हरिद्वार ( कुलभूषण) गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय ने स्वामी श्रद्धानन्द का 99वां बलिदान दिवस प्राचीन गुरुकुल (पुण्यभूमि) कांगड़ी में 1101 कुण्डीय राष्ट्रभृत महायज्ञ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ यज्ञ में आहुति देकर एवं ध्वजारोहण करके किया गया। हरिद्वार जनपद के 93 गांवों से आर्यसमाजियों ने शिरकत की। आयोजन के मुख्य अतिथि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री भारत सरकार सी0आर0 पाटिल ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय एक राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत शिक्षण संस्थान है। संस्थान में वैदिक शिक्षा का अध्ययन अध्यापन कराया जाता है। यहां के विद्यार्थी देश और दुनिया में राष्ट्रभक्ति का परचम फहराते रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पावन भूमि पर आने के बाद अलग प्रकार की अनुभूति हो रही है। जो भी लोग यहां पर आए हैं उन सबको स्वामी श्रद्धानन्द को आहुति देने का विशेष अवसर मिला है।
उत्तराखण्ड सरकार के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द ने पुण्यभूमि कांगड़ी गांव में 122 वर्ष पूर्व शिक्षा का एक पौधा रोहित किया था जो आज एक वट वृक्ष का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि देश में धर्म और रक्षा के लिए यहां के विद्यार्थियों ने अदभुत कार्य किया है। अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द का 99वां बलिदान दिवस पर मेरी कोटि-कोटि श्रद्धानन्द और नमन है। स्वामी श्रद्धानन्द महाराज ने 20वीं सदी में शिक्षा आंदोलन की अलख जगाने के साथ अंग्रेजों की नींव को हिलाने का काम किया है। स्वामी श्रद्धानन्द की एक गैर कट्टरपंथी द्वारा हत्या कर देना यह हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण की बात है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र सिंह मोदी को लेकर कहा कि भारत जिस तरह से संस्कृति और संस्कारों को लेकर वैश्विक मंचों पर लगातार आगे बढ़ रहा है, उससे भारत का गौरव लगातार बढ़ता जा रहा है। मोदी ने शिक्षा के क्षेत्र में संस्कृति और वैदिक शिक्षा को एकसूत्र में बांधने का काम किया है जिससे हमारी संस्कृति का संरक्षण हो रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड नए-नए आयाम स्थापित कर रहा है।
हरिद्वार लोकसभा गे सदस्य त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि पुण्यभूमि कांगड़ी गांव में आने के बाद उनके अन्तरमंन में नई-नई तरंगे पल्लवित होने लगी है। निश्चित ही यह स्थान स्वामी श्रद्धानन्द के तप के द्वारा ओत-प्रोत है। इसीलिए यहां पर आने के पश्चात् नई ऊर्जा की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द के 99 वें बलिदान दिवस में आकर सच्ची आहुति मैंने दी है।
गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा0 सत्यपाल सिंह ने कहा कि अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द, श्रद्धा और आस्था की प्रतिमूर्ति थे। तत्कालीन ब्रिटिश के प्रधानमंत्री रैमसे मैकडोनाल्ड ने कहा है कि वर्तमान काल का कोई चित्रकार यदि भगवन ईसा की मूर्ति बनाने के लिए जीवित मॉडल लेना चाहे तो मैं इस भव्य मूर्ति स्वामी श्रद्धानन्द की ओर इशारा करूंगा। स्वामी श्रद्धानन्द ने अन्धविश्वास को समाप्त करने के लिए जगह-जगह शुद्धि आंदोलन चलाए। वैदिक शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए मैकाले शिक्षा का विरोध किया। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द महाराज ने राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश सरकार द्वारा गुरुकुल को एक लाख रूपये प्रतिवर्ष वित्तीय सहायता देने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
