिति सहित कई संगठन हुये शामिल
गैरसैंण (चमोली), देश के प्रधानमंत्री जहां एक तरफ उत्तरकाशी पहुंचकर पर्यटन स्थल हरसिल से ‘घाम तापों पर्यटन’ के जरिए देश-विदेश के लोगों को उत्तराखंड में शीतकालीन चार यात्रा एवं बारहमासी पर्यटन का संदेश दे रहे थे वहीं चमोली में राज्य की राजधानी कहे जाने वाला गैरसैंण पहाड़ियों की हुंकार से एक बार फिर गूंज उठा। मौका था गढ़रत्न लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा आह्वान की गई पहाड़ी स्वाभिमान रैली का, जिसमें न सिर्फ कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ पहाड़ मूल के वाशिंदों का आक्रोश देखने को मिला बल्कि रैली में उमड़े विशाल जनसैलाब ने अन्य नेताओं के साथ ही सरकार को भी सख्त संदेश दे दिया कि पहाड़ियों के मान-सम्मान और अस्मिता से खिलवाड़ कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आपको बता दें कि इस पहाड़ी स्वाभिमान रैली में राज्य आंदोलनकारी, यूकेडी, मूल निवास भू कानून समिति, गैरसैंण स्थायी राजधानी संघर्ष समिति सहित कई संगठन शामिल हुए।
गुरुवार सुबह साढ़े दस बजे के आसपास गैरसैंण के ऐतिहासिक खचाखच भरे रामलीला मैदान में शुरू हुई यह पहाड़ी स्वाभिमान रैली दोपहर बाद तक जारी रही। इस दौरान न केवल रैली में उमड़े विशाल जनसैलाब ने न केवल कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए जगह जगह प्रेमचंद अग्रवाल के पुतले जलाए बल्कि पहाड़ी एकता प्रदर्शित करते हुए रैली में मौजूद सभी लोगों ने एक स्वर में प्रेमचंद अग्रवाल को तत्काल पद से हटाए जाने की मांग की।
जनाक्रोश रैली स्थल रामलीला मैदान में आंदोलनकारियों ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की मूर्ति पर माल्यार्पण कर ‘उत्तराखंड जिंदाबाद, गैरसैंण जिंदाबाद’ के नारे लगाए। जिसके बाद ऐतिहासिक रामलीला मैदान में हुई एक विशाल जनसभा में वक्ताओं ने कहा कि कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा विधानसभा में दिया गया बयान पहाड़ियों की संस्कृति और सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला था। लोगों ने मंत्री के बयान की कड़ी निंदा करते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। बताते चलें कि इस रैली में बडी तादात में महिलाएं, बुजुर्ग औऱ युवा हाथों में बैनर पोस्टर लेकर शामिल हुए।
जनसभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ों की समस्याओं और उनके अधिकारों को हमेशा अनदेखा किया जाता रहा है। अब इस तरह के अपशब्दों से पहाड़ी समाज की भावनाओं को आहत किया जा रहा है। इस दौरान लोगों ने मंत्री के खिलाफ जोरदार नारेबाजी भी की। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने गैरसैंण उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा। रैली की सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उमड़ी भीड़ से शासन-प्रशासन के हाथ पांव फूल गए, हालांकि प्रशासन रैली को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने में भी कामयाब रहा। आपको बता दें कि बीते 21 फरवरी को बजट सत्र के दौरान कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा पहाड़ी समाज पर की गई अशोभनीय टिप्पणी के बाद से ही लोगों में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है। इस बात को उत्तराखंड सरकार और सत्ताधारी भाजपा भी अच्छी तरह से समझ रही है। शायद यही कारण रहा होगा कि उत्तरकाशी जिले के प्रभारी मंत्री होने के बावजूद प्रेमचंद अग्रवाल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हरसिल दौरे से दूर रखा गया। वह न तो जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए नजर आए ना ही मुखवा और हरसिल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ कहीं दिखाई दिए l
स्वाभिमान महारैली को जनता ने सफल बनाया : मोहित
गैरसैंण, मूल निवास भू क़ानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि आज हमारी असली राजधानी गैरसैण में बदतमीज नेताओं के खिलाफ कारवाई की मांग को लेकर आयोजित स्वाभिमान महारैली को जनता ने ऐतिहासिक रूप से सफल बनाया है।
उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा में कहा था कि क्या साले पहाड़ियों के लिए बना है उत्तराखंड ? तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं क्या आपको जनता ने इसलिए चार बार विधायक बनाया कि आप करोड़ों रुपए की संपति जोड़कर अपने लिए रिसोर्ट/होटल बना सको। आपके पास इतनी संपति कहाँ से आ रही है, इसकी भी जांच होनी चाहिए।
अब कांग्रेस के विधायक कह रहे हैं कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आयेगी तो गैरसैण राजधानी राजधानी बनेगी। राजधानी के सवाल पर दोनों पार्टियां जनता को गुमराह कर रही हैं। जिस दिन भूमि क़ानून संशोधित विधेयक सदन में पेश हुआ, उस दिन सत्ता पक्ष के साथ ही मुख्य विपक्षी कांग्रेस के विधायक भी मौन रहे। इससे साफ पता चलता है कि सत्ता और विपक्ष मिलकर जमीनों को लुटाने का काम कर रहे हैं।
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