Sunday, September 29, 2024
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हर घर को है भगत सिंह की जरूरत : प्रो. जगमोहन

– शहीद भगतसिंह की जयंती पर उत्तराखंड इंसानियत मंच की ओर से ‘रंग दे बसंती’ कार्यक्रम का आयोजन

देहरादून (एल मोहन लखेड़ा), अक्सर लोग कहते हैं कि देश में भगतसिंह पैदा होने चाहिए, लेकिन मेरे नहीं दूसरे के घर में। आज इसे पूरी तरह बदलने की जरूरत है। जिस तरह से समाज में नफरत फैलाई जा रही है, जिस तरह से समाज को बांटने का प्रयास हो रहा है, उससे तभी निपटा जा सकता है, जब हर घर में भगतसिंह पैदा हों। यह बात शहीद भगत सिंह का भानजे और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में कम्प्यूटर साइंस विभाग के पूर्व हेड प्रो. जगमोहन सिंह ने कही। वे शहीद भगतसिंह की 117वीं जयंती पर उत्तराखंड इंसानियत मंच और अन्य संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘रंग दे बसन्ती’ में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन नगर निगम सभागार में किया गया था।
प्रो. जगमोहन ने इस मौके पर शहीद भगतसिंह के पारिवारिक और क्रान्तिकारी जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने भगतसिंह के बारे में पूछे गये सवालों का जवाब भी दिया। देहरादून में हुई साम्प्रदायिक घटना के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है, जो कुछ हुआ वह साजिशन था, वरना रात के 11 बजे किसी को कैसे पता चला कि कोई लड़का किसी लड़की से मिलने आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं से निपटने का एक ही उपाय है कि हम शहीद भगतसिंह के साम्प्रदायिक एकता के विचार का अनुशरण करें। उन्होंने कहा कि भगतसिंह के पैदा होने से घर परिवार कितना मजबूत होता है, ये बात वे अच्छी तरह जानते हैं, इसलिए भगतसिंह हर परिवार में पैदा होना चाहिए, न कि सिर्फ दूसरों के घर में।
महात्मा गांधी और शहीद भगत सिंह के रिश्तों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि वैचारिक भिन्नता के बावजूद दोनों एक-दूसरे का सम्मान कहते थे। भगतसिंह ने कहा था कि हम क्रांतिकारियों को महात्मा गांधी को सेल्यूट करना चाहिए कि वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में आम लोगों को सड़कों पर ले आये। जबकि महात्मा गांधी ने कई बार भगतसिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों के बारे में लिखा और उन्हें फांसी की सजा दिये जाने के खिलाफ पत्र भी लिखे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्य आंदोलनकारी कमला पंत ने कहा कि उत्तराखंड जिस तरह से साम्प्रदायिकता की प्रयोगशाला बनाया जा रहा है, उससे निपटने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है और ऐसा सिर्फ भगतसिंह की रास्ते पर चलकर ही संभव है। उन्होंने देहरादून और उत्तराखंड में भाईचारा को बिगाड़ने का प्रयास करने वालों के खिलाफ एकजुट होने की बात भी कही। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट ने शहीद भगतसिंह के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अपनी बात रखी। उन्होंने भगतसिंह के लेखों में पृथ्वी की उत्पत्ति और चार्ल्स डारविन के उत्पत्ति के सिद्धान्त का उल्लेख होने की चर्चा की। मैड संस्था की वंदना और उत्तराखंड महिला मंच की चन्द्रकला ने भी शहीद भगतसिंह के जीवन के विभिन्न पहलुओं और उनकी वैचारिक परिपक्वता के बारे में अपनी बात रखी। डॉ. रवि चोपड़ा ने प्रो. जगमोहन की परिचय दिया, जबकि परमजीत सिंह कक्कड़ ने उत्तराखंड इंसानियत मंच के कार्यों के बारे में बताया। सतीश धौलाखंड और उनकी टीम ने जनगीत से कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम की समाप्ति पर एसएफआई के छात्रों ने ‘ऐ भगतसिंह तू जिन्दा है’, गीत प्रस्तुत किया। त्रिलोचन भट्ट में कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम में उत्तराखंड़ महिला मंच, एसएफआई, मैड, सर्वोदय मंडल उत्तराखंड, किसान सभा, भारत ज्ञान विज्ञान समिति आदि संस्थाओं ने भी सहयोग किया। कार्यक्रम में गढ़वाल सभा, उपनल कर्मचारी संघ, श्रमयोग, स्पेक्स, एनएपीएसआर आदि संगठनों के साथ ही कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई एमएल, यूकेडी आदि राजनीतिक दलों के लोग भी शामिल हुए, कार्यक्रम का संचालन एसएफआई के हिमांशु चौहान ने किया।

