हरिद्वार(कुलभूषण)- उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार द्वारा संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के माध्यम से चलाये जा रहे तीन दिवसीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आज समापन समारोह आयोजित किया गया।
कार्यशाला के समापन अवसर पर सभी प्रशिक्षणार्थी संस्कृत शिक्षकों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। इस अवसर पर अकादमी के सचिव डॉ० वाजश्रवा आर्य ने कहा कि इस कार्यशाला से प्रशिक्षित संस्कृत शिक्षक अपने विद्यालयों में संस्कृतमय वातावरण स्थापित करने में सहयोगी सिद्ध होंगे।
कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक संस्कृत संबर्द्धन प्रतिष्ठान नई दिल्ली के निदेशक डॉ० चान्दकिरण सलूजा ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं में एक चलता फिरता ग्रन्थ है। इसलिए अध्ययन निरन्तर चलना चाहिए। जिन्दगी में जिज्ञाषा को मत मरने दीजिए। संस्कृत भाषा शिक्षण में आधुनिक तकनीकी का बहुत महत्त्व है हमें संस्कृत शिक्षण को आधुनिक ढंग से पढ़ाने की आवश्यता है।
नैनीताल जनपद के सहायक निदेशक यशोदा प्रसाद सेमल्टी ने कहा कि अकादमी द्वारा संस्कृत शिक्षकों को आधुनिक तकनीकी से दिया गया प्रशिक्षण सराहनीय कार्य है।
कार्यशाला के समन्वयक किशोरी लाल रतूडी ने बताया कि संस्कृत शिक्षकों को दिये जा रहे ऐसे प्रशिक्षण निरन्तर चलाये जाते रहेंगे आगामी समय में अन्य विद्यालय महाविद्यालय के संस्कृत शिक्षकों को भी भविष्य में प्रशिक्षण दिये जाने की योजना बनाई जायेगी।
प्रशिक्षण के उपरान्त अपने अनुभवों को कहते हुए प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बताया गया कि ऐसे प्रशिक्षण संस्कृत शिक्षण में अन्त्यन्त लाभकारी सिद्ध होगा।
कार्यशाल के समापन समारोह का मंच संचालन अकादमी के शोध अधिकारी डॉ० हरिश्चन्द्र गुरुरानी ने किया। इस अवसर पर संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के पालक लक्ष्मीनरसिंह, प्रशिक्षक डॉ० मनमोहनशर्मा अकादमी के प्रशासनिक अधिकारी लीला रावत, रमा कठैत, दिव्या पालीवाल, आकांक्षा, विवेक पंचभैय्या, मोहित, प्रितम, पंकज नेगी, बेबी, कविता, अवधेश, ओमप्रकाश, सन्तोष, हरीश, लक्ष्मीचंद, अश्विनी, सुन्दर आदि उपस्थित रहे।
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