फिल्म अभिनेता विवेक आनंद ओबराय ने कहा कि यह पुण्यभूमि ने देश की आजादी के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया है। यहां पर ब्रह्मचारियों को स्वदेशी का पाठ पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा की उपाधि इसी पुण्यभूमि पर दी थी। इस बात का प्रचार-प्रसार व्यापक रूप से किया जाना चाहिए। यह भूमि एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 हेमलता के0 ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और कर्मचारियों के सहयोग से पुण्यभूमि में 1101 कुण्डीय महायज्ञ का आयोजन हुआ है। इसके लिए सभी ने एकजुट होकर पूर्ण निष्ठा के साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। कुलाधिपति डा0 सत्यपाल सिंह के निर्देशन में यह आयोजन सम्पन्न हुआ है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0 सुनील कुमार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री भारत सरकार, त्रिवेंद्र सिंह रावत, फिल्म अभिनेता विवेक आनन्द ओबराय, आधुनिक भीम जयन्त, स्थानीय सांसद और विधायक प्रदीप बत्रा, पूर्व विधायक स्वामी यतीश्वरानंद, संजय गुप्ता, कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, देशराज कर्णवाल, पूर्व महापौर मनोज गर्ग, जिलाध्यक्ष भाजपा संदीप गोयल, महामंत्री आशुतोष शर्मा आदि अन्य अतिथियों आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर प्रो0 प्रभात कुमार, प्रो0 भारत भूषण, वित्ताधिकारी प्रो0 देवेन्द्र गुप्ता, प्रो0 एल0पी0 पुरोहित, प्रो0 नवनीत, प्रो0 ब्रह्मदेव, प्रो0 कर्मजीत भाटिया, प्रो0 विवेक कुमार, प्रो सुरेखा राणा, प्रो0 पंकज मदान, प्रो0 राकेश जैन, प्रो0 श्रवण कुमार शर्मा, डा0 करतार सिंह, डा0 अतुल मगन, डा0 धर्मेन्द्र बालियान, प्रो0 सत्यदेव निगमालंकार, डा0 अजय मलिक, डा0 ऋषि कुमार शुक्ला, डा0 राकेश भूटियानी, डा0 नितिन काम्बोज, डा0 जगराम मीणा, प्रो0 सत्येन्द्र राजपूत, डा0 गौरव सिंह, हेमन्त आत्रेय, दीपक आनन्द, नवीन कुमार, मयंक पोखरियाल, डा0 गौरव सिंह भीण्डर, दुष्यंत राणा, विकास राणा, सुनील कुमार, रजनीश भारद्वाज, नरेन्द्र मलिक, रमेश चन्द्र, प्रमोद कुमार, डा0 अजय मलिक, रविकान्त शर्मा, अरविन्द, सेठपाल, डा0 पंकज कौशिक, हेमन्त सिंह नेगी, कुलभूषण शर्मा, विरेन्द्र पटवाल, ललित सिंह नेगी, विकास कुमार, नीरज कुमार, नीरज भट्ट, राजीव कुमार, शान्ता, प्रो0 मंजुषा कौशिक, प्रो0 नमिता जोशी, प्रो0 सुरेखा राणा, प्रो0 पतिराज, प्रो0 सीमा, डा0 निधि हाण्डा, डा0 अजीत सिंह तोमर, डा0 सुनील कुमार आदि अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन हिमांशु पण्डित एवं डा0 शिव कुमार चौहान ने किया। इस अवसर पर अतिथियों ने पुण्यभूमि में पौधारोपण किया।
1. कुलाधिपति डा0 सत्यपाल सिंह ने मंच से केन्द्रीय मंत्री सी0आर0 पाटिल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष पुण्यभूमि में अंतरराष्ट्रीय गंगा म्यूजियम एवं गंगा तट पर झूले का पुल बनाने का बनाने का प्रस्ताव रखा।
2. पुण्यभूमि में कुलाधिपति डा0 सत्यपाल सिंह ने स्वामी श्रद्धानन्द शोध एवं संसाधन संस्थान विभाग का उद्घाटन किया। यह संस्थान वर्तमान सत्र से पुण्यभूमि कांगड़ी गांव में संचालित होगा। तथा विश्वविद्यालय के एन0सी0सी0, एन0एस0एस0 कैम्प की संचालित किए जायेंगे जिससे कि छात्र/छात्राओं को इस पुण्यभूमि को नजदीक से देखने व समझने का अवसर मिले। इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों द्वारा स्वामी श्रद्धानन्द महाराज के जीवन से जुड़ी दो पुस्तकों व एक संक्षिप्त परिचायिका का लोकार्पण किया गया।
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