 

 

प्रथम पुण्य तिथि पर सुरजीत किशोर दास को किया गया यादNo photo description available.

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से शनिवार सायं दून पुस्तकालय के संस्थापक संरक्षक और पूर्व मुख्य सचिव उत्तराखण्ड़ शासन, सुरजीत किशोर दास की प्रथम पुण्य तिथि पर उन्हें भावपूर्ण सम्मान के साथ याद किया गया।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने उन्हें एक कुशल व प्रतिबद्ध प्रशासनिक अधिकारी बताते हुए उन्हें साहित्य,इतिहास कला, गीत, संगीत और खेल विषयों में गहन जानकारी रखने वाला एक संवेदनशील व्यक्ति की संज्ञा देकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उनकी याद में में रवींद्र संगीत के स्वरों की एक प्रस्तुति की गई। इस संगीत में स्वर व हारमोनियम में दिया गया साथ सुनील मुखर्जी का था जबकि तबले पर बेहतरीन संगत युवा कलाकार सैकत मण्डल ने की। इस अवसर पर ‘रिमम्बरिंग सुरजीत‘ (यादों में सुरजीत) नामक पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से प्रकाशित इस पुस्तक में सुरजीत किशोर दास पर उनकी स्मृतियों से जुड़े प्रबुद्ध जनों के 21 आलेख शामिल किये गये हैं। इस स्मृति ग्रन्थ का सम्पादन गांधीवादी विचारक बिजू नेगी ने किया है।
कार्यक्रम के आरम्भ में अपने स्वागत सम्बोधन में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के निदेशक एन. रवि शंकर ने कहा कि श्री सुरजीत कुमार दास सिविल सेवक, विद्वान, क्रिकेट प्रेमी, संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ ही मानवतावादी प्रकृति के बहुमुखी व्यक्ति थे। एक सिविल सेवक के रूप में उन्होनें सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में सुशासन के सिद्धांतों का पालन करने पर जोर दिया था। इस ढांचे के भीतर, उन्होंने सांस्कृतिक गतिविधियों, विद्वानों की गतिविधियों को खूब बढ़ावा दिया, पुस्तकालयों के विकास और सामान्य रूप से खेल गतिविधियों पर भी उन्होनें खूब जोर दिया।
उन्होंने आगे कहा कि दून में कई संस्थानों की स्थापना में भी उनका अथक प्रयास रहा। सीएसआई, दून पुस्तकालय का नये परिसर, दून जिला अस्पताल के दून मेडिकल कॉलेज में उन्नयन में उनकी बड़ी भूमिका रही। उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि जो भी उनसे मिला वह उनके मानवतावादी मूल्यों से प्रभावित हुए बिना नहीं रहा। सुरजीत दास हमारे पीछे उपलब्धियों की एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं।
इस दौरान सुरजीत दास द्वारा लिखी उनकी कुछ प्रिय कविताओं का पाठ भी किया गया। निकोलस हॉफलैण्ड, इरा चौहान व बिजू नेगी ने इन कविताओं का सस्वर वाचन किया। कार्यक्रम के अन्त में सुरजीत किशोर दास जी की पु़त्री निवेदिता मिश्रा और उनकी पत्नी तथा पूर्व प्रमुख सचिव, उत्तराखण्ड़ शासन श्रीमती विभापुरी दास ने सभागार में उपस्थित जनों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर सभागार में इन्दुकुमार पाण्डे, एन.एस नपलच्याल, कर्नल एस.एस रौतेला, चन्द्रशेखर तिवारी, कर्नल वी के दुग्गल, अभि नन्दा, विनीता शाह, डॉ.योगेश धस्माना, अम्मार नक़वी, एस फारुख, एलेन सीली, अरविंद कृष्ण मेहरोत्रा, अनिल नौरिया, विजय शुक्ला, कुसुम रावत,शैलेन्द्र कुमार, जय भगवान गोयल, के बी नैथानी, रॉबिन कर्माकर, सुंदर सिंह बिष्ट, जगदीश सिंह महर सहित, अनेक लेखक, साहित्यकार, साहित्य प्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्विजीवी, पुस्तकालय के सदस्य तथा बड़ी संख्या में युवा पाठक उपस्थित रहे।

