देहरादून, बिहार के मिथिला अंचल के मूल निवासी और शिलांग के खासी हिल्स में रहने वाले मैथिली वृतचित्रकार छायाकार , कवि व सामाजिक कार्यकर्ता तरुण भारतीय के जीवन और उनके कार्यों को याद करते हुए एक कार्यक्रम दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में किया गया ।
उल्लेखनीय है कि तरुण भारतीय ने अपना अधिकांश जीवन खासी समाज को समझने और उसके उत्थान के लिए पूरी तरह समर्पित कर दिया था.पिछले ही माह 25 जनवरी 2025 को उनका निधन हो गया था।
कार्यक्रम के आरम्भ में निकोलस हॉफ़लैंड ने तरुण भारतीय के सामाजिक व रचनात्मक कार्यों तथा उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर व्यापक प्रकाश डाला और कहा कि तरुण भारतीय का खासी क्षेत्र में जनजातीय राजनीति और संस्कृति के बारे में उनका ज्ञान इतना गहरा था कि वे पूरे समाजिक मुद्दों /बातों को आम जन कि बहस के रूप में देख लेते थे वह भी विशेष रूप से इस सोशल मीडिया के युग में।उन्होंने कभी किसी के खिलाफ़ कोई द्वेष नहीं रखा और वे प्रतिरोध की राजनीति करते रहे, जो उन्हें पसंद थी। बहुत से लोग को उनकी फिल्में और तस्वीरों को देखना पसंद करते थे।
निकोलस ने उनकी बनाई वृत चित्र फिल्मों, साहित्य लेखन पर भी विस्तार से अपनी बात रखी. कार्यक्रम के दौरान निकोलस ने उनकी दो महत्वपूर्ण फ़िल्में और उनके खींचे विविध चित्र भी परदे पर प्रदर्शित किये ।
कार्यक्रम के दौरान डॉ.प्रेरणा रतूड़ी, बिजू नेगी, हिमांशु आहूजा, डॉ. अतुल शर्मा, कुलभूषण नैथानी, मेघा विल्सन और सुंदर सिंह बिष्ट सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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