 

एक राज्य एक पंचायत चुनाव की मांग : त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने किया सीएम आवास कूचMay be an image of 5 people and text

देहरादून, पिछले कई दिनों से एक राज्य एक पंचायत चुनाव की मांग को लेकर त्रिस्तरीय पंचायत संगठन आंदोलित है,
इसी क्रम में शनिवार को अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर त्रिस्तरीय पंचायत संगठन से जुड़े सैकड़ों पंचायत प्रतिनिधियों ने सीएम आवास कूच किया l
राज्य भर से आए पंचायत प्रतिनिधि सुबह परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए, इसके बाद मुख्यमंत्री आवास कूच करने के लिए जैसे ही सुभाष रोड पर पहुंचे, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सुभाष रोड पर बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया l इसके बाद प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए l उन्होंने अपनी मांग को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी l
प्रदेश प्रधान संगठन के प्रदेश महामंत्री सुधीर ने कहा जब तक राज्य सरकार उनकी एक सूत्रीय मांग पर सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है तब तक त्रिस्तरीय पंचायत संगठन इसी तरह देहरादून की सड़कों पर आंदोलन करता रहेगा, उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक देश एक चुनाव की पहल को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड प्रदेश में भी एक राज्य एक पंचायत चुनाव का सिद्धांत लागू होना चाहिए, वहीं संगठन से जुड़े प्रतिनिधियों का कहना है कि उत्तराखंड में एक राज्य एक पंचायत चुनाव की मांग को लेकर वह लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री ने उनकी मांग का संज्ञान नहीं लिया है l
प्रदर्शन के दौरान सरकार ने संगठन के प्रतिनिधि मंडल को वार्ता के लिए बुलाया, लेकिन वार्ता में संगठन की मांग को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका l जिससे खफा होकर संगठन ने अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर आंदोलन लगातार रखेगा, जोर शोर से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत रहेंगे l

 

सीएम आवास कूच से कोई लेना-देना नहीं है : मर्तोलिया

दूसरी तरफ उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने आज शनिवार 28 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास कूच से अपने को अलग रखा। संगठन के प्रदेश संयोजक जगत मर्तोलिया ने कहा कि सीएम आवास कूच के संदर्भ में संगठन की कोई बैठक इस बीच नहीं हुई है। संगठन से जुड़े घटक संगठन के सदस्य इस कूच में भाग नहीं लेंगे। मीडिया को जारी बयान में उन्होंने कहा कि कुछ स्वार्थी तत्व पंचायत संगठन को कमजोर करने में लगे हुए हैं। 24 सितंबर को एक फर्जी बैठक दिखाकर 28 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास कूच की सूचना दी जा रही। संगठन से जुड़े ग्राम प्रधान संगठन, क्षेत्र प्रमुख संगठन, जिला पंचायत अध्यक्ष संगठन और जिला पंचायत सदस्य संगठन का 28 सितंबर के कूच से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि आंदोलन को कमजोर करने और सत्ता पक्ष को समर्पित करने के लिए इस तरह के प्रयास किया जा रहे हैं। उन्होंने संगठन से जुड़े पंचायत सदस्यों का आह्वान किया है कि आगे जो भी आंदोलन होगा, लोकतांत्रिक ढंग से बैठक आयोजित कर निर्णय लिया जाएगा।

दो दिवसीय फैशन वीक एंड लाइफ स्टाइल शो की शुरुआतMay be an image of 10 people and text

‘इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन एक्ट्रेस लता सब्बरवाल और प्रियंका कंडवाल होंगी शो स्टॉपर’

देहरादून, सिनमिट कम्युनिकेशन्स की ओर से डीबीएस ग्लोबल यूनिवर्सिटी प्रेजेंट्स कमल ज्वेलर्स देहरादून फैशन वीक एंड लाइफ स्टाइल शो के पहले दिन डिजाइनर्स ने एक से बढ़कर एक कलेक्शन प्रेजेंट किए। इस मौके पर खास रहा बड़ो का बच्चा बन जाना। डिजाइनर अभिषेक वशिष्ट के दा टॉय स्टोरी चाइल्डहुड मेमोरीज से हर कोई बड़ा बच्चे जैसा नजर आया । वहीं शो में देहरादून सहित दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता,जयपुर, बैंगलोर आदि जगहों के डिजाइनर्स और मॉडल्स ने प्रतिभाग किया।
सिनमिट कम्युनिकेशन्स की ओर से राजपुर रोड स्थित होटल हयात सेंट्रिक में शनिवार को देहरादून फैशन वीक एंड लाइफ स्टाइल शो की शुरुआत की गई। इस मौके पर मनु आहूजा ने बीच वियर, बॉलीवुड स्टाइल ड्रेसेज और दुर्गा पूजा कलेक्शन प्रेजेंट किया। जिसको दर्शको ने बेहद पसंद किया। गौरव राज का राजस्थानी कलेक्शन जो कि रजवाड़ों की ड्रेसेज पर बेस्ड था, इसको खास अंदाज में मंच पर उतारा गया। सचिन सिंह राजपूत ने कोटा वर्क का एथेनिक कलेक्शन प्रस्तुत किया।
इस मौके पर आयोजक दलीप संधि और राजीव मित्तल ने बताया कि इस बार शो में काफी कुछ नया है। बताया कि इस बार इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन एक्ट्रेस लता सभरवाल और प्रियंका कंडवाल शो की स्टॉपर होंगी। डॉ संजना जॉन यहां अपना कलेक्शन लेकर आई हैं जो डोनल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी की डिजाइनर रह चुकी हैं। इस मौके पर फैशन शो डायरेक्टर अगेंद्र सिंह,कोरियोग्राफर जैज पुष्कर सोनी और शाहना हेनवी और राहुल आदि ने विशेष सहयोग किया।

रविवार को ये होगा खास

इस मौके पर देशभर से कुल 39 डिजाइनर्स पहुंचे हैं। अभिषेक वशिष्ट वृक्ष कलेक्शन लाएं हैं जो उत्तराखंड में काटे जा रहे पेड़ो पर आधारित है। नितेश बहल वाराणसी के घाटों पर बेस्ड कलेक्शन लाएं हैं। शो में जहा उत्तराखंड के ढोल दमाऊ के साथ डिजाइनर्स डॉ संजना जॉन के मॉडल्स रैंप वॉक करेंगे तो आसाम के हैदर अली की ओर से बम्बू ड्रेसेज लाई जाएंगी। सहारनपुर से समीर खान वुडन एंब्रोड्री वाली ड्रेसेज रिप्रेजेंट करेंगे।

28 सितंबर को ये रहे डिजाइनर्स :

तान्या साई फैशन डिज़ाइन अकादमी, निर्मला राय, निर्वाहन सैनी, सोनम और अमन मलिक
हिमानी भारद्वाज, शालिनी, मनु आहूजा, अभिषेक विशिष्ट,दीपक कुमार, न्यू टैलेंट मॉडल मेनेजमेंट
प्रिंस लाहोट, तबस्सुम खान
अरविन्द शर्मा, सचिन सिंह राजपूत, सलमान ख़ान, एंड्रीका जॉन और शगुफ्ता सबा
शेखर, समीर कुरेशी, जसमेहर कौर और यश रेवलिया l

 

पंकज बिष्ट जी को वि‌द्यासागर नौटियाल स्मृति सम्मानMay be an image of 1 person and beard

देहरादून, इस बार साहित्य के क्षेत्र में वि‌द्यासागर नौटियाल स्मृति सम्मान– 2024 वरिष्ठ कथाकार, पत्रकार, विचारक व संस्कृति कर्मी पंकज बिष्ट को दिय़ा जाएगा। पुरस्कार के लिए बनी पांच सदस्य चयन समिति ने नामांकन के आधार पर पंकज बिष्ट के नाम का चयन किया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि व पत्रकार इब्बार रब्बी होंगे।
यह पुरस्कार साहित्यकार विद्यासागर नौटियाल की कथा संवदेना, सामाजिक संघर्ष, संस्कृति की चेतना का विस्तार है अतः सम्मान के लिये ऐसे ही विचारक, कथाकार का चयन किया जाता है जो वर्तमान में अपनी लेखन में विद्यासागर के विचारों को अपने शब्दों में चरितार्थ करता हो ।
सेव हिमालय मूवमेंट के समीर रतूड़ी ने बताया कि इस बार कार्यक्रम 29 सितम्बर, 2024 को प्रातः 11 बजे प्रेस क्लब देहरादून में आयोजित किया जायेगा। यह कार्यक्रम सेव हिमालय मूवमेंट व संवेदना संस्था द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
विद्यासागर सम्मान 2021 में सुभाष पंत को 2022 में स्व. शेखर जोशी और 2023 को डॉ. शोभा राम शर्मा को दिया गया था । इस वर्ष 2024 में चयन की प्रक्रिया में बदलाव लाते हुए साहित्यकारों द्वारा दो-दो दूसरे साहित्यकारों के नामांकन के आधार पर सम्मान के लिये नामो का चयन किया गया। तत्पश्चात उन नामों पर चयन समिति के सदस्यों द्वारा मंथन कर सम्मान का चयन किया गया ।
निर्धारित मानको के आधार पर पंकज बिष्ट जी के सम्पूर्ण साहित्य लेखन जिसमें प्रमुख रूप से उपन्यास “उस चिड़िया का नाम” पर आम सहमति बनी। पंकज बिष्ट की उत्तराखंड के अंचलों पर आधारित कथा और उनके उल्लेखनीय लेखन के आधार पर यह पुरस्कार दिया जाएगा। चयन समिति में वरिष्ठ कथाकार सुभाष पन्त, हम्माद फारुकी, धीरेन्द्र नाथ तिवारी, जितेंद्र भारती व राजेश पाल शामिल थे।

 

 

उच्च रक्तचाप और मधुमेह की दवा लेकर ऋषिकेश से चम्बा पहुंचा ड्रोन, 30 मिनट में तय की 33 किमी की दूरी

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ऋषिकेश, स्वास्थ्य देखभाल पहुंच तकनीक को आगे बढ़ाते हुए एम्स ऋषिकेश ने जनपद टिहरी के चम्बा शहर में दवा पंहुचाकर ड्रोन डिलीवरी प्रणाली को और अधिक विकसित किया है। विश्व हृदय दिवस 29 सितम्बर के अवसर पर संस्थान ने यह उपलब्धि हासिल की है।
विश्व हृदय दिवस (29 सितम्बर) के अवसर पर बीते रोज एम्स ऋषिकेश ने टिहरी जिले के दूरदराज के गांवों में ड्रोन डिलीवरी द्वारा उक्त रक्तचाप की दवा पंहुचाकर अभूतपूर्व पहल शुरू की है। संस्थान का यह कदम हृदय रोगों के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तियों और समुदायों को सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। ड्रोन मेडिकल सेवा के माध्यम से शुक्रवार को एम्स के हेलीपैड से 10 किलोग्राम का पेलोड टिहरी के चम्बा ब्लाक में भेजा गया। इसमें उच्च रक्तचाप और मधुमेह की दवाओं शामिल थीं। 33 किमी की हवाई दूरी और 5,600 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित चंबा ब्लॉक तक पहुंचने में ड्रोन को 30 मिनट का समय लगा। ड्रोन संचालन टीम ने चम्बा ब्लाॅक स्थिति स्कूल के प्रांगण में मौजूद स्वास्थ्य विभाग के स्टाफ को दवाओं की डिलीवरी उपलब्ध करवायी।
इससे पूर्व एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने ड्रोन को चंबा के लिए रवाना किया। इस दौरान प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि खराब मौसम और विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से ऐसे इलाकों में दवा पंहुंचाना स्वयं में चुनौतीपूर्ण है। कहा कि एम्स का प्रयाय है कि अत्याधुनिक मेडिकल तकनीक के माध्यम से राज्य के दूर-दराज के इलाकों तक ड्रोन सेवा द्वारा जरूरतमंदों को दवा उपपलब्ध करवायी जाय। उल्लेखनीय है कि विश्व हृदय दिवस 2024 की थीम ’यूज हार्ट फाॅर एक्शन’ रखी गयी है। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी के महत्व पर जोर देने के साथ ही समाज को दिशा देने वाले जन प्रतिनिधियों और स्वास्थ्य संस्थानों से कार्रवाई करने का भी आग्रह करती है। एम्स ऋषिकेश की ड्रोन मेडिकल सेवा की यह पहल बताती है कि एम्स ऋषिकेश विश्व हृदय दिवस की थीम के अनुरूप स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने हेतु नेतृत्व कर रहा है। दिल के दौरे, स्ट्रोक और क्रोनिक किडनी रोग के शीर्ष जोखिमों में उच्च रक्तचाप को विशेष कारक माना जाता है।
एम्स ऋषिकेश के सीएफएम विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. प्रदीप अग्रवाल के अनुसार इस तरह के नुकसान का एक कारण दवाओं की नियमित पूर्ति का न होना है। उन्होंने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों से कई लोग बीपी व शुगर की दवा लेने के लिए नियमित तौर से इसलिए नहीं आ पा रहे हैं क्योंकि आवागमन के संसाधनों के अभाव और मार्ग अवरूद्ध होने की वजह से वो दूर-दराज से निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक नहीं पँहुच पाते हैं। यदि किसी तरह पहुंच गए तो दवा का पर्याप्त स्टाक उपलब्ध न होने से उनका पूरा दिन खराब हो जाता है। ऐसे मेें एम्स के सीएफएम विभाग द्वारा ड्रोन मेडिकल सेवा के माध्यम से सरल लॉजिस्टिक तंत्र को विकसित कर समस्या हल करने का निर्णय लिया। बताया कि उन्नत पैथोलॉजी परीक्षण करने के लिए ड्रोन सुविधा का भी उपयोग किया जा रहा है।
संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने कहा कि ज्यादा ऊंचाई में उच्च रक्तचाप की प्रसार दर को देखते हुए अत्याधुनिक ड्रोन डिलीवरी प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को बिना किसी देरी के ड्रोन मेडिकल सेवा के माध्यम से उच्च रक्तचाप की दवा समय रहते मिल जाय। इस अवसर पर डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, डीन रिसर्च प्रो. शैलेन्द्र हाण्डू, ड्रोन मेडिकल सेवा के नोडल अधिकारी डाॅ. जितेन्द्र गैरोला, ग्लोबल हेल्थ एडवोकेसी इनक्यूबेटर में हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग की उपाध्यक्ष सुश्री वंदना शाह सहित कई अन्य मौजूद रहे